माइंडफुल इटिंग और इसके अभ्यास के कुछ महत्वपूर्ण चरण

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माइंडफुल ईटिंग एक अभ्यास है जो हमारे शरीर को ऐसे भोजन का उपभोग करने में मदद करता है, जो हमारे शरीर के लिए एकदम सही है। भोजन हमारे शरीर का पोषण करता है और हमें स्वस्थ रहने में मदद करता है, इस प्रकार जब यह खाने कि बात करते हैं तो हम क्या खाते हैं, और कैसे खाते हैं, ये बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। माइंडफुलनेस हमें अपनी शारीरिक और भावनात्मक संवेदनाओं को प्रबंधित करने में मदद करती है। भोजन करते समय इस दृष्टिकोण का उपयोग करने से आपको भोजन करते समय अपनी हर लालसा, शारीरिक संकेत के बारे में पता चलता है।

माइंडफुल इटिंग: अपनी इंद्रियों के साथ भोजन

जैसा हम जानते हैं कि हर जगह माइंडफुलनेस के साथ हर जगह भोजन करना मुमकिन नहीं होता है। खासकर जब हम अपने परिवार के साथ होते हैं, अपने जॉब पर और  अपने आसपास से अनगिनत ध्यान भंग करने वाली चीजों से घिरे होते हैं। यह उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है कि हमारे परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों के पास धैर्य नहीं है जैसा कि हमारे पास है। हमारे लिए, खाने योग्य भोजन का अर्थ केवल भोजन को कम करना नहीं है, बल्कि अपने सभी इंद्रियों के साथ इसके हर स्वाद का अनुभव करना है।

माइंडफुल इटिंग कैसे काम करता है?

माइंडफुल इटिंग कोई आसान काम नहीं है। इसमें आपको आपकी सभी इंद्रियों के साथ पूरे ध्यान से भोजन करना होता है। जब आप धीरे-धीरे और बिना किसी विकर्षण के भोजन करते हैं। माइंडफुल इटिंग भोजन करते समय, आपको आपके आसपास से सभी संकेतों को सुनना और समझना है और तभी भोजन खाना है जब आप पूरी तरह से माइंडफुलनेस से खुद को भर हुआ पाते हैं। आप अपने शरीर कि पुकार और सच्ची भूख और नॉन-हंगर के बीच अंतर तभी समझ सकते हैं, जब आपकी सभी इंद्रियां आपकी बात सुनेगी और आपके अनुसार चलेंगी। भोजन किस रंग का है, इसकी गंध कैसी है, इसकी बनावट क्या है और इसका स्वाद कैसा है। ये सभी चीजें को जानने और परखने के बाद ही माइंडफुलनेस आपको खाने की अनुमति देती है।

क्यों माइन्ड्फुल इटिंग जरूरी है? और यह आपके मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करता है?

इस तेजी से भागती दुनिया में, लोगों के पास भोजन के सैकड़ों विकल्प उपलब्ध हैं। इससे सबसे ऊपर है, कहते समय आपके नजरों के सामने टीवी सेट का होना, जो कि सबसे बाद डिस्ट्रैक्शन होता है। एक अध्ययन में यह पाया गया है कि जितना अधिक हम टीवी में हैं और उतना अधिक हम भोजन करते हैं और यह दीर्घकालिक में समस्याग्रस्त हो सकता है। 

रिसर्च के अनुसार जब हम भोजन पर ध्यान दे कर खाते हैं, तो ही भोजन कि सही मात्रा ग्रहण करते हैं। इसके विपरीत ध्यान नहीं देने पर हम जरूरत से ज्यादा भोजन खा लेते हैं।  

माइंडलेस इटिंग से समस्या हो सकती है, क्योंकि इस स्थिति मे दिमाग को 20 मिनट से ज्यादा का समय लगता है, इस बात का अनुभव करने में कि वास्तव में पेट भर गया है। इसलिए अगर आप जल्दी जल्दी खा रहे हैं तो आपके दिमाग को भूख कि सही स्थिति समझने मे समझ लग जाता है। इसके विपरीत जब आप मन से खाते हैं तब आपके दिमाग को सही समय पर संकेत मिलते हैं और आप रोबोट कि तरह नहीं बल्कि इंसान कि तरह व्यवहार करते हैं।

