पर्वतासन – पर्वत मुद्रा योग और ताड़ासन योग और इससे होने वाले लाभ

यदि आप मौजूदा जीवन शैली के बावजूद भी शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ हैं, तो विश्वास किजिए आप एक बेहतरीन जीवन जी रहे हैं। हालांकि, कोई भी अपने जीवन से पूरी तरह खुश नहीं है, यदि आप किसी से इस बारे में पूछे तो वे आपको एक न एक परेशानी बता ही देते है। कोई शारीरिक रूप से बीमार है, तो कोई तनाव से परेशान हो रहा है। जीवन में आने वाली इन स्थितियों का सामना करने का एकमात्र उपाय योग है। बेशक, आप में से कुछ के लिए इस बात पर भरोसा करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन अब कई वैज्ञानिक शोध इस बात की पुष्टि कर चुके है कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए योग एक अच्छा विकल्प है। यदि आप योग शुरू करने और उससे सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के बारे में आश्वस्त नहीं हैं,तो यकीन मानिए कोई भी व्यक्ति योग कर सकता है, और योग हर रोग का उपाय है। लेकिन पश्चिमी सभ्यता के उदय के बाद से हमने अपने प्रामाणिक और पौराणिक ज्ञान का कभी सही दिशा में उपयोग नहीं किया। अब समय आ गया जब हमें फिर से ऐसे रास्ते तलाशने होंगे जिनमें हम अपनी आने वाली पीड़ी को योग और कल्याण के महत्व का समझा सकें। यह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि आर्थिक कल्याण। हमें बहुत दूर नहीं जाना है। हमें बस भारतीय संस्कृतियों और परंपरा की जड़ों पर ध्यान देना होगा। योग एक ऐसा उपहार है जिसे आप अपनी आने वाली पीड़ी को जरूर देना चाहेंगे, खासकर एक बढ़ते हुए बच्चे को न केवल माता – पिता के रूप में, बल्कि चाचा, चाची, भाई, बहन, दोस्त के रूप में भी आप उन्हें योग की शिक्षा दे सकते हैं। दुनिया को अधिक से अधिक सुखद और खुश मुस्कुराते चेहरों की आवश्यकता है। हमारा विश्व ऐसे लोगों से भर गया है जिन्हें खुश रहने के लिए महंगे साधनों की आवश्यकता है।

खुशी मन की एक सुखद स्थिति है। खुशी को एक आदत बनाया जा सकता है, अगर इसके लिए सही तकनीक का उपयोग करें। शोध बताते हैं कि भले ही स्थिति कोई भी हो आप क्रोधित, दु:खी, तनावग्रस्त, चिंतित, डर या भय में हो तब भी योग आपको 24 घंटे एक सुखद अहसास बनाए रख सकता है। योग के सहारे आप अपने भीतर के जीवन को नियंत्रित कर सकते हैं। यदि हमें खुशी या उदासी के बीच किसी एक विकल्प को चुनना हो तो हम सभी खुशी ही चुनेंगे। फिर हम खुश रहने के लिए रोजाना कुछ समय क्यों नहीं निकाल सकते।

दुर्भाग्य से, हम में से कई लोगों के पास इस सवाल का जवाब नहीं है। यह वह समय है जब हम योग में पीछे हट जाते हैं। एक अच्छी बात यह है कि जागरूकता बढ़ रही है और बहुत सारे युवा योग का सहारा ले रहे हैं।

योग में प्राणायाम, ध्यान, आसन जैसी कई सहायक नदियां हैं। आइए हम एक ऐसे आसन को देखें जिसे पर्वतासन कहा जाता है। और, इस आसन का मुख्य लाभ यह है कि यह रीढ़ की हड्डी, निचले शरीर और मस्तिष्क के रक्त संचरण में सुधार करता है। इस आसन के दो रूप हैं। जो खड़े स्थिति में किया जाता है उसे (Mountain pose yoga) या ताड़ासन योग(Tadasana Yoga) कहा जाता है। अन्य आसन जो बैठी हुई मुद्रा में किया जाता है, उसे पर्वतासन योग(Parvatasana yoga) कहा जाता है,।

