क्या है हलासन, जानिए हल मुद्रा योग के बारे में

हलासन (halasana) या हल मुद्रा एक व्युतक्रम है, जिसे उलटा योग मुद्रा भी कहा जाता है। इसे हलासन या प्लो पोज (Plow Pose) योगा कहा जाता है। इसके हलासन कहे जाने का कारण यह है कि इस मुद्रा में शरीर हल के समान दिखाई देता है। अगर हलासन को सही तरीके से किया जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद (halasan ke fayde) होता है। इससे मधुमेह, थायरॉइड और मोटापा कम होता है। जिन लोगों को हलासन करने में परेशानी होती है, उन्हें अर्द्ध हलासन करना चाहिए। केवल भारत ही नहीं तिब्बत, चीन औऱ मिस्र की दंतकथाओं में भी हल का जिक्र पाया जाता है। हलासन नाम संस्कृत शब्द से आया है, जहां हल का अर्थ है हल या भारतीय किसानों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला पारंपरिक कृषि उपकरण। हल मुद्रा (halasana yoga ke fayde) का अभ्यास योग सत्र के अंत में किया जाता है और इसलिए इसे अंतिम मुद्रा या फिनिशंग पोज भी कहा जाता है। यह सांस लेने वाले व्यायाम और मेडिटेशन से पहले शरीर को आराम करने में मदद करता है।

हलासन मुद्रा - चरण दर चरण निर्देश

हलासन (Plow Pose) के बारे में आपने सुना तो होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कैसे किया जाता है। अगर नहीं तो यहां हम आपको इसके बारे में बताएंगे।

फर्श पर सीधे लेट जाएं, दोनों हाथ शरीर के दोनों ओर, हथेलियां नीचे की ओर हों और पैर आपस में जुड़े हों। धीरे-धीरे सांस लें, गहरी सांस लें और शरीर को आराम दें।

अपने मजबूत पेट की मांसपेशियों की मदद से, धीरे-धीरे पैरों को फर्श से उठाएं, उन्हें तब तक उठाएं जब तक कि वे फर्श पर लंबवत न हों। पैरों को सीधा और एक साथ रखें।

अपनी बाहों को फर्श से दबाते हुए, अपने नितंबों को सहारा से उठाएं। रीढ़ की हड्डी को तब तक घुमाते रहें जब तक कि आपके पैर का अंगूठा आपके सिर के ऊपर फर्श तक न पहुंच जाएं। पैरों को जबरन फर्श से न छुएं। यहां पैरों को सीधा रखना मायने रखता है।

रीढ़ की हड्डी को जितना हो सके सीधा रखें, जैसे कि यह अंतिम स्थिति में फर्श से लंबवत हो। यदि आप पहली पर यह कर रहे हैं तो अपनी पीठ को सपोर्ट देने के लिए अपने दोनों हाथों को पसलियों के पीछे रखकर अपनी बाहों का सहारा ले सकते हैं।

ज्यादा सहयोग के लिए दोनों हाथों की उंगलियों को इंटरलॉक करते हुए, अपनी बाहों को करीब लाएं। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो केवल बाजुओं को पास लाएं और अंगूठे को मिलाएं।

अंतिम स्थिति में, आपकी ठुड्डी को कॉलर बोन के बीच में टिका होना चाहिए। यह वास्तव में कठिन है और इस स्थिति को प्राप्त करने के लिए आपको बहुत अधिक अभ्यास की आवश्यकता होगी। लेकिन, ऐसा जबरन करने का प्रयास न करें, अन्यथा गर्दन की मांसपेशियों पर खिंचाव हो सकता है।

अब पैरों और बाजुओं को विपरीत दिशा में फैलाएं और आरामदायक स्थिति के मुताबिक लगभग 15 सेकंड से एक मिनट तक इस मुद्रा में रहें। धीमी और गहरी सांसें लें।

मुद्रा से वापस आने के लिए रीढ़ को धीरे से नीचे करें, पैरों को लंबवत स्थिति में लाएं और धीरे-धीरे उन्हें जमीन पर ले आएं। अंत में, अपने शरीर को आराम दें।

हल मुद्रा के टिप्स और लाभ

यहां आपको हलासन करने के टिप्स और इसके लाभ (halasan ke labh) के बारे में जानकारी दी जा रही है।

