भुजंगासन या कोबरा पोज तनाव मुक्त जीवन का मूल, मिलेगी निरोगी काया

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योग के इस आसन को भुजंगासन या कोबरा पोज (Bhujangasana – Cobra Pose) इसलिए कहा जाता है क्योंकि जब आप यह आसन करते हैं तो आपकी मुद्रा किसी कोबरा जैसी दिखती है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमें शरीर को ठीक रखना होगा और बीमारी को ठीक करने का सबसे बेहतरीन तरीका योग है। योग न केवल बीमारियों को ठीक करता है बल्कि शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करता है और योग में एक आसन भुजंगासन है। आज हम इसी आसन पर चर्चा करेंगे। इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि भुजंगासन क्या है(What is bhujangasana), भुजंगासन के लाभ(Benefits of bhujangasana) और भुजंगासन की विधि(Method of bhujangasana) या इसे कैसे करें?

कोबरा मुद्रा या भुजंगासन क्या है?(

भुजंगासन या कोबरा मुद्रा हमें अपनी रीढ़ को फिर से जीवंत करने में मदद करती है। रीढ़ शरीर में सभी न्यूरोलॉजिकल प्रगति का केंद्र है। शरीर के सभी कार्य मस्तिष्क द्वारा निर्देशित होते हैं और रीढ़ के माध्यम से ही मस्तिष्क तक ऊर्जा का प्रवाह होता है। यहां तक कि किसी छोटे मोटे काम के लिए भी ऊर्जा का संचार रीढ़ की हड्डी से ही होता है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम कोबरा की तरह अपनी रीढ़ को लचीला और मजबूत रखें। आपके पूरे जीवन में जो गतिशीलता है, वह रीढ़ की कार्यप्रणाली के बिना ठीक से संभव नहीं है। दूसरे शब्दों में, यदि आपकी रीढ़ काम करना बंद कर देती है, तो आप स्वयं को किसी पेड़ की तरह पाएंगे। यह ठीक ऐसा है जैसे कि हम लकवाग्रस्त लोगों या आंशिक रूप से लकवाग्रस्त लोगों के साथ देखते हैं। पीठ और भुजाओं को मजबूत करने के साथ, भुजंगासन(bhujangasana in hindi) हमारे पाचन अंगों को भी फैलाता है, स्वाधिष्ठान और मैनपुरा चक्रों को सक्रिय करता है। व्यायाम के रूप में हमारी रीढ़ को पुनर्जीवित करने का विचार असुविधा का एहसास दे सकता है। क्योंकि भुजंगासन के अभ्यास से आपको आंशिक रूप से पीठ या कमर दर्द की शिकायत हो सकती है। लेकिन फिलहाल हमारी जीवनशैली की वजह से हमारी रीढ़ सिकुड़ती जा रही है। इसीलिए जब हम भुजंगासन या कोबरा पोज(cobra pose in hindi) करते हैं तो हमें दर्द का अहसास होता है।

भुजंगासन के लिए हमें अधिक कुछ भी नहीं करना हाेता है। इसके लिए हमें बस जागरूकता के साथ बैठना, खड़े होना, या सोना जैसी साधारण चीजें ही करनी होती है। मौजूदा दौर में हम मोबाइल फोन और लैपटॉप पर बहुत समय बिताते हैं जिन्हें हम अजीब ढंग की मुद्राओं में करते हैं। नतीजतन, हमें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शुक्र है, हमारे पूर्वजों ने हमें योग के रूप में एक समाधान दिया है। आजकल चिकित्सक खुद अपने रोगियों को पीठ दर्द और तनाव से मदद के ताैर पर योग शुरू करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।

भुजंगासन का अर्थ

भुजंगासन संस्कृत शब्द भुजंग से आया है जिसका अर्थ है कोबरा और आसन का अर्थ मुद्रा या बैठना है। क्योंकि जब आप अपनी पीठ को उठाते हैं और उस मुद्रा में रहते हैं, तो यह कोबरा जैसा दिखता है, इसलिए इसे कोबरा मुद्रा(cobra mudra) भी कहा जाता है। अंग्रेजी में भुजंगासन को कोबरा पोज(cobra pose in hindi) कहा जाता है, क्योंकि इसे करते समय शरीर की आकृति कुछ सांप जैसी हो जाती है। स्वास्थ्य के लिए इस योगासन के कई फायदे हैं, इस वजह से सूर्य नमस्कार में भी इसमें शामिल किया गया है।

