योग में शीर्षासन को राजा की उपाधि हासिल है, जानिए इसके क्या हैं लाभ

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शीर्षासन मुद्रा का महत्व

शीर्षासन (sirsasana) मुद्रा को सबसे अधिक लाभकारी योग मुद्राओं (sirsasana yoga) में से एक माना जाता है। शीर्षासन सिर के बल किए जाना वाला आसन होता है। योग में शीर्षासन का बहुत बड़ा महत्व है। यह योग के सभी महत्वपूर्ण आसनों में से एक है। इसके अभ्यास से कई प्रकार की बीमारियों में लाभ प्राप्त होता है। इसके अभ्यास से मुख्य रूप से

मानसिक समस्याओं में काफी लाभ मिलता है। सभी योग कक्षाओं में शीर्षासन का मुख्य रूप अभ्यास कराया जाता है। इससे होने वाले लाभों की बात करें तो इसकी फेहरिस्त बहुत लंबी है। शीर्षासन से मानसिक मजबूती मिलती है, एकाग्रता तथा शरीर का पॉश्चर अच्छा रहता है। इसके अलावे दिल व सांस संबंधी समस्याओं में भी लाभ प्राप्त होता है।

शीर्षासन के अभ्यास के लिए व्यक्ति को सबसे पहले अपने दोनों घुटनों को फर्श पर तथा दोनों हाथों को नीचे फर्श पर रखना चाहिए। इसके बाद आप दोनों हाथों को जमीन पर मजबूती से रखें। इसके बाद अपने सिर को जमीन पर टिकाएं। फिर दोनों हाथों को फर्श पर मजबूती से टिकाते हुए अपने दोनों पैर को सतुंलन बनाते हुए धीरे- धीरे ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस प्रकार आप शीर्षासन (headstand pose) के आसन को आसानी से कर पाते हैं। ध्यान रहें इस अभ्यास के दौरान दोनों पैरों को एक सीध में ऊपर रखना होता है। इस अभ्यास को कम से कम 20-30 सेकंड करना लाभदायक होता है।

शीर्षासन सिर में स्थित सहस्रार चक्र को जगाने का काम करता है। योग विशेषज्ञ व्यक्ति को इस मुद्रा को करने की अवश्य सलाह देते हैं। सहस्रार चक्र सिर के टेंपल में स्थित है। यह आध्यात्मिकता, शांति और ज्ञानोदय को आपस में जोड़ने के लिए जिम्मेदार ऊर्जा का केंद्र है। यह पूरे शरीर और दिमाग को पुनर्जीवित करता है। यह मन को शांत करता है और व्यक्ति को चिंता और अन्य मनोवैज्ञानिक गड़बड़ी से राहत देता है। अस्थमा, मधुमेह या हार्मोनल परिवर्तन में भी सकरात्मक लाभ मिलता है। यह मुद्रा उल्टे रूप में गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध होती है। यह ऊतक पुनर्जनन में मदद करता है। उल्टे स्थिति में यह डायाफ्राम पर पेट के निचले अंगों का भार लेकर सांस छोड़ने में मदद करता है, जिससे फेफड़ों से कार्बन डाइऑक्साइड निकल जाता है। शीर्षासन के लिए बहुत धैर्य और अनुशासन की आवश्यकता होती है। इस मुद्रा में महारत हासिल करने में समय लगता है। शुरुआत में पूरे शरीर को संतुलित करने में कुछ समस्या हो सकती है। क्योंकि इस अभ्यास में पूरा वजन सीधे कंधे और सिर पर पड़ता है। एक बार जब आप शीर्षासन से सहज होने लगते हैं। तो आप इसके लाभों को महसूस कर सकते हैं। यह मन को शांत करने में भी मदद करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात इस अभ्यास को करने से पहले इसके बारे में पूरी जानकारी अवश्य रखनी चाहिए। जो कोई व्यक्ति इस अभ्यास को करने में सहज महसूस करता हो, उसे ही यह योग करना चाहिए।

शीर्षासन (headstand pose) पोज कैसे करें?

शीर्षासन (headstand pose) के अभ्यास के लिए एक चादर या मैट को फर्श पर बिछा देना चाहिए। सिर शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसलिए व्यक्ति को इस अभ्यास करने को लेकर विशेष सावधान रहना चाहिए। इस अभ्यास के लिए जितना हो सके सॉफ्ट मैट या चादर का इस्तेमाल करना चाहिए।

सबसे पहले घुटने को फर्श पर टिकाएं। फिर अपनी उंगलियों को आपस में बांध लें और फोरआर्म्स को फर्श पर रख दें। हाथ और कोहनी चौड़े वी आकार में होने चाहिए। अब सिर के अग्र भाग को फर्श पर स्थापित करें। इस आसन की शुरुआत (headstand for beginners) कर रहे लोगों को पहली बार में किसी की मदद लेनी चाहिए। इसके बाद अपने पैरों को एक सीध में ऊपर खींचना चाहिए।

यह अभ्यास के सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक है। फिर ऊपर की जांघ को एक उल्टा वी बनाते हुए ऊपर उठाएं। इस दौरान शरीर का आधा भार कंधे पर होता है। फिर धीरे-धीरे अपने पैरों को ऊपर की ओर उठाएं। इस कदम का धीरे-धीरे पालन करने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। यह पूरे शरीर के वजन को कंधे और गर्दन पर पड़ने से रोकने में मदद करेगा। हालांकि सांस छोड़ें और ध्यान दें कि दोनों पैर एक साथ ऊपर होने चाहिए। चूंकि पैर अब फर्श के लंबवत है। इस दौरान पूरा शरीर सीधा होना चाहिए।इस पोजीशन में रहते हुए आराम से सांस लें। यह अभ्यास जब तक आप कर सकते हैं तब तक करना चाहिए। फिर धीरे-धीरे मूल स्थिति में लौटने के लिए क्रिया को उलट देते है। फिर उसी प्रकार दोनों पैर को नीचे भी लाना चाहिए।