सुझाव

  • हलासन योग करने का सबसे आरामदायक तरीका है यह है कि अपने कंधों के नीचे मुड़ा हुआ कंबल रखें। यह आपके ऊपरी शरीर और गर्दन को सहारा देता है और चोट से बचाता है।
  • यदि आप आसानी से अपने कूल्हों को जमीन से नहीं उठा सकते हैं, तो आप नीचे एक तकिया रख सकते हैं। यह आपको बिना किसी चिंता के उठने में मदद करेगा।
  • मदद के लिए दोनों हाथों की ताकत का प्रयोग करें, उन्हें तब तक नीचे दबाएं जब तक कि आपके पैर की उंगलियां जमीन को सफलतापूर्वक छू न लें। मदद इलिए भी जरूरी है, क्योंकि इससे असंतुलन नहीं होता और झटका भी नहीं लगता।
  • यदि व्यायाम की कमी के कारण आपकी पीठ अकड़ गई है, तो आप हलासन के दूसरे रूप अर्ध हलासन या आधा हल मुद्रा आज़मा सकते हैं, जिसमें आप अपने पैरों को फर्श के समानांतर एक कुर्सी पर ऊपर रखते हैं।
  • धीरे-धीरे सांस लें और मुद्रा में आने के दौरान अपनी सांस को रोककर रखें। सांस छोड़ें और फिर मुद्रा में रहते हुए अपनी सांसों को आराम दें।

लाभ

  • शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखते हुए उसकी कार्यप्रणाली को बढ़ाता है।
  • पाचन तंत्र में सुधार, कब्ज और अपच को ठीक करने में मदद करता है।
  • शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को फिर से जीवंत करता है।
  • अधिवृक्क ग्रंथियों, प्लीहा, यकृत और गुर्दे को पुनर्जीवित करता है।
  • यह महिला प्रजनन प्रणाली के कामकाज में सुधार करता है।
  • मधुमेह को रोकने, इंसुलिन उत्पादन को विनियमित करने में मदद करता है।
  • रीढ़ की हड्डी के स्तंभ में रक्त परिसंचरण में सुधार, रीढ़ की नसों को मजबूत करता है।

शुरुआत करने वालों के लिए हलासन, सुरक्षा और सावधानियां

शुरुआत करने वालों को यह ध्यान रखना चाहिए कि हलासन योग में आप अपने कंधों को बहुत ज्यादा खींचकर अपनी गर्दन को खींच सकते हैं। आपको बस अपने कंधों को अपने कानों की ओर थोड़ा ऊपर उठाने की जरूरत है, ताकि गर्दन और गले पर दबाव न पड़े। अपने कंधे की हड्डियों को पीछे की ओर रखते हुए, इसे धीरे-धीरे लें। सर्वांगासन के तुरंत बाद हल मुद्रा शुरू करना बेहतर होता है। इस दौरान इस बात का ध्यान रखें कि आपके शरीर की गति धीमी और आरामदेह हो। हलासन या हल मुद्रा का अभ्यास करने का सबसे अच्छा समय सुबह होता है। इस दौरान खाली पेट में यह अभ्यास करना चाहिए। अगर आपको सुबह इसके लिए समय नहीं मिल पाता है, तो आप शाम को इसका अभ्यास कर सकते हैं। इस आसन का अभ्यास करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आप खाली पेट हैं या आपने शौच कर लिया है। बेहतर होगा कि आप इस अभ्यास से 4-6 घंटे पहले खाना खा लें। मासिक धर्म या गर्भावस्था के दौरान हलासन के अभ्यास से बचना चाहिए। उच्च रक्तचाप, बढ़े हुए थायरॉयड या लीवर, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, कमजोर नेत्र वाहिकाओं और मस्तिष्क रोगों वाले लोगों को हल मुद्रा योग से दूर ही रहना चाहिए, क्योंकि इस मुद्रा को करने से रीढ़, पेट, मस्तिष्क और आंखों पर दबाव पड़ता है।

क्या हल मुद्रा खतरनाक या कठिन है?

