विपस्सना – खुद की तलाश का एक मार्ग

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मेडिटेशन (Meditation) या ध्यान की बात करें तो इसे आज दुनिया भर में, विभिन्न रूपों और प्रकारों में अभ्यास किया जाता है। इनमें नौ प्रमुख हैं, जिसमें माइंडफुलनेस, आध्यात्मिक, केंद्रित, मूवमेन्ट, मंत्र, पारलौकिक, प्रगतिशील, प्रेम-कृपा और दृश्य ध्यान शामिल है। हालांकि प्रत्येक के अभ्यास के प्रमुख उद्देश्य भिन्न हो सकते हैं। इसका मूल लक्ष्य एक ही रहता है। शरीर और मन की शांति प्राप्त करना। तनाव और काम के दबाव से मुक्ति दिलाना है। ध्यान व्यक्ति को सद्भाव और विश्राम के मार्ग पर लाता है। यद्यपि यह एक प्राचीन परंपरा है और अधिकांश धर्मों में सदियों से इसका अभ्यास किया जाता रहा है। वर्तमान में भी यह किसी के मन को शांत करने के लिए उतना ही लोकप्रिय अभ्यास है।

विपश्यना (विपस्सना) क्या है

विपश्यना (vipassana in hindi) एक पाली शब्द है। विपश्यना शब्द का अर्थ ‘अंतर्दृष्टि’ या ‘स्पष्ट देखना’ या ‘विशेष दर्शन’ है। विपस्सना का संबंध बौद्ध धर्म (Buddhism) के साथ है। यह प्राचीन होने के साथ वर्तमान में भी उतना ही प्रासंगिक है। इसे बौद्ध ध्यान के दौरान विकसित मन के दो गुणों में से एक (भावना) के रूप में वर्णित किया गया है। दूसरा समता (यानी मन का शांत होना) होता है। दूसरे शब्दों में, विपश्यना (Vipassana Meditation) का अर्थ चीजों को वैसे ही देखना जैसे कि वह वास्तव में हैं। विपश्यना ध्यान लगभग 2500 साल पहले भगवान बुद्ध द्वारा सार्वभौमिक बीमारी के उपचार के लिए दुनिया को दिए गए ध्यान के सबसे पुराने रूपों में से एक है। विपश्यना ध्यान  मानसिक पीड़ा में आराम (Vipassana Meditation for Relaxation) दिलाने के साथ मन को पूर्ण स्वतंत्रता दिलाता है। परिणामस्वरूप यह मन और मस्तिष्क को आनंद प्रदान करता है। यह आत्म-निरीक्षण के माध्यम से आत्म-परिवर्तन का एक सरल तरीका है।

विपस्सना मन और शरीर के बीच गहन अंर्तसंबंध के नजदीक केंद्रित है, जिसे वास्तविक कंपनों पर ध्यान केंद्रित करके अनुभव किया जा सकता है। यह शरीर और मन के सामान्य आधार की ओर अपने स्वयं के अवलोकन पर आधारित एक आत्म-खोज यात्रा है, जो बदले में स्नेह, प्रेम और करुणा से भरी एक संतुलित मानस को बाहर लाने के लिए मानसिक प्रदूषण को दूर करती है।

वर्तमान युग में मनुष्य अपने दैनिक कार्यों में इस तरह से उलझ कर रहा गया है कि वे अपने स्वास्थ्य पर भी ठीक से ध्यान नहीं दे पाते। नतीजन कई प्रकार की स्वास्थ्य परेशानियां बढ़ जाती है। ऐसे में शारीरिक-मानसिक थकान स्वाभाविक रूप से परेशान करेंगे। हालांकि लोग इससे बचने के कई तरह के उपाय करते हैं, लेकिन ध्यान ही ऐसी युक्ति है जिसके माध्यम से मनुष्य अपने को खुश व प्रसन्न कर सकता है और बीमारियों से बच सकता है। विपश्यना ध्यान का इसमें काफी महत्व है। यह विधा प्राचीनकाल से ही हमारे ऋषि मुनियों के द्वारा अपनाई गई है।