माइंडफुल इटिंग और वजन घटाने के बीच संबंध

तेजी से भागती दुनिया में, वजन बढ़ने का प्रमुख कारण बिना ध्यान के खाना है। लगभग 85% लोग ठूस-ठूस कर भोजन करने, भावनात्मक भोजन, बाहरी भोजन के कारण वजन बढ़ाते हैं। अत्यधिक तनाव भी मोटापे को बढ़ाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, अधिकांश अध्ययनों से इस तथ्य का पता चलता है कि, माइन्ड्फुल इटिंग आपके खाने के आदतों में बदलाव करके जैसे अत्यधिक खाने को नियंत्रिण के साथ आप वजन कम कर सकते हैं। 

माइंडफुल इटिंग में ज्ञान के साथ भोजन करना शामिल है। ये हमें हमारे शरीर कि भाषा को समझने मे मदद करता है, जिसके कारण भूख का पता अच्छे से चलता है। ज्यादा भोजन से बचने के लिए जो हमें अनमने खाने से बचना चाहिए, साथ ही हमें बाहरी संकेतों कि जगह दिमागी संकेतों को समझने कि कोशिश करनी चाहिए।

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माइंडफुल इटिंग बनाम अनहेल्दी इटिंग

अस्वस्थ लोगों की संख्या बढ़ रही है, जो माइंडफुल इटिंग के लिए प्रेरित करता है।

माइंडफुल खाने में आपको अपनी सभी इंद्रियों को शामिल करना होता है। माइंडफुल खाने मे आपको अपनी सभी इंद्रियों को शामिल करना होता है, जबकि अस्वास्थ्यकर भोजन में खाने कि खुशबू और उसका बाहरी रूप रंग ज्यादा महत्व का होता है। 

माइंडफुल इटिंग आपको जल्दबाजी मे खाने कि आदत से निपटने मे मदद करती है। इसके अलावा अस्वास्थ्यकर खाने से आपको हर तरह की लत लग जाती है क्योंकि आपका अपनी इंद्रियों पर कोई नियंत्रण नहीं रहता है। माइंडफुल इटिंग आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और अस्वास्थ्यकर खाना आपको कमजोर बनाता है। अस्वास्थ्यकर खाना वजन कम करने वाले लोगों के लिए एक अच्छा संकेत नहीं है।

जब आप माइन्ड्फुल खाने से जुडते हैं तब आपके लिए शरीर के द्वारा दिए संकेत आराम से आपको समझ या जाते हैं, और पेट भर जाने पर आप इस संकेत को समझ जाते हैं। माइंडफुल इटिंग से हमें पौष्टिक, संतोषपूर्ण और स्वास्थ्य का तोहफा मिलता है। जबकि अस्वस्थता से मोटापा, उदासी, खाने के विकार और ऐसे कई और रोग होते हैं।

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माइंडफुल इटिंग के कुछ अद्भुत फायदे:

माइंडफुल इटिंग खाने की आदत को बेहतर बनाता है:

माइंडफुल इटिंग खाने की आदतें स्वाद ग्रंथियों को व्यापक बनाता है और भोजन के प्रति धारणा को भी बेहतर बनाता है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, जो खाने के चुनाव में समय नहीं देते हैं। माइंडफुल खाना उन्हें अपने आहार में अधिक पौष्टिक तत्व शामिल करने में मदद करता है। जो लोग ओवरइटिंग की आदतों से बदलना चाहते हैं, उनके लिए भी माइंडफुल इटिंग अच्छी है। एक अध्ययन में, यह साबित हुआ है कि माइंडफुल इटिंग पूरे दिन छुटपुट खाने वालों की आदत पर भी रोकथाम करता है। 

ओवरइटिंग को कम करने और स्वस्थ खाद्य पदार्थों से जुड़े होने से शारीरिक और मानसिक रूप से संबंधित बीमारियों से निपटने में काफी मदद मिलती है। इसके साथ ही ये घर से काम करते समय संज्ञानात्मक तनाव को दूर करने में मदद करता है।

अपने ध्यान को भोजन से दूर ले जाइए:

माइंडफुल इटिंग का अन्य लाभ यह है कि यह आपको हर समय भोजन के विचार के बोझ से मुक्त करता है। ज्यादातर डाइटिंग करने वाले लोग अपना ध्यान भोजन के विचारों मे लगा देते हैं। यदि आप एक माइंडफुल ईटर हैं, तो यह आपका बहुत सारा कीमती समय बचा लेता है।

महान सुख:

माइन्डफुल इटिंग के जरिए आपको खाने के साथ जुड़े सुख कि अनुभूति होती है। अपना जितना शांति से भोजन करते हैं, आप अपनी थाली मे मौजूद खाने के प्रति आप उतने ज्यादा कृतज्ञ हो पाते हैं ।

धीमी गति से खाने से आपके पाचन में सुधार होता है: धीमी गति से खाने से आपके पाचन में सुधार होता है:

जब आप माइंडफुल इटिंग करते हैं, तो आप भोजन को पचाने में अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, जो आपके भोजन को आसानी से पचाने में मदद करता है।

माइन्ड्फुल खाने का अभ्यास कैसे करें ?