संशोधन और बदलाव

शीर्षासन (headstand pose) के अभ्यास में कई संशोधन और विविधताएं संभव है, जिन्हें कोई भी आजमा सकता है। हालांकि इस अभ्यास के मुद्रा में अगर किसी प्रकार की शरीरिक समस्या की स्थिति होती है, तो संशोधनों को आजमाने के लिए किसी विशेषज्ञ योग चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

सलम्बा शीर्षासन 2

इसे शीर्षासन 2 मुद्रा कहा जाता है। इसमें हथेलियां नीचे और कंधे चौड़े होते हैं।

सलम्बा शीर्षासन 3

इसे शीर्षासन 3 कहा जाता है। जिसमें हथेलियां नीचे की ओर, चेहरे के सामने होती हैं।

बद्ध हस्त शीर्षासन:

इसे बाउंड हैंड हेडस्टैंड भी कहा जाता है।

बद्ध कोणासन शीर्षासन:

यह शीर्षासन में बाउंड एंगल पोज होता है।

एक पाद शीर्षासन

यह एक पैर वाला शीर्षासन है।

मुक्त हस्त शीर्षासन

अपने नाम के अनुरूप इसे फ्री हैंड्स हेडस्टैंड भी कहा भी जाता है।

पार्श्व शीर्षासन

इसे साइड हेडस्टैंड कहा जाता है।

पार्श्व एकपद शीर्षासन

यह सिंगल लेग हेडस्टैंड (eka pada sirsasana) की विविधताओं में से एक है।

उपविस्थ कोणासन शीर्षासन

इसे शीर्षासन को बैठे कोण की मुद्रा कहा जाता है।

इस अभ्यास में उक्त सभी बदलाव किसी अनुभवी योग शिक्षक की विशेषज्ञ देखरेख में करने की जरूरत है।

शीर्षासन के लाभ

शीर्षासन (Sirsasana) के अभ्यास से कई लाभ हैं। हालांकि इसके सभी लाभों को एक साथ रखना मुश्किल होगा, क्योंकि इसकी लिस्ट काफी बड़ी है।

मस्तिष्क संबंधी कार्य : पिट्यूटरी ग्रंथि मस्तिष्क में मास्टर ग्रंथि होता है। यह अन्य ग्रंथियों जैसे अधिवृक्क ग्रंथियों, थायरॉयड ग्रंथि को नियंत्रित करता है, जो अंतःस्रावी तंत्र को बनाता है। इस प्रकार यह अंतःस्रावी तंत्र को नियंत्रित करता है। शीर्षासन करने से मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बढ़ता है। यह संज्ञानात्मक कार्यों में सुधार करने में मदद करता है। यह इंट्राक्रैनियल दबाव (intracranial pressure) में सुधार करने में भी मदद करता है।

रक्त और लसीका

शीर्षासन रक्त प्रवाह को बढ़ाकर अग्न्याशय के काम को बढ़ाने में मदद करता है। यह रक्त में शर्करा के चयापचय में सुधार करने में मदद करता है। हमारा शरीर लसीका तंत्र के माध्यम से अपशिष्ट को निकालता है। यह मुद्रा लसीका तंत्र को उत्तेजित करने और लसीका तंत्र से विषाक्त पदार्थों की आवाजाही में मदद करता है।

तनाव में राहत

शीर्षासन रक्तचाप को सामान्य करने, मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने और मस्तिष्क में किसी भी रुकावट को कम करने में मदद करता है। यह रक्त प्रवाह को सुचारू कर न्यूरॉन्स से संबंधित किसी भी तनाव से राहत देता है। इससे तंत्रिका तंत्र भी उत्तेजित होता है। साथ ही यह तंत्रिका को शांत करता है। इससे मानसिक क्षमता का विकास होता है। इसके अभ्यास से एकाग्रता बढ़ती है। यह दिमाग को तेज और स्वस्थ रखने में भी मदद करता है।

मांसपेशियों को मजबूत करता है

शीर्षासन (sirsasana yoga) से मांसपेशियों को भी कई तरह के लाभ होते हैं। इससे पीठ, गर्दन और कंधे की मांसपेशियां बेहतर होती हैं। इसके साथ ही मेरुदंड को भी शक्ति और दृढ़ता प्राप्त होती है।

शीर्षासन में सावधानिय़ां

पीठ की चोट, सिरदर्द, हृदय की समस्या या उच्च रक्तचाप वाले लोगों को शीर्षासन (Sirsasana) नहीं करना चाहिए। मासिक धर्म की समस्या वाली महिलाओं को भी इस मुद्रा से दूर रहना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को यह अभ्यास नहीं करना चाहिए।

शीर्षासन (headstand pose) को एक मध्यवर्ती मुद्रा माना जाता है। इसलिए यदि आप इसकी शुरुआत करना चाहते है तो इसके पहले इसके विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। शीर्षासन को योग मुद्राओं का राजा कहा जाता है। इस मुद्रा के अभ्यास से अत्यधिक स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यदि आपको किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या हो तो इस मुद्रा (sirsasana pose) से दूर रहना चाहिए।

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