कुंडली के तीसरे भाव में राहु का महत्व

कुंडली के तीसरे भाव में राहु का महत्व

सामान्य तौर पर राहु का नाम आते ही जन मानस में भय और डर पैदा होने लगता है। लेकिन कुंडली में निर्मित होने वाली कुछ परिस्थितियों में राहु जैसा ग्रह भी सकारात्मक या शुभ प्रभाव डालने का कार्य कर सकता है। राहु एक छाया ग्रह है, जो भौतिक रूप से मौजूद नहीं है। इसे चंद्रमा का उत्तरी नोड भी कहा जाता है। सामान्य तौर पर राहु को एक पापी ग्रह माना जाता है, जो कुंडली के लगभग सभी भाव में बुरे प्रभाव डालने का कार्य करता है। लेकिन कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दशा महादशा के आधार पर राहु कुछ अनुकूल परिस्थितियों का भी निर्माण कर सकता है। यदि किसी कुंडली के तीसरे भाव में राहु मौजूद हो तो वह महत्वाकांक्षा, करियर, पेशा, रिश्तों और संबंधों, आध्यात्म और उच्च शिक्षा जैसे क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है। सर्वविदित है कि, कुंडली का तीसरा भाव पराक्रम भवन के नाम से जाना जाता है। इसका संबंध कुंडली के महत्वपूर्ण फेरबदल और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों से होता है।

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सकारात्मक

कुंडली के तीसरे भाव में मौजूद राहु कुछ परिस्थितियों में सकारात्मक प्रभाव डालने का कार्य कर सकते है। कुंडली में मौजूद राहु के कारण जातक के जीवन में निर्मित होने वाली सकारात्मक स्थितियों में उनके संवाद की क्षमता को गिना जा सकता है। ऐसे जातक लिखित, मौखिक या सिनेमाई रूप में अपने संदेश लोगों तक पहुँचाने का कार्य कर सकते है। ऐसे जातकों में खुद को लोगों के बीच लोकप्रिय बनाये रखने की लालसा होती है। राहु के सकारात्मक प्रभाव जातक को प्रकाशन, साहित्य लेखन, पत्रकारिता, यात्रा, रिकाॅर्ड, साक्षात्कार, अनुवादक, मीडिया, विज्ञापन, मध्यस्थता जैसे क्षेत्रों में कार्य करने के लिए प्रेरित करते है। कुछ अन्य मामलों में राहु जातक को व्यापार या व्यवसाय के लिए भी प्रेरित कर सकते है। ऐसे जातकों में कहानियां गढ़ने और उन्हे लोगों तक पहुंचाने की भी खास क्षमता देखी जा सकती है।

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कुंडली के तीसरे घर में राहु जातक को लोगों के दृष्टिकोण को समझने और उनका उपयोग अपने लाभ के लिए करने में भी सक्षम बनाता है। हालांकि तीसरे घर में राहु की मौजूदगी जातक के संबंधों को भी प्रभावित कर सकती है। कुंडली के तीसरे स्थान पर राहु कुछ परिस्थितियों में बेहद अनुकूल हो सकता है। ऐसे जातक आध्यात्मिक और शैक्षिक मामलों में रूचि दिखा सकते है। राहु की यह स्थिति भाई-बहनों, पड़ोसियों, यात्राओं, लेखन और प्रकाशन जैसे क्षेत्रों से लाभ प्राप्त होने की ओर भी इशारा करती है। तीसरे घर में राहु जातक को निश्चित उद्देश्यों के लिए साहस करने और उनको प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर सकता है। ऐसे जातक मूल रूप से बुद्धिमान, आशावादी और बहादुर हो सकते है। इनमें नये व्यापारों को करने और उनसे अच्छा लाभ कमाने की भी क्षमता देखी जा सकती है। ऐसे जातक को जीवन में भाग्य का साथ मिलता है और वे लंबा जीवन जीते है। तृतीय भाव में राहु भौतिक सुख – सुविधाओं, धन, संतान और अच्छा जीवन साथ प्राप्त करने में सहायक हो सकता है। ऐसे जातक तेज दिमाग होते है लेकिन सदैव बेचैनी का सामना करते है। तीसरे घर में राहु जातक को लोगों के लिए अच्छा दोस्त बनाने का कार्य करता है। वे अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते है और उनके सरकारी कर्मचारियों से अच्छे संबंध हो सकते है।

नकारात्मक

कुंडली के तीसरे भाव में राहु जहां स्थिति के अनुसार सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। वहीं वह नकारात्मक प्रभावों का भी संचार कर सकता है। यदि कुंडली के तीसरे भाव में बैठे राहु के लिए स्थितियां नकारात्मक है तो वे जातक की भाषा में कठोरता लाने का कार्य करेंगे। इसी के साथ बुरे विचार, अवैध सहवास, तीर्थ यात्रा, एकांत जीवन, अस्वस्थता, बाधाएं, दुर्घटनाएं, चोट, निवास स्थान में परिवर्तन, बच्चों की वजह से चिंता, वित्तीय नुकसान और नेतृत्व क्षमता का हनन कर सकते है। तीसरे घर में राहु जातक को एकांत प्रिय और संदिग्ध प्रकृति देने का भी कार्य कर सकते है। राहु को जीवन में भ्रम पैदा करने का कारक माना गया है। हालांकि तीसरे घर में राहु युद्ध में पराक्रम और वीरता पुरूस्कार प्राप्त करने में सहायक भी हो सकता है। कुंडली के तीसरे स्थान पर राहु जातक को स्वतंत्रता के लिए तरसा सकते है। वह जातक को लोगों से लाभ प्राप्त करने के लिए संबंध बनाने के लिए भी प्रेरित करता है। माना जाता है कि राहु निवास स्थान, मित्रों और संबंधों में परिवर्तन लाता है। राहु जातक को स्वार्थी बनाने का कार्य करता है जिससे उसकी शत्रुता बढ़ने की संभावना होती है। हालांकि कुंडली के तीसरे भाव या अन्य किसी भाव में राहु की प्रताड़ना झेल रहे लोग कुछ सरल ज्योतिषीय उपायों के माध्यम से अपने जीवन को खुशहाल बना सकते है।

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निष्कर्ष

राहु एक पुरूष संज्ञक ग्रह है, धुएँ सा रंग, एकांत में रहने वाला, वात प्रकृति वाला, बुद्धिमान, कुरूप, झूठा, कपटी, क्रोधी और निंदक होता है। जबकि कुंडली के तीसरे भाव से कई सकारात्मक और अच्छे क्षेत्रों का संबंध होता है। जब कुंडली के तीसरे भाव में राहु उपस्थित हो तब वह जातक के लिए कुछ नकारात्मक परिस्थितियों का निर्माण कर सकते है। हालांकि कुछ परिस्थितियों वह जातक के लिए अनुकूल परिस्थितियों का भी निर्माण कर सकता है। यदि जातक जयोतिषीय परामर्श के अनुसार कार्य करे तो वह राहु के नकारात्मक प्रभाव से खुद को बचा सकता है। गौरतलब है कि कुंडल में ग्रहों की स्थिति संचित कर्मों को दर्शाने का कार्य करती है। लेकिन ज्योतिषिय उपायों के माध्यम से हम इन्हे आसानी से बदलने का कार्य भी कर सकते है।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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