आइए, दिन की शुरुआत माइंडफुल इटिंग के साथ कैसे करें, उसके बारे मे जानते हैं।

लाभ: किसी भी खाने के चुनाव के पहले आपके मन मे आने वाले विचार के प्रति आप सजग बनते हैं। परिणाम स्वरूप आप दिमागी रूप से मजबूत बनते हैं और आप अपने विचारों को और अच्छे से समझ पाते हैं

इस पद्धति से इस्तेमाल के लिए आपको धीरे धीरे आगे बढ़ना होता है। शुरुआत मे इस पद्धति को आप छोटे खाने या स्नैक्स पर इस्तेमाल कर सकते हैं। ये माना जाता है कि किसी भी प्रकार के आदत को जीवनशैली मे शामिल करने के लिए 21 दिन तक उनका पालन करना चाहिए। 21 दिन तक कि ये छोटी पहल आपको लंबे समय के लिए संतुष्टि का अहसास करवाएगी। 

जब आपको भूख लगती है, तो आप खुद को भूख के बारे में जागरूक करने कि कोशिश करें और इसके साथ थोड़ा समय बिताएं। जानने की कोशिश करें कि वह क्या है जो आपका शरीर आपको बताना चाहता है? सनसनी महसूस करें, लेकिन याद रखें कि इसे बदलने की कोशिश न करें अन्यथा आप इसे पूरी तरह से नहीं देख पाएंगे।

लाभ: जब आप अपना ध्यान इस पर केंद्रित करेंगे तो भूख और नकली के बीच का अंतर समझ पाएंगे। इस प्रकार अपनी भूख को समझने और उसे सहने से आप समझ पाएंगे कि किस तरह से भोजन कि आपको जरूरत है और किस प्रकार के खाने कि आपको जरूरत नहीं है। 

जब आप बाजार जाते हैं, तो एक निश्चित भावना होती है जो आपको किसी विशेष भोजन की ओर आकर्षित करती है। और आप उसी आधार पर निर्णय लेते हैं कि आपको क्या खरीदना है। भोजन करते समय आप अपने द्वारा चुने गए विकल्पों को देखें और उस पर विचार करें। भोजन से संबंधित सभी कारकों पर ध्यान दें, जैसे, वे किस चीज के लिए बने हैं, उसका रंग क्या है, इसकी गंध कैसी है, और इसे खरीदने से पहले कीमत क्या है। ध्यान दें किन विचारों और भावनाओं ने आपको एक विशेष भोजन का चयन किया, इसे बदलने की कोशिश ना करें। बल्कि ये जानने का प्रयास करें कि क्या सही मे आपको इस खाने कि जरूरत है या नहीं।  जब आप कहना बनाते हैं तो इस बात का ध्यान रखें, साथ ही इस बात पर भी ध्यान दें कि भोजन कि खुशबू, उसका रंग और टेक्स्चर कैसा है। 

आपके द्वारा खाए जा रहे भोजन पर ध्यान देना आपके शरीर को उत्तेजित करता है और आपको खाने के लिए तैयार करता है। यह शरीर को भूख और पाचन के लिए तैयार करता है, और अगर आपके मुंह में पानी आता है, तो आप सही रास्ते पर हैं।

यहां कुछ और ट्रिक्स आप अपना सकते हैं

   –  धीरे-धीरे खाएं और अपने भोजन के साथ जल्दी न करें।

   –  अच्छी तरह से चबाने से आपको भोजन को आसानी से पचाने में मदद मिलती है।

   –  भोजन करने से पहले सभी विकर्षणों को दूर करें।

 –    जहां शांति हो उसी जगह बैठ कर खाएं। 

–     इस बात पर ध्यान दें कि भोजन आपको कैसा महसूस कराता है।

  –   बहुत ज्यादा खाना ना खाएं , जब आपको इस बात का अनुभव हो कि आपका पेट भर गया है, तो खाना रोक दें। 

   –  कुछ सवाल पूछें जैसे कि आप यह विशेष भोजन क्यों खा रहे हैं, क्या आप वास्तव में भूखे हों या यह सिर्फ आपकी इंद्रियों की चाल है।