चीजें जो आपको पर्वतासन के बारे में पता होनी चाहिए|

प्राचीन ज्ञान

पर्वतासन 12 मूल आसनों में से एक है। जब आप सूर्य नमस्कार (surya namaskar) करते हैं, तो आपके द्वारा किया जाने वाला 5वां और 8 वां पोज पर्वतासन ही होता है। कुछ आसन ऐसे लोगों के लिए डिजाइन किए गए हैं, जो विशेषज्ञ और योगी नहीं हैं। यह इतनी समझदारी से बनाया गया है कि कोई भी सामान्य गृहस्थ आसानी से इसे कर सकता है। यहां तक कि अगर आप एक विशेषज्ञ नहीं हैं, तो भी आप पर्वतासन के लाभों (Benefits of Parvatasana) का उपयोग कर पाएंगे। यह रीढ़ में होने वाली अकड़न को ढीला करता है और मन को शांत रखता है। यह हाथ और पैर की मांसपेशियों के लिए भी बेहतरीन है। पर्वतासन को आत्मविश्वास और सहनशक्ति बढ़ाने वाले योग के रूप में भी देखा जाता रहा है। पर्वतासन एक मौलिक योग आसन है जो अपने नाम के अर्थ को सार्थकता प्रदान करता है।

पर्वतासन का अर्थ

पर्वतासन संस्कृत के शब्दों पर्वत और आसन से आता है जिसका अर्थ पर्वत की मुद्रा है। पर्वतासन के कई शारीरिक और मानसिक लाभ हैं जिनमें एकाग्रता में सुधार भी एक है। माउंटेन पोज योग (Mountain pose yoga) या पर्वतासन(parvatasan Yoga), जैसा कि नाम से पता चलता है, इसमें पहाड़, स्थिरता और ताकत जैसे गुण हैं। इस आसन को खड़े होकर करने का भी एक तरीका है जिसे ताड़ासन मुद्रा(tadasan pose) कहा जाता है। यह भी दो संस्कृत शब्दों का संयोजन है, ताड़ा जिसका अर्थ है पहाड़ और आसन का अर्थ है मुद्रा। इस आसन में, हमारा शरीर नितंबों के साथ एक पर्वत जैसा दिखता है, जो पर्वत का शिखर है। पर्वत मुद्रा योग(parvat mudra yoga) स्थिरता की नींव का सार है। योग ग्रंथों के अनुसार, जब हम पर्वतासन में खड़े होते हैं, तो सिर ब्रह्मांडीय ऊर्जा के सबसे पास होता है, इस ऊर्जा का बहाव हमारे मस्तिष्क के माध्यम से पूरे शरीर में होने लगता है।

पर्वतासन के फायदे

आइए पर्वतासन के कुछ लाभ जानें।

– शरीर की मुद्रा और जागरूकता में सुधार करता है।

– पैरों को मजबूत बनाता है

– शरीर को सक्रिय रखता है

– फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है

– साँस लेने में सुधार

– पेट, कूल्हे और कमर को टोन करता है

– वजन घटाने में सहायक

– रीढ़ की हड्डी, हाथ और पैर के रक्त संचरण में सुधार करता है।

अब जब हमने पर्वतासन के बारे में कुछ जानकारियां एकत्र कर ही ली है तो क्यों ना पर्वतासन कैसे करें (How to do the mountain pose) या पर्वतासन की विधि( Method of parvatasana) के बारे में जानें। आइए जानते हैं कि हम पर्वतासन योग कैसे शुरू कर(how to start parvatasana yoga) सकते हैं। यहां एक बार और इस बात को स्पष्ट करना आवश्यक है कि पर्वतासन के दो रूप हैं। एक को बैठकर किया जाता है वहीं दूसरे को खड़े होकर।

पर्वतासन कैसे करें

इस आसन को करने के लिए सबसे पहले आप जमीन पर दरी बिछा लें और इसके बाद पद्मासन में बैठ जाएं।

– अब आप अपने हाथों की उंगलियों को आपस में फंसा लें।

– इसके बाद लंबी लंबी श्वास लेते हुए अपने हाथों को ऊपर की तरफ लेकर जाएं, इस दौरान आपके हाथ आपके सिर के ऊपर होना चाहिए। – अब आप अपने शरीर और हाथों को अच्छी तरह से ऊपर की ओर खीचें। इसी के साथ ही छाती और सीने को भी फुलाएं।

– इस दौरान आप अपनी श्वास को थोड़ा अंदर की तरफ रोक लें।

– इसके बाद आप पहले की अवस्था में आ जाएं। इस आसन को आप चार से पांच बार करें।

ताड़ासन कैसे करें(How to do Tadasana) ( पर्वतासन खड़े होकर)

जैसा कि हम सभी जानते हैं, व्यायाम के दौरान किसी भी चोट से बचने के लिए रीढ़, कलाई और टखनों का थोड़ा सा खिंचाव करना उचित है। ऐसा करने से आपका शरीर भार सहन करने वाली मांसपेशियों सक्रिय बनाए रखता है। आइए ताड़ासन की विधि(Method of tadasana) के बारे में चरणबद्ध तरीके से जानें।

– ताड़ासन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर एक योगा मेट बिछाए और सीधे खड़े हो जाएं। फिर अपने दोनों पैरों को आपस में मिलाकर रखें, और दोनों हाथों को सीधा कमर से सटाकर रखें।