एसएन गोयनका और विपश्यना के साथ जुड़ाव

ध्यान को आमतौर पर किसी प्रथम व्यक्ति यानी एकवचन के साथ टैग नहीं किया जाता है। लेकिन विपश्यना ध्यान (Vipassana Meditation) को भारत में ए एन गोयनका ध्यान के रूप में जाना जाता है।

सत्य नारायण गोयनका (S N Goenka, Practices) का जन्म म्यांमार (बर्मा) में हुआ था। यह स्थान बौद्ध धर्म के सबसे बड़े स्थलों में से एक है। उन्हें बर्मा संघ के महालेखाकार और बौद्ध आध्यात्मिक नेता सयागी यू बा खिन के संपर्क में आने का मौका मिला था। उन्होंने उनके सानिध्य में 14 साल तक विपश्यना का प्रशिक्षण प्राप्त किया। उसके बाद वे 1969 में  भारत में बस गए और लोगों को विपश्यना सिखाने लगे। बहुत जल्द ही यह शिक्षा भारत और विदेशों के हर हिस्से में तेजी के साथ फैल गई। लोग इस ध्यान के प्रति आकर्षित होने लगे। उसके बाद गोयनका और उनके द्वारा चुने गए शिक्षकों ने विपश्यना की अपनी शिक्षाओं के माध्यम से हजारों लोगों के जीवन को बदल दिया। वर्तमान में एसएन गोयनका के मार्गदर्शन में स्थापित शिक्षण केंद्र एशिया, अफ्रीका, अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया भर में कार्यात्मक हैं। इनके द्वारा स्थापित शिक्षण केंद्रों में प्रमुख रूप से ‘मुक्ति का मार्ग’ के बारे में सिखाया जाता है।

ध्यान का रूप - विपश्यना

विपश्यना ध्यान (Vipassana Meditation) में ‘धम्म’ के सिद्धांत शामिल हैं। इसे प्रकृति का सार्वभौमिक नियम माना जाता है। भगवान गौतम बुद्ध द्वारा सुझाए गए इस ध्यान में मुख्य रूप से नैतिकता (सिला), एकाग्रता (समाधि), और बुद्धि या अंतर्दृष्टि (पन्ना) शामिल हैं।

विपश्यना (Vipassana) एक सौम्य लेकिन संपूर्ण ध्यान है। यदि कोई व्यक्ति ध्यान के इस रूप का अभ्यास करना चाहता है, तो उसे अन्य निर्धारित स्थानों के स्थापित विपश्यना केंद्रों में एक योग्य गुरु के मार्गदर्शन में दस दिनों के आवासीय पाठ्यक्रम से गुजरना होगा। जो व्यक्ति यह शिक्षा ग्रहण करता है उसे पाठ्यक्रम की पूरी अवधि तक बाहरी दुनिया के साथ अन्य सभी संपर्कों को छोड़कर रहना पड़ता हैं। इस दौरान अन्य गतिविधियां जैसे पढ़ना, लिखना, मोबाइल फोन, इंटरनेट, दैनिक धार्मिक अभ्यास सहित अन्य प्रतिबंधित होता हैं। विपश्यना ध्यान पाठ्यक्रम (Vipassana Meditation Self course) में भाग लेने वाले व्यक्ति को इसका पालन करने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा शिक्षा लेने वाले सहभागियों को मौन बनाकर रहने की जरूरत होती है। उन्हें साथी सदस्यों के साथ बातचीत करने की भी अनुमति नहीं होती है। हालांकि उन्हें क्रमशः शिक्षक या प्रबंधन के साथ ध्यान या सामग्री से संबंधित किसी भी चिंता पर चर्चा करने की अनुमति होती है।

प्रशिक्षण में तीन चरण शामिल हैं। पहला अभ्यास सिला या नैतिकता है। इसमें उन सभी कार्यों से खुद को दूर रखना शामिल होता है, जो खुद को और दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं जैसे कि हत्या, चोरी, यौन दुराचार, झूठ बोलना और किसी भी नशीले पदार्थ का उपयोग करना। इन सभी को खुद से दूर रखना होता है।