यदि आप हलासन करना चाहते हैं तो कर सकते हैं, क्योंकि हलासन मुश्किल नहीं है। हालांकि आपको इस दौरान क्या करें औऱ क्या न करें, इसका विवेकपूर्ण तरीके से पालन करना होगा।

क्या करें?

अपने पैरों को घुटनों से इस तरह सीधा रखें कि आपके पैर की उंगलियां आपके सिर के ऊपर से जमीन को छुएं। पीठ को जितना हो सके सीधा और लंबवत रखते हुए, अपने पैरों को एक सीधी रेखा में रखना चाहिए । सुनिश्चित करें कि आपकी भुजाएं सीधी और हथेलियां, जमीन की ओऱ और आपकी ठुड्डी छाती से सटी हुई हो।

क्या न करें?

अपने घुटनों को मोड़ने या ठुड्डी के ऊपर से उन पर दबाव डालने से बचें। कभी भी जल्दबाजी न करें। हल की मुद्रा में जितना हो सके धीरे-धीरे आगे बढ़ें क्योंकि इस आसन से आपकी रीढ़ पर बहुत दबाव पड़ता है।

अर्ध हलासन योग के चरण और इसके लाभ

अर्ध हलासन या आधा हल मुद्रा की बात करें तो यह हलासन के पहले की एक प्रारंभिक मुद्रा है।

इन नियमों का करें पालन

जमीन पर सीधे यानी पीठ के बल लेट जाएं, पैरों को एक साथ रखें और धीरे-धीरे सांस लें।

जैसे-जैसे आप सांस लेते हैं, एक या दोनों पैरों को तब तक ऊपर उठाएं जब तक कि आप उन्हें सीधे और शरीर के लंबवत ऊपर न उठा लें।

एक बार जब आप इस स्थिति में आ गए, तो आप अर्ध हलासन मुद्रा में होते हैं।

कुछ देर इसी पोजीशन में रहने के बाद अपने शरीर को आराम दें।

हलासन मुद्रा के लिए, अपने पैरों को अर्ध हलासन की तरह सीधा रखने की बजाय, आप उन्हें अपने सिर के ऊपर 180 डिग्री के कोण पर फैलाएं, ताकि पैर की उंगलियां आपके सिर के ऊपर से होते हुए जमीन को छुएं।

इस दौरान आप अपनी भुजाओं का सहारा ले सकते हैं।

हलासन के लाभ

– जो लोग सिक्स पैक एब्स बनाना चाहते हैं, उनके लिए अर्ध हलासन सबसे अच्छा है। यह पेट के स्वास्थ्य में सुधार करता है।

– हल मुद्रा और आधा हल मुद्रा दोनों ही पाचन तंत्र के लिए अच्छे हैं।

– यह रक्त परिसंचरण में सुधार करता है।

– आप इन आसनों से पेट की चर्बी कम कर सकते हैं और जबरदस्त वजन घटा सकते हैं।

– आपके पेट के अधिकांश विकारों को दूर करता है।

– अनिद्रा, बांझपन और साइनसाइटिस की पुरानी स्थितियों को ठीक करता है।

– यह योग आसन चिंता निवारक आसनों में से एक है।

निष्कर्ष

हल मुद्रा या हलासन (halasana) योग पांचवें चक्र को आराम पहुंचाने के लिहाज से एक आदर्श मुद्रा है, जिसके परिणामस्वरूप आपके शरीर का चयापचय धीमा हो जाता है। यह मुद्रा चौथे चक्र की ऊर्जा को भी संतुलित करती है, और बदले में छठे चक्र को उत्तेजित करने के साथ-साथ हृदय प्रणाली को पुनर्स्थापित करती है, जो आपके दिमाग को अच्छी तरह से संतुलित करती है। कुल मिलाकर कहें तो हलासन हमारे शरीर को लचीला बनाता है और रीढ़ जवां बनी रहती है। शुरुआत में ज्यादा बल प्रयोग से बचें।

आप यह भी पढ़ना पसंद कर सकते हैं:-

द सीटेड स्टाफ पोज या योग में दंडासन।
स्टेप अप विथ डांसर पोज़: द नटराज!
नीचे की ओर कुत्ते की मुद्रा में अपनी रीढ़ को आराम दें!

Talk to Online Therapist

View All

Continue With...

Chrome Chrome