कुंडली के चौथे भाव में मंगल का महत्व

कुंडली के चौथे भाव में मंगल का महत्व

भूमि नंदन, भौम, लोहितांग, अंगारक और क्षितिज जैसे नामों से पहचाने जाने वाले मंगल को वैदिक ज्योतिष में काल पुरूष के पराक्रम का प्रतीक माना गया है। मंगल वैदिक ज्योतिष में उल्लेखित प्रभावी और बलवान ग्रहों में से एक है, और अन्य ग्रहों की अपेक्षा अपने स्थान से कुंडली के अन्य स्थानों को प्रभावित करने की क्षमता रखते है। गुरू, शनि और मंगल को ज्योतिष में विशेष दृष्टि प्राप्त है, मंगल अपने स्थान से चौथे, सातवें और आठवें भाव पर दृष्टि डालते है। कुंडली में मंगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी है और कुंडली के तीसरे व चौथे स्थान के पूर्ण और छठे स्थान के मिश्रित कारक है। शौर्य, पराक्रम, युद्ध, शत्रु, विरोध, क्रोध, उदारता, युवावस्था, के कारक भी मंगल ही हैं, यदि किसी की जन्म कुंडली में मंगल बलवान है, तो वह जातक को अनुशासन प्रिय, न्याय पसंद, सरल बुद्धि, दूसरों पर जल्दी विश्वास करने वाला, दूसरों को दिशा निर्देश देने वाला एवं उनका पालन करवाने वाला, स्पष्टवादी और मेहनतकश होता है। जन्म कुंडली में मंगल बलवान होने पर व्यक्ति दृढ़ संकल्पवान एवं महत्वाकांक्षा पूर्ण करने के लिए अदम्य इच्छाशक्ति रखता है। वहीं मंगल के अशुभ प्रभाव में जातक में उग्र, आक्रामक, युद्ध प्रिय, उन्मत्तता, अविचारि, नशाखोर, शक्ति का अनौतिक उपयोग करने वाले होते है। वहीं कुंडली का चौथा भाव सुख भाव या मातृस्थान के नाम से जाना जाता है। इस भाव का संबंध माता, सुख, मकान, वाहन, जमीन, कृषि, बाग-बगीचा, स्कूल-कॉलेज की शिक्षा, मन, तृष्णा, लालसा, महत्वाकांक्षा, घनिष्ठ प्रेम और मातृ सुख जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से होता है। जब मंगल कुंडली के चौथे भाव में बैठा हो तब वह जातक की जीवन शैली, घरेलू मामलों, रिश्तों, धन, परिवार और जमीन जायदाद को प्रभावित कर सकता है।

सकारात्मक

कुंडली के चौथे भाव में मंगल जातक के जीवन को कई तरह से प्रभावित कर सकता है। ऐसे जातकों को अपने जीवन में बेहद ही आसानी से धन, संपत्ति, वैभव और भव्यता प्राप्त हो सकती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली के चौथे भाव में मंगल जातक को निडर बनाने का कार्य करते है। वे जीवन की किसी भी मुश्किल परिस्थिति में मानसिक तौर पर मजबूत और सकारात्मक रहते हुए उन्हे सुलझाने की क्षमता रखते है। कुंडली के चौथे घर में मंगल जातक की मौजूदगी जातक के विचारों और दृष्टिकोण को प्रभावित कर उन्हे अधिक रचनात्मक और उत्साही बानाने का कार्य कर सकती है। उनके रचनात्मक विचार और उत्साह उन्हे अन्य लोगों से अलग बनाने का कार्य करते है। जिससे वे अधिक आकर्षक और सभ्य नजर आते है, इससे उनके व्यक्तित्व को भी बल मिलता है। चौथे स्थान पर मंगल की मौजूदगी महिलाओं को भी जातक के प्रति आकर्षित करने का कार्य करती है। ऐसे जातक महिलाओं से भावनात्मक रूप से जुड़े होते है और जीवन के मुश्किल समय में उनके नैतिक समर्थन की उम्मीद रखते है।

