पांवों को सुरक्षित और स्थिर रखने के लिए: डांसर पोज नटराज आसन

Blog title

नटराजासन (natarajasana) संस्कृत शब्द नट से निकला है। शास्त्रों के अनुसार नटराज भगवान शिव की देन है। भगवान शिव को नटराज के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव द्वारा किया जाने वाला नृत्य नटराज कहलाता है। अंग्रेजी में इस आसन को लार्ड ऑफ द डांस पोज कहते हैं।नटराज के माध्यम से भगवान शिव ने दुनिया में संगीत के लिए प्रेम, नृत्य और कला का ज्ञान दिया था। नटराज नृत्य की विधा प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति का हिस्सा है। स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से इस नृत्य का बहुत बड़ा महत्व है। वैसे भी नृत्य शरीर को तंदुरुस्त बनाने का काम करता है। यह मुद्रा भरतनाट्यम से उत्पन्न हुई है। इसे अक्सर एक सुंदर मुद्रा के रूप में  बताया जाता है। नृत्य मुद्रा की यह शैली तनाव को दूर करने तथा एकाग्रता बनाने में सहयोग करती है। नटराज का पोज देखने में भले ही खूबसूरत लगता है, लेकिन इसे करना काफी मुश्किल होता है। इस नृत्य को करने के लिए काफी अभ्यास की जरूरत होती है।

नटराजासन (dancer pose) का महत्व

नटराजासन (natarajasana) संस्कृत शब्द नट से निकला है। शास्त्रों के अनुसार नटराज भगवान शिव की देन है। भगवान शिव को नटराज के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव द्वारा किया जाने वाला नृत्य नटराज कहलाता है। अंग्रेजी में इस आसन को लार्ड ऑफ द डांस पोज कहते हैं।नटराज के माध्यम से भगवान शिव ने दुनिया में संगीत के लिए प्रेम, नृत्य और कला का ज्ञान दिया था। नटराज नृत्य की विधा प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति का हिस्सा है। स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से इस नृत्य का बहुत बड़ा महत्व है। वैसे भी नृत्य शरीर को तंदुरुस्त बनाने का काम करता है। यह मुद्रा भरतनाट्यम से उत्पन्न हुई है। इसे अक्सर एक सुंदर मुद्रा के रूप में  बताया जाता है। नृत्य मुद्रा की यह शैली तनाव को दूर करने तथा एकाग्रता बनाने में सहयोग करती है। नटराज का पोज देखने में भले ही खूबसूरत लगता है, लेकिन इसे करना काफी मुश्किल होता है। इस नृत्य को करने के लिए काफी अभ्यास की जरूरत होती है।

नटराजासन (नटराज आसन) मुद्रा का महत्व

नटराजासन की मुद्रा जितनी खूबसूरत लगती है। इसे करना उतना ही मुश्किल होता है, क्योंकि इस नृत्य को पूर्ण करने के लिए काफी अभ्यास की जरूरत होती है। इसे करने में भले ही कठिनाई हो, लेकिन इसे एक उन्नत मुद्रा माना जाता है। इस मुद्रा को पूर्ण करने के लिए बार-बार अभ्यास की आवश्यकता होती है। यह नृत्य के माध्यम से पैरों और बांहों के खिंचाव को ठीक करने तथा मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है। यह पीठ के निचले हिस्से, बाइसेप्स, ट्राइसेप्स, हैमस्ट्रिंग, सीना, कूल्हा आदि की समस्या को दूर करने में मदद करता है। आयुर्वेद के अनुसार इस नृत्य मुद्रा से वात दोष दूर होता है। इस मुद्रा में पूरे शरीर को एक पैर पर संतुलन बनाकर खड़ा रहना होता है।