माइंडफुल इटिंग के लिए दिमाग को तैयार करें

धैर्य:

धैर्य एक शक्तिशाली हथियार है, और माइंडफुल बनने के लिए धैर्य बहुत आवश्यक है। पल-पल की जानकारी होने में समय लगता है। भोजन करने मे हड़बड़ी आपको आपकी इंद्रियों से दूर कर अमाइंडफुल की तरफ ले जाता है। इस प्रकार पूरी जागरूकता के साथ भोजन करने से आपको भोजन में एक बढ़िया विकल्प बनाने में मदद मिलेगी।

एक शुरुआत के दिमाग को अपनाएं:

अगर आप एक बच्चे कि तरह सोचेंगे, तो आप अपने इस अनुभव को अच्छे से समझ पाएंगे। इसके साथ आपका ये रवैया आपके लिए नहीं चीजों को समझने के लिए नए दरवाजे खोल देगा।

अपने विश्वास पर भरोसा रखें:

ये बहुत जरूरी है कि आप अपने भावनाओं को समझें, उस पर विश्वास करें और साथ ही इसे स्वीकार भी करें। ये ना  सिर्फ आपको आत्मविश्वास से भर देगा, बल्कि खुद को समझने मे भी मदद करेगा। इसे पूरी तरह से अपनाना और इसकी सराहना करना आपके लिए एक नया अनुभव होता है।

अतीत के बातों को भूल जाना

जब तक आप पिछली बातों और अनुभव को पीछे नहीं छोड़ते, तब तक नए अनुभव नहीं बना सकते हैं।  आपको किसी भी खाने के प्रति अरुचि है तो उसे भूल जाएं और नए सिरे से नए अनुभव को अपनाने के खुद को तैयार करें।

माइंडफुल इटिंग के लिए अभ्यास

माइंडफुल इटिंग के लिए आप कुछ विशेष चीजों को खाने मे शामिल कर सकते हैं, जैसे किशमिश, सेब या चॉकलेट।

यह बहुत ही जरूरी है कि आप अपनी सांस और शरीर के बीच संतुलन बनाएं रखना बहुत ज्यादा जरूरी है। साथ ही ये भी जरूरी है कि आप अपना पैर जमीन पर टिकाए रखें और अनुभव करें कि आपको कैसा लगता है। अनुभव करते समय, अपने विचारों, संवेदना और भावनाओं को नोटिस करें जो आपके दिमाग में प्रवेश करती है।

अब, उस जागरूकता या संवेदना पर ध्यान केंद्रित करें जो आपके शरीर में है। आप भूखे, प्यासे या पूरी तरह भरे हुए महसूस कर रहे होंगे। अगर आप कोई निर्णय लेने कि सोच रहे हैं तो इस बात पर ध्यान केंद्रित करें कि क्या विकल्प उपलब्ध हैं। आपका शरीर क्या संकेत दे रहा है। आपका शरीर भूखा और प्यासा क्या है? बस उस पल को महसूस करें और जानने कि कोशिश करें कि आपका शरीर आपसे क्या कहना चाहता है। 

उस भोजन पर ध्यान केंद्रित करना शुरू करें जो आपके हाथ में है। सबसे पहले, एक विराम लें, और अपना ध्यान भोजन पर लाएं। अब आप पहली बार देखने की कल्पना कीजिए। जिज्ञासा के साथ निरीक्षण करें। जैसे कि उनका रंग, आकार और बनावट, और उस भोजन का आकार। अब, कल्पना कीजिए कि इस भोजन को तैयार करने में क्या लगता है। धूप, पानी, समय या प्रक्रिया। आप उन सभी के लिए आभार महसूस करें जो भोजन की खेती में भाग लेते हैं। आप यहां खुद के प्रति भी कृतज्ञ हो सकते हैं।

अंतिम शब्द

अपने आप पर नियंत्रण पाने के लिए माइंडफुल इटिंग एक शक्तिशाली अभ्यास है। इसका उपयोग विभिन्न संस्कृतियों के विभिन्न लोगों द्वारा किया जाता है। माइंडफुल इटिंग यह जानने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम क्यों खाते हैं, क्या कहते हैं और हम किसी भोजन को विशेष भोजन कि शृंखला मे क्यों रखते हैं। जब हम इन सभी आदतों और विचारों से अवगत होते हैं, तो हम स्वस्थ भोजन की बात करते हैं।

आप अपने दैनिक जीवन में माइंडफुल ईटिंग को कैसे लागू करते हैं? अभी ऑनलाइन चिकित्सक से बात करें।

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