– इस वक्त आपका शरीर स्थिर रहना चाहिए और हिलना डुलना नहीं चाहिए। मतलब की आपके दोनों पैरों पर शरीर का वजन सामान होना चाहिए, अब धीरे – धीरे हाथों को कंधों के समानांतर लाएं।

– अब दोनों हथेलियों की अंगुलियों को मिलाकर सिर के ऊपर ले जाएं। अब सांस भरते हुए अपने हाथों को ऊपर की ओर खीचें, जब तक आपको कंधों और छाती में खिंचाव महसूस नहीं होता तब तक खीचें।

– अब अपने दोनों पैरों की एड़ियों को ऊपर उठाएं और सावधानी से पंजों के बल खड़े हो जाएं। अब फिंगर लॉक लगाकर हाथों के पंजों को ऊपर की ओर मोड़ दें।

– इस वक्त आपकी गर्दन सीधी होनी चाहिए और हथेलियां ऊपर की ओर मतलब आसमान की ओर होनी चाहिए। ध्यान रखें कि आपके पैरों की अंगुलियों पर शरीर का संतुलन बना रहें।

– कुछ देर इस स्थिति में रुकने के बाद सांस छोड़ते हुए हाथों को वापस सिर के ऊपर ले आएं। धीरे धीरे एड़ियों को भी जमीन पर टिका दें और दोनों हाथों को भी नीचे लाते हुए कमर से सटाकर पहले वाली स्थिति मतलब की विश्राम मुद्रा में आ जाएं। इस आसन को नियमित रूप से कम से कम 10 – 12 बार करें।

पर्वतासन कितनी देर करें

प्रारंभ में, 10-15 सेकंड के लिए अंतिम स्थिति रखने का प्रयास करें। नियमित अभ्यास के साथ इस सयम को 1 – 2 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है। पर्वतासन करने का सबसे अच्छा समय (Best time to do parvatasana) सुबह होता है। हालांकि, यह शाम को भी किया जा सकता है।

विशेषज्ञ की सलाह

पर्वतासन(parvatasan) या ताड़ासन(tadasana) करने के पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा कुछ सावधानियां है जिन्हे पर्वतासन या ताड़ासन करने से पहले आपको जान लेना चाहिए।

– यदि आपको रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कोई परेशानी है तो आपको यह आसन नहीं करना चाहिए।

– यदि आपको फ्रोजन शोल्डर और गठिया है।

– यदि आपको उच्च रक्तचाप और गंभीर हृदय संबंधी शिकायत है।

– यदि आपको कलाई या हैमस्ट्रिंग में कोई चोट लगी है।

शुरुआत के लिए पर्वतासन

यदि आप योग में एक नयी शुरुआती कर रहे हैं, तो संभव है आपका शरीर कम लचीला हो। लेकिन घबराने की कोई बात नहीं ऐसे मामले में, बस अपने घुटनों को थोड़ा मोड़ें, अपने कंधे को थोड़ा नीचे झुकाएं, और अपनी रीढ़ को सही करने का प्रयास करें। आप पाएंगे कि जब आप इसे नियमित रूप से करते हैं तो आपकी रीढ़ सही ढंग से ऊपर जाएगी और नियमित अभ्यास द्वारा आप आवश्यक लचीलापन प्राप्त कर पाएंगे। पर्वतासन या ताड़ासन की मुद्रा(pose of parvatasan or tadasana) का लंबे समय तक अभ्यास करने के लिए आपको अपनी कलाई और पंजों को मजबूत बनाना होगा।

निष्कर्ष

अब जब आप पर्वतासन की मूल मुद्रा को समझ गए हैं, तो इस आसन के साथ अपने दिन की शुरुआत करने का समय आ गया है। योग नामक इस प्राचीन ज्ञान की गोद में लाड़ प्यार पाने के लिए इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। यदि आप जीवन की प्रकृति का ध्यानपूर्वक निरीक्षण करते हैं और उचित ध्यान देते हैं, तो आप महसूस करेंगे कि आपके नियंत्रण में केवल चीजें ही नहीं बल्कि आपका दिमाग और आपका शरीर भी हैं। यदि योग को खुशी के लिए आधुनिक बीमा पॉलिसी माना जाता है तो यह गलत नहीं होगा। आप आनंद से मुक्ति तक योग के हाथों को एक बच्चे के रूप में पकड़े हुए यात्रा पर जा सकते हैं। अलौकिक होना कोई बड़ी बात नहीं है, बल्कि इंसान होना महत्वपूर्ण है। हम में से हर एक के पास अलौकिक होने की संभावना है। 

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