भुजंगासन के फायदे

भुजंगासन करने से कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं में लाभ मिलता है। आइए जानते हैं भुजंगासन के लाभ(Bhujangasana ke labh) के बारे में कुछ अधिक।

– रीढ़ को मजबूत बनाता है।

– छाती और फेफड़ें, कंधें और पेट में खिंचाव पैदा होता है।

– नितंबों को टोन करता है।

– पेट के अंगों को उत्तेजित करता है, जिससे पाचन तंत्र बेहतर होता है।

– तनाव और थकान से राहत मिलती है।

– दिल और फेफड़ों की कार्यशीलता बढ़ाता है।

– अस्थमा जैसी श्वास संबंधी बीमारियों के लिए लाभदायक है।

अब जब हमने भुजंगासन के लाभों के बारे में जान लिया है, तो हमें एक कदम आगे बढ़ना चाहिए और व्यावहारिक रूप से समझना चाहिए कि चरण-दर-चरण भुजंगासन कैसे करें(Bhujangasana kaise kare)। लेकिन यहां आपको यह बताना जरूरी है कि भुजंगासन को व्यावहारिक रूप से करने के लिए आपको नीचे दिए गए निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करना होगा।

भुजंगासन कैसे करें

– नीचे भुजंगासन या कोबरा पोज को चरणबद्ध ढंग से बताया गया है। इसे ठीक ढंग से करने के लिए आपको नीचे दिए गए चरणों का सावधानी से पालन करना चाहिए।

– जमीन पर पेट के बल लेट जाएं, पादांगुली और मस्तक जमीन पे सीधा रखें।

– पैर एकदम सीधे रखें, पांव और एड़ियों को भी एक साथ रखें।

– दोनों हाथ, दोनों कंधों के बराबर नीचे रखे तथा दोनों कोहनियों को शरीर के समीप और समानांतर रखें।

– लंबी सांस लेते हुए, धीरे से सिर, फिर छाती और बाद में पेट को उठाएं। नाभि को जमीन पर ही रखें।

– अब शरीर को ऊपर उठाते हुए, दोनों हाथों का सहारा लेकर, कमर के पीछे की ओर खीचें।

– ध्यान रहें कि दोनों बाजुओं पर एक समान भार पड़े।

– सजगता से श्वास लेते हुए, रीड़ के जोड़ को धीरे धीरे और भी अधिक मोड़ते हुए दोनों हाथों को सीधा करें। गर्दन उठाते हुए ऊपर की ओर देखें।

– अपने कंधों को ढीला रखें आवश्यकता हो तो कोहनियों को मोड़ भी सकते हैं। कोहनियों को सीधा रखकर पीठ को और ज्यादा मोड़ने का प्रयास करें।

– ध्यान रखें कि आप के पैर अभी तक सीधे ही हैं। हल्की मुस्कान बनाये रखें और लंबी सांस लेते रहें।

– अपनी क्षमतानुसार ही शरीर को तानें, शरीर को बहुत ज्यादा मोड़ना हानिकारक हो सकता है।

– सांस छोड़ते हुए पहले पेट, फिर छाती और बाद में सिर को धीरे से वापस जमीन पर ले आयें।

भुजंगासन कब और कितनी देर करें

भुजंगासन खाली पेट करने की सलाह दी जाती है। भुजंगासन करने का सबसे अच्छा समय(Best time to do Bhujangasana) सुबह का होता है क्योंकि इस समय आपका पेट पूरी तरह खाली होता है। हालांकि, अगर आप इसे शाम को कर रहे हैं तो भोजन करने और भुजंगासन करने के बीच कम से कम 4 से 5 घंटे का अंतर सुनिश्चित करें। जब आप भुजंगासन का अभ्यास शुरू करते हैं, तो 10 से 15 सेकंड से अधिक समय तक आसन करना संभव नहीं होगा, लेकिन अभ्यास के साथ यह आपके आराम के स्तर के अनुसार 1 या 2 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है।