इन सिद्धांतों का पालन करने से मन को शांत करने में मदद मिलती है। प्रशिक्षण का दूसरा भाग, पहले साढ़े तीन दिन, सांस लेने की प्रक्रिया होती है। जिसका उद्देश्य मन की एकाग्रता बनाए रखना है। इसे आनापान ध्यान भी कहा जाता है। जो समाधि या एकाग्रता की स्थिति को विकसित करने और अशांत मन पर नियंत्रण पाने में मदद करता है।

स्वस्थ जीवन को जारी रखने और मन पर नियंत्रण पाने के ये प्रारंभिक दो चरण महत्वपूर्ण और अत्यंत मूल्यवान हैं। फिर भी यह प्रशिक्षण तीसरे चरण के प्रशिक्षण के बिना अधूरे हैं। तीसरे चरण के प्रशिक्षण में मानसिक गंदगी से मन को साफ किया जाता है। सीखने की दिशा में तीसरा और अंतिम चरण अंतर्दृष्टि की स्पष्टता के साथ साथ किसी के पूर्ण शारीरिक और मानसिक विन्यास में रास्ता बनाने का अभ्यास है। पाठ्यक्रम के दौरान दिन में कई बार प्रतिभागियों को ध्यान के लिए व्यवस्थित निर्देश प्राप्त होते हैं। पाठ्यक्रम के अंतिम दिन प्रतिभागियों को एसएन गोयनका (S N Goenka) का एक रिकॉर्ड विशेष रूप से प्ले किया जाता है। जिसमें पूरे अभ्यास का विवरण होता है।

पाठ्यक्रम के पहले नौ दिनों तक प्रातिभागियों को पूर्ण मौन रहने को सिखाया जाता है। दसवें दिन प्रतिभागी आपस में सामान्य जीवन परिवर्तन के बारे में बात करते हैं। ग्यारहवें दिन की सुबह विपश्यना ध्यान (Vipassana Meditation) पाठ्यक्रम का समापन समारोह होता है, जिसमें मेट्टा-भवन का अभ्यास होता है। जिसका अर्थ सभी के प्रति प्रेम, दया और सद्भावना है। एक बार पाठ्यक्रम पूरा हो जाने के बाद, व्यक्ति घर या किसी अन्य पसंद और आराम के स्थान पर विपश्यना ध्यान का अभ्यास कर सकता है। विपश्यना ध्यान सीखने के लिए कोई आयु सीमा (Vipassana Meditation for Beginners) या कोई अन्य विशिष्ट मानदंड नहीं हैं। कोई भी और हर कोई जो स्वयं में अंतर्दृष्टि प्राप्त करना चाहता है, वह विपश्यना (Vipassana) ध्यान का अभ्यास कर सकता है।

विपश्यना ध्यान के लाभ

विपश्यना ध्यान (Vipassana Meditation) का अभ्यास करने से बहुत लाभ प्राप्त होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, यह ध्यान मन को शांत कर तनाव को दूर करने का काम करता है। यह धैर्य और संतोष की भावना के साथ-साथ दिमाग को एक मजबूत प्रेरणा देता है। विपश्यना ध्यान व्यक्ति को बेहतर तरीके से और अधिक सटीकता के साथ समझाने की अनुमति देता है। अन्य ध्यान की तरह विपश्यना ध्यान भी तनाव को कम करता है, चिंता को कम करता है, मानसिक पीड़ा में सुधार करता है। साथ ही यह माइंडफुलनेस को बढ़ाता है। मस्तिष्क की प्लास्टिसिटी में सुधार करता है यानी सकारात्मक विचारों के प्रति लचीलापन, व्यसनों के इलाज में मदद करता है। शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार के साथ अनिद्रा और अवसाद की समस्या को ठीक करता है।

और फिर शुरू होती है नई यात्रा

इस ध्यान तकनीक (Vipassana Meditation Techniques) के साथ व्यक्ति स्वयं के बारे में ज्ञान या अंतर्दृष्टि और विचारों और भावनाओं पर मजबूत नियंत्रण प्राप्त करता है। इसके भावनाओं और विचार प्रक्रिया के नियंत्रण में होने से न केवल इसका अभ्यास करने वाला बेहतर, मजबूत और खुश होगा बल्कि आसपास के लोगों के लिए भी कई सकारात्मक बदलाव लाता है।

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