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कुंडली के चौथे घर में मंगल जातक को घरेलू मामलों के प्रति अधिक सजग बनाने का कार्य करते है। जिसके कारण वे घरेलू या पारिवारिक मामलों को आसानी से सुलझा सकते है। ऐसे जातक बेहद साहसी, बलवान और बहादुर होते है। कुंडली के चौथे स्थान पर मंगल करियर के दृष्टिकोण से जातक को पुलिस, सशस्त्र बल, रक्षा, बिल्डर शिप जैसे पेशों के प्रति आकर्षित करता है। इसी तरह वैवाहिक जीवन के लिए भी मंगल का चौथे स्थान पर होना जातक के हित में हो सकता है। ऐसे जातक वैवाहिक जीवन में सभी तरह के सुख प्राप्त करने की संभावना रखते है। वे अपने जीवन साथी से जीवन के प्रति यथार्तवादी दृष्टिकोण रखने की उम्मीद करते है। वे अधिक से अधिक समय अपने साथी के साथ बिताना पसंद करते है। वे जीवन के अच्छे बुरे दौर का मिलकर सामना करते है। ऐसे जातकों का वैवाहिक जीवन दूसरे लोगों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बन सकता है। कुंडली के चौथे भाव में मंगल जातक को शांत और प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए साहस प्रदान करता है। ऐसे जातकों में दूसरों को माफ करने की अद्वतीय क्षमता होती है।

नकारात्मक

कुंडली के चौथे भाव में मंगल जातक को जहां सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। वहीं कुछ प्रतिकूल परिस्थितयों में वह नकारात्मक प्रभाव डालने का कार्य भी कर सकता है। चौथे स्थान पर मंगल जातक के मन में अवांछित इच्छाओं को जन्म देने का कार्य करता है। वह जातकों को आक्रामक, और जल्द खुद पर नियंत्रण खोने वाला बना सकता है। कई बार ऐसे जातक अहंकारी व्यवहार और अपर्याप्त समझ के कारण दूसरों के साथ संबंधों में बाधा उत्पन्न कर लेते है। अधिकांशतः ऐसे जातक स्थितियों को समझने की जगह उत्तेजना में अपमान जनक व्यवहार करने लगते है। उनका अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं रहता जिसके कारण उनके रिश्तों में टकराव पैदा होने लगता है। तनाव और चिंता उनके जीवन में बड़ी समस्याएं पैदा कर सकती है। सामान्य तौर पर ऐसे जातक साहसी और बहादुर होते है लेकिन कभी – कभी उनमें समझ की कमी उन्हे कमजोर और अप्रभावी बनाने का कार्य कर सकती है। कुंडली के चौथे भाव में मंगल जातक को वित्तीय नुकसान और पूंजीगत हानि भी पहुँचा सकते है। ऐसे जातक को व्यापार और शेयर बाजार से नुकसान का अधिक खतरा रहता है। इसी के साथ उन्हे अचल संपत्ति के मामले में भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि कुंडली के चौथे भाव में मंगल के प्रतिकूल प्रभावों को कुछ सामान्य ज्योतिषीय उपयों के माध्यम से कम किया जा सकता है।

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निष्कर्ष

संक्षेप में कहें तो कुंडली के चौथे भाव में मंगल जातक के लिए अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही तरह की स्थितियाँ पैदा कर सकता है। वह उन्हे ताकतवर बनाने के साथ ही कमजोर बनाने की भी क्षमता रखता है। मंगल उन्हे शांत और मानिसक तौर पर मजबूत भी कर सकता है और उन्हे आक्रामक और आत्म-विनाशकारी भी बना सकता है। ऐसे जातकों को अपने संवाद में सरलता और मधुरता लाने का प्रयास करना चाहिए। अपने परिवार और खास कर महिलाओं माता अथवा पत्नी से बात करते समय संयम बरतने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि उनका आक्रोश उन्हे जीवन के कई क्षेत्रों में सफलता से वंचित रख सकता है।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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