विशेषज्ञ की सलाह

भुजंगासन का सीधा संबंध हमारी रीढ़ की हड्डी से होता है, इसलिए इसे करते समय आपको बेहद सावधानी बरतनी चाहिए। यदि आपको निम्न में से किसी भी प्रकार की समस्या है तो आपको भुजंगासन करने की सलाह नहीं दी जाती है।

– यदि आपको पीठ की गंभीर समस्या है।

– यदि आपको गर्दन की समस्या या स्पॉन्डिलाइटिस है।

– यदि आपको अल्सर जैसे पेट के रोग है।

– यदि आप गर्भवती हैं।

– यदि आपको गंभीर अस्थमा है।

नये लोग भुजंगासन कैसे करें

यह पैराग्राफ उन लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जिन्होंने इससे पहले कोई आसन कभी नहीं किया है और भुजंगासन के साथ ही शुरू करना चाहते हैं। दरअसल, भुजंगासन करने में एक आसान याेगासन है। यदि आपने इससे पहले कभी कोई आसन नहीं किया है तो आप भुजंगासन करने से पहले सलंब भुजंगासन(Salamba Bhujangasana) कर सकते है। आइए सलंब भुजंगासन के बारे में कुछ अधिक जानें।

सलंब भुजंगासन की विधि

सलंब भुजंगासन की विधि भुजंगासन से काफी हद तक एक मिलती जुलती मुद्रा है। सलंब भुजंगासन के निरंतर अभ्यास से आप अधिक आसानी के साथ भुजंगासन कर पाएंगे। आइए सलंब भुजंगासन की विधि जानें।

– पेट के बल लेट जाएं, पैरों के पंजों को फर्श पर समांतर रखें तथा माथे को जमीन पर टिका दें।

– पंजों और एड़ियों को हल्के से एक दूसरे को स्पर्श करते हुए अपने पैरों को एक साथ रखें।

– हाथों को आगे तानें, हथेलियां जमीन की ओर तथा भुजाएं जमीन को छूती रहें।

– एक गहरी सांस लें, धीरे से सिर, छाती और उदर को उठाएं जबकि नाभि फर्श से लगी रहे।

– भुजाओं की सहायता से धड़ को जमीन से दूर पीछे की ओर खींचें।

– गहरी सांस लेते और छोड़ते रहें और धीरे – धीरे रीढ़ की हड्डी के हर हिस्से पर ध्यान दें।

– सुनिश्चित करें कि आपके पैर अभी भी साथ में हो और सिर सीधा आगे की ओर झुका हुआ हो।

– सांस छोडते हुए, अपने उदर, छाती और फिर सिर को धीरे – धीरे जमीन की ओर नीचे लाएं।

 

सलंब भुजंगासन के फायदे

सलंब भुजंगासन रीढ़ को मजबूत करने और पेट के अंगों, छाती और कंधों को क्रियाशील करने में मदद करता है। यह योग आसन रक्त संचार में सुधार करता है और शरीर से तनाव को दूर करने का काम करता है।

सलंब भुजंगासन के दौरान सावधानी

यदि आप गर्भवती हैं या आपकी पसलियों या कलाई में फ्रैक्चर हुआ है या हाल ही में पेट का ऑपरेशन हुआ था तो आपको सलंब आसन नहीं करने की सलाह है।

निष्कर्ष

यह आसन कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करने वाले लोगों के लिए बेहद उपयोगी हो सकता है। हमें योग या आसनों को थोड़ा अलग तरीके से देखना चाहिए। आज हमारी सोच कुछ ऐसी हो गई है कि हम जब तक स्वास्थ होते हैं तब तक व्यायाम नहीं करते और जब कुछ गलत होता है, तो हम योग और व्यायाम के विभिन्न तरीकों और साधनों की तलाश शुरू करते हैं। यदि इसके विपरीत, हम कुछ भी गलत होने से पहले व्यायाम या योग करना शुरू करते हैं, तो यह अधिक समझदारी भरा निर्णय होगा। इसलिए, आइए हम भुजंगासन या कोबरा पोज से प्रेरित होकर अपने शरीर और दिमाग को अधिक लचीला और ग्रहणशील बनाने का प्रयास करें। 

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