डांसर पोज योग ( Natarajasana ) कैसे करें

नटराजासन ( Natarajasana ) की शुरुआत करने के लिए सबसे पहले योग मैट या चादर पर ताड़ासन की मुद्रा में खड़े हो जाएं। इस दौरान अपनी सांस भीतर लेते हुए अपना बायां पैर पीछे की ओर उठाएं। पैर को उतना ही उठाना चाहिए, जिसमें एड़ी आपके बाएं नितंब को छूने लगे। इस दौरान घुटना मुड़ा हुआ होना चाहिए। इस अभ्यास में पूरे शरीर का वजन दाएं पैर पर रखना लाभदायक होता है। इस प्रक्रिया के दौरान आप अपनी दायीं जांघ का दबाव नितंब के जोड़ की तरफ डालें, साथ ही दाएं घुटने को ऊपर की तरफ खींचते हुए जोर डालें, ताकि दायां पैर मजबूत और सीधा बना रहे। इस अभ्यास के दौरान अपने धड़ को सीधा रखना चाहिए। बाएं हाथ से बाएं पैर को पकड़ें। इस दौरान ध्यान रखना जरूरी होता है कि आपकी निचली पीठ दबी हुई नहीं होनी चाहिए। आपका प्युबिस का हिस्सा नाभि की तरफ उठा हुआ होना चाहिए। इसके बाद अपने बाएं पैर को ऊपर उठाना शुरू करें और बायी जांघ को अपने पीछे की ओर बढ़ाएं। इस दौरान आप अपने दाहिने हाथ को आगे की ओर बढ़ाएं। इस मुद्रा में 15 से 30 सेकेंड तक बने रहना लाभदायक होता है। इसी प्रकार आप इस अभ्यास को अपने दूसरे पैर से करें। साथ ही इस स्थिति में 5 से 10 सांसों तक अभ्यास करना लाभदायक होता है। नटराजासन का अभ्यास सुबह के समय करने से ज्यादा लाभ मिलता है। हालांकि इस मुद्रा को शाम में भी किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए आपका पेट खाली होने चाहिए। इस आसन को शौच के बाद ही करना चाहिए।

नटराज नृत्य में संशोधन और बदलाव

नटराज नृत्य (dancer pose yoga) का अभ्यास स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना गया है। चूंकि यह एक एडवांस फेज है, ऐसे में यदि आप इसमें महारत हासिल करना चाहते हैं, तो आपको इस मुद्रा के पहले यह अभ्यास केवल बांह को पीछे लेकर जाकर, पैर को पकड़कर ऊपर उठाकर करना चाहिए। इस नृत्य के लिए संतुलन की आवश्यकता होती है। शरीर का संतुलन बनाने के लिए आपको किसी साधन की आवश्यकता होती है, जैसे एक दीवार या कोई साथी, जो आपको नृत्य के  अभ्यास के दौरान संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकें। दूसरी चीज है पैरों को ऊपर उठाना। अगर आपको पीठ में अकड़न के कारण पैर उठाना मुश्किल हो रहा है, तो आप अपने साथी को टखने और जांघों को एक साथ ऊपर की ओर बांधने के लिए कहें। हालांकि इसके लिए इस पर लगातार ध्यान की जरूरत पड़ती है। यदि कूल्हे लचीले नहीं हैं, तो दोनों में से किसी भी पैर को कोहनी में लाकर, पीठ के निचले हिस्से को थोड़ा मोड़कर और फिर पैर को सहारा देते हुए, कोहनी के भीतर उठाकर अभ्यास शुरू कर सकते है। खिंचाव के लिए आप अपने पैर को हवा में उठा सकते हैं। साथ ही बेहतर पकड़ और संतुलन पाने के लिए दीवार का सहारा ले सकते हैं। इस अभ्यास के दौरान आप अपनी कमर के स्तर तक कुर्सी या किसी प्रकार के ब्लॉक का सपोर्ट ले सकते है। डांसर पोज हैंडव्हील, डांसर पोज विद चेयर, हाथ से फर्श को छूते हुए डाउनवर्ड डांसर पोज आदि कुछ ऐसे संशोधन और विविधताएं हैं, जिन्हें कोई भी आजमा सकता है।

नटराजासन योग के लाभ

– इस आसन के अभ्यास से कंधे, छाती, कूल्हों, पीठ और पैरों की सभी मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
– यह आसन आपके सीने, टखने, नितंब और पैरों को मजबूत करने का काम करता है।
– यह आसन आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और वजन कम करने में मदद करता है। इसके अलावा यह आपके पेट और जांघों को अच्छा स्ट्रेच देने में मददगार होता है। इस आसन का अभ्यास आपके अंग विन्यास को अच्छा बनाने में सहायक होता है।
– यह शरीर में संतुलन बनाने के साथ पाचन को बेहतर करने में मदद करता है। इसके साथ ही यह आपके दिमाग को केंद्रित करने में मदद करता है, जिससे आपका तनाव और अवसाद कम होता है। यह आसन दिमाग को शांति प्रदान करने में मदद करता है। साथ ही शरीर को ज्यादा लचीला बनाता है।
– दूसरी ओर जब आप पैर को कूल्हे के स्तर से ऊपर बढ़ाते हैं, तो पैर की हैमस्ट्रिंग और क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियों में खिंचाव आता है।
– कुछ आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस नृत्य के अभ्यास से पुराने जोड़ों के दर्द को ठीक किया जा सकता है।
– नटराजासन ( natarajasana pose ) के अभ्यास से थायरॉयड ग्रंथि को सक्रिय करने में मदद मिलती है, छाती और पेट का क्षेत्र अधिक दूर तक फैला हुआ होता है, जिसके फलस्वरूप यह पाचन के सुधार करने में मदद करता है।
– यह बैठने के दौरान कठोर हो चुके नितंबों की मांसपेशियों को खोलने में मदद करता है। हालांकि इस मुद्रा के फायदे होने के साथ कुछ दुष्प्रभाव भी है।

डांसर पोज विरोधाभास

– नटराजासन के अभ्यास से पहले व्यक्ति को अपने शरीर में पहले से हो रही समस्याओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

– अगर आपको लो ब्लड प्रेशर की शिकायत है, तो नटराजासन से दूर रहना चाहिए। इसे करने के लिए विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।

– शुरुआत में नटराजासन को योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें। बाद में जब संतुलन बनने लगे तो आप खुद भी यह आसन कर सकते हैं।

– नटराजासन ( natarajasana pose ) का अभ्यास शुरू करने से पहले प्रारंभिक अवस्था में डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। इस मुद्रा में पैरों, कूल्हों और बांहों में लचीलेपन की आवश्यकता होती है। किसी भी व्यक्ति को इन अंगों के खिंचाव में दिक्कत होने पर चोट लग सकती है। रीढ़ की हड्डी में चोट या स्लिप डिस्क वाले व्यक्ति को इस मुद्रा से पूरी तरह बचना चाहिए।

– इस मुद्रा को करते समय यदि आप शुरुआत में किसी साथी की मदद लेते हैं, तो आपको काफी फायदा होता है। अभ्यास के दौरान आपका साथी एक पैर पर संतुलन बनाने में मदद करता है। वह आपको जमीन से गिरने से बचाने में सहयोग करता है।

– एक बार जब आप इस संतुलन में महारत हासिल कर लेते हैं, तो इसके बाद आप इस मुद्रा को अपने दम पर कर सकते हैं।

क्या आप अन्य योगों के बारे में अधिक गहराई से जानना चाहते हैं तो अभी किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से बात करें

संबंधित पोस्ट पढ़ें:-

शुरुआती लोगों के लिए सरल योग आसन
हॉट योगा के लिए 26 आसन
28 योग आसन आपको आज ही आजमाने चाहिए|

Talk to Online Therapist

View All

Continue With...

Chrome Chrome