अर्ध मत्स्येन्द्रासन – सही तरीके से अभ्यास कैसे करें

अर्ध मत्स्येन्द्रासन क्या है

अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha matsyendrasana) योग संस्कृत शब्द से लिया गया है। यह चार शब्दों के संयोजन से बना है। अर्ध का अर्थ आधा, मत्स्य का अर्थ मछली,  इंद्र का अर्थ भगवान और आसन का अर्थ मुद्रा है। इसे हाफ लार्ड आफ फिश कहा जाता है। इस अभ्यास में शरीर के सभी अंगों का व्यायाम हो जाता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Half spinal twist) योग हठ योग के 12 मूलभूत आसनों में से नौवां आसन है।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन का अर्थ क्या है?

अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha matsyendrasana) की गिनती हठ योग मुद्रा में होती है। अंग्रेजी में अर्ध मत्स्येन्द्रासन को फिश पोज का हाफ लॉर्ड (Half lord of the fish pose) कहा जाता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन से कई चिकित्सीय लाभ हैं। इस अभ्यास के करने से रीढ़ की हड्डी का विस्तार होता है। साथ ही गर्भाशय की समस्या में भी लाभ पहुंचाता है। यह पेट के अंगों को टोन करता है। इसके अलावा यह मेटाबॉलिज्म (चयापचय) में सुधार करता है। पीठ दर्द से प्रभावी ढंग से राहत देता है। यह आसन विशेषकर महिलाओं के लिए मासिक धर्म की अनियमितता और मूत्र मार्ग में संक्रमण के लिए भी फायदेमंद है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन मस्तिष्क को आराम देने, तंत्रिका तंत्र में सुधार और तनाव को कम करता है। इस अभ्यास से मणिपुर चक्र (Manipura chakra) सक्रिय होता है, जिससे आत्म-सम्मान, इच्छाशक्ति और आत्म-अनुशासन बेहतर होता है। इसके अलावा स्पाइनल को फ्लेक्सिबल बनाने में मदद करता है। मसल्स स्ट्रेच होने से लेकर कमर की अकड़न को कम, तनाव और चिंता से राहत, ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने, मधुमेह को कंट्रोल करने के साथ ही पाचन तंत्र बेहतर होता है।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन की मुद्रा

अर्ध मत्स्येन्द्रासन को हाफ लॉर्ड ऑफ द फिश पोज़ या सीटेड ट्विस्ट पोज़ भी कहा जाता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन संस्कृत शब्द से बना है। इस आसन से शरीर को स्वास्थ्य लाभ मिलने के साथ पाचन तंत्र को मजबूत बनता है।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन का अभ्यास निम्नलिखित चरणों में किया जा सकता है।

पहला चरण

इस अभ्यास के दौरान सबसे पहले अपने पैरों को अपने सामने सीधा करके फर्श पर बैठें। इसके बाद अपने घुटनों को मोड़ें तथा पैरों को फर्श पर रखे। बाएं पैर को इस तरह मोड़ें कि एड़ी कूल्हे के किनारे से स्पर्श करें।

अपने पैरों को अपने सामने फैलाकर दंडासन (Dandasana (Staff Pose)) की मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद अपने बाएं घुटने को मोड़कर अपने पिंडली को अपनी जांघ के विपरीत लाएं। इसके बाद आप अपने कूल्हों को चटाई से थोड़ा ऊपर उठाएं और अपने बाएं पैर को अपने नितंबों के नीचे रखें। साथ ही सुनिश्चित करें कि आपका पैर सही स्थिति में होना चाहिए, जबकि आपके पैर की उंगलियां दायी ओर होनी चाहिए। आपके बाएं पैर का बाहरी किनारा फर्श पर होना चाहिए। इस दौरान अपने बाएं पैर को फर्श पर रहने दें। इस अभ्यास के दौरान यदि आपका संतुलन अच्छा नहीं हो पा रहा है या आपके पैर में दर्द हो रहा है, तो अपनी सीट और पैर के बीच एक कंबल का इस्तेमाल करें। इस दौरान आप अपने दाहिने पैर को अपनी बायी जांघ के पास रखें और अपने दाहिने पैर को अपनी बायी ओर से पार करें ताकि आपके दाहिने टखने का बाहरी भाग आपकी बायी जांघ के बाहरी भाग के करीब हो सके। इस स्थिति के दौरान आपका बायां घुटना और दाहिना पैर दोनों आगे की ओर झुका होना प्रतित होना चाहिए। इसके बाद दोनों हाथों को अपने दाहिने घुटने पर रखें और अपने हाथों और दाहिने पैर से तब तक नीचे धकेलें जब तक आप स्थिर न हो जाएं।

इस अभ्यास का दूसरा चरण सांस छोड़ने की प्रकिया से शुरु करें। इस दौरान आप अपने दाहिने पैर को अंदर की ओर मोड़ें। साथ ही अपनी बायी ऊपरी भुजा को अपनी दाहिनी जांघ के बाहर घुटने के पास रखें और अपने दाहिने हाथ को अपने दाहिने नितंब के ठीक पीछे फर्श पर दबाएं। ध्यान रहें कि आप जितना हो सकें सामने वाले धड़ और भीतरी दाहिनी जांघ को एक साथ कस कर खींचे। अपने बाएं हाथ को अपने दाहिने पिंडली के चारों ओर लपेटें और अपने दाहिने हाथ को अपनी पीठ के पीछे घुमाएं। इस दौरान सांस लेते हुए अपनी सिर को ऊपर उठाएं तथा अपने कंधों को पीछे की ओर ले जाएं। इसके बाद आप अपनी छाती को चौड़ी करने की प्रकिया करें। इसके बाद अपने सिर को घुमाएं और अपने एक कंधे को पीछे रखने का प्रयास करें। इस दौरान अपने शरीर का संतुलन बनाए रखने के लिए एक मजबूत हाथ की पकड़ बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इसके बाद अपने कूल्हों और बगल की कमर पर ऊपर की ओर खिंचाव रखते हुए अपनी छाती को ऊपर उठाएं और फैलाने का प्रायास करें। इस स्थिति में 20-30 मिनट के लिए रुकना चाहिए।

तीसरा चरण

इस अभ्यास प्रकिया के दौरान दाहिनी कमर को छोड़ते हुए अंदरूनी दाहिने पैर को फर्श पर मजबूती से दबाकर सामने के धड़ को लंबा करने का प्रयास, करें। इसके बाद शरीर को थोड़ा पीछे झुकाकर टेलबोन को फर्श में लