कुंडली के तीसरे भाव में बुध का महत्व

कुंडली के तीसरे भाव में बुध का महत्व

कुंडली के बारह भाव या स्थानों में ही नक्षत्र मंडल, राशियां और ग्रह भ्रमण करते हैं। यदि ऐसा कहा जाए कि, कुंडली एक नक्शा है, जिसके माध्यम से ग्रह, नक्षत्रों और राशियों के मार्ग का अवलोकन किया जाता है, तो यह अनुचित नहीं होगा। वैदिक ज्योतिष में कुंडलियों के मूल 18 प्रकारों का वर्णन मिलता है, इन कुंडलियों के आधार पर ग्रहों के अलग-अलग प्रभावों का मूल्यांकन किया जाता है। कुंडली को ब्रह्मांड का प्रतिरूप मानकर 360 डिग्री माना गया है। कुंडली के 360 डिग्री को 12 बराबर हिस्सों में विभाजित किया गया। कुंडली के प्रत्येक भाग का आकार 30 डिग्री है, और प्रत्येक भाव जीवन चक्र के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों, कार्यों और स्थितियों का प्रतिनिधित्व करता है। कुंडली का तीसरा स्थान पराक्रम स्थान होकर, पराक्रम, साहस, दोस्त, लघु प्रवास, संगीत, महत्वपूर्ण फेरबदल, दलाली और शौर्य जैसे क्षेत्रों से संबंध रखता है। कुंडली के तीसरे भाव में बुध का महत्व जानने से पहले हमें बुध के गुण, दोष, स्वभाव और प्रभाव को समझना होगा।

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बुध को सौरमंडल में युवराज का स्थान प्राप्त है। वैदिक ज्योतिष में बुध को काल पुरूष की बुद्धि का प्रतीक माना गया है, बुध युवराज होने के साथ युवा अवस्था में मनुष्य के स्वभाव एवं व्यक्तित्व को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। छात्रावस्था एवं विद्या अभ्यास के कारक भी बुध ही है। इसी के साथ वे बुद्धि, मित्र, वीना, व्यापार, चतुरता और शिल्प शास्त्रों के भी कारक है। वहीं बुध के अशुभ प्रभावों की बात करें तो, इसके प्रभाव में मनुष्य वाक चातुर्यता, बुद्धि, और संपत्ति तीन का दुरुपयोग करने में माहिर होता है। बुध के दुष्प्रभाव में व्यक्ति लोगों को छलने के लिए उत्सुक, चोरी करने में उस्ताद, गलत बातों को सही साबित करने की क्षमता, विचारों में अस्थिरता, तंत्र-मंत्र में अधिक रस, बुद्धिशाली होने के बावजूद मूर्ख, डरपोक, विनयहीन, अज्ञानी होने के बावजूद ज्ञानी होने का आडंरबरकर्ता और गलत अफवाह फैलाने में चतुर होते है।

सकारात्मक

कुंडली के तीसरे घर में बुध की मौजूदगी जातक को पढ़ने, बोलने, विचारों का अदान-प्रदान करने, दैनिक समाचार, करंट अफेयर जैसे क्षेत्रों में रूचि प्रदान करते है। ऐसे जातक नयी चीजें सीखने और उन्हे दूसरों के साथ साझा करने में माहिर होते है। तीसरे घर में बुध जातक को वाचाल बनाने का कार्य करते है। ऐसे जातक सामाजिक और मिलनसार होते है। कुंडली के तीसरे भाव में बुध जातक को शिक्षा या व्यापार से संबंधित छोटी-छोटी यात्राएं करवा सकते है। ऐसे जातक जीवन की लगभग सभी छोटी बड़ी समस्याओं को हल करने में सक्षम होते है। वे एक समय में कई कार्यों को करने की क्षमता रखते है और एक बार में कई विषयों की शिक्षा प्राप्त कर सकते है। बुध कुंडली के तीसरे भाव के कारक है और संवाद से संबंधित क्षेत्रों से संबंध रखते है, इसी के साथ छोटी यात्राएं और लेखन के संबंधित क्षेत्रों से भी बुध का गहरा संबंध होता है। कुंडली का तीसरा भाव बुध के लिए घर वापसी जैसा होता है। ऐसे जातक अपने मन की बातें आसानी और सरल तरह से लोगों तक पहुंचा सकते है। वे अपनी बुद्धि और विचारों के माध्यम से लाभ और आनंद उठाने की क्षमता भी रखते है। ऐसे जातक बेहद चैकन्ने और मेहनती होते है। बुध का कुंडली के तीसरे भाव में बैठना जातकों का अपने भाई-बहनों के साथ गहरे रिश्ते को भी दर्शाता है।

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नकारात्मक

जिन जातकों की कुंडली के तीसरे भाव में बुध बैठे है, उन्हे इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उनकी व्यस्त दिनचर्या उनकी जिम्मेदारियों को प्रभावित नहीं करें। यदि इसका प्रबंधन उनके लिए मुश्किल है तो उन्हे इसके संबंध में किसी से बात करनी चाहिए। उन्हे अपने कुशल संवाद कौशल का उपयोग कर उन लोगों तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए जो उनकी सहायता कर सकते है। ऐसे लोगों की सहायता से उन्हे अपनी समस्या को हल करने के साथ ही उस भार से भी मुक्ति मिल सकती है जिसका सामना फिलहाल वे अकेले कर रहे है। कुंडली के तीसरे भाव में बुध जातक को कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित करते है। लगातार कड़ी मेहनत और मानसिक तनाव से उन्हे कुछ समय खुद के लिए भी निकालना चाहिए ताकि उन्हे थकान महसूस न हो और वे शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ्य रह सकें।

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जिन जातकों की कुंडली में बुध तीसरे भाव में बैठे है उन्हे अपने जिज्ञासू स्वभाव का उपयोग अपनी नौकरी, परिवार और सामाजिक जीवन में संतुलन बैठाने के लिए करने का प्रयास करना चाहिए।तीसरे स्थान पर बुध वाले जातक अपने विविध हितों के साथ विभिन्न विषयों का पता लगा सकते है और विभिन्न शौक रख सकते हैं। हालांकि, तीसरे घर में बुध के प्रभाव के कारण ऐसे जातक कभी स्वयं को किसी एक चीज पर स्थिर नहीं रख पाते। उनके लिए किसी एक विषय में पूरी तरह डूब जाना मुश्किल हो सकता है। वे किसी एक चीज या एक विचार पर अधिक देर तक टिके नहीं रह सकते है। वे किसी भी चीज, परिस्थिति या लोगों के प्रति कुछ ही देर में अपनी राय बना लेते है।

निष्कर्ष

बुध का संबंध संचार और संवाद से होता है। जब बुध कुंडली के तीसरे भाव में हों तो वे जातक को सीखने और जानने के लिए प्रेरित करते है। लेकिन बुध के प्रभावों की अति जातक को नुकसान भी पहुंचा सकती है। ऐसे जातक संवाद और संचार कौशल में महारथ हासिल कर सकते है। वे सामाजिक और सामुदायिक कार्यों में विशेष रूचि लेते है। वे अपनी बुद्धि और विचारों के माध्यम से लाभ और आनंद उठाने की क्षमता भी रखते है। हालांकि उन्हे अपनी सामाजिक और निजी जीवन में परस्पर संबंध बैठाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि लगातार नई चीज के बारे में जानने की उनकी लालसा उन्हे किसी भी एक विषय के बारे में गहराई से सब कुछ जानने और उसका विशेषज्ञ नहीं बनने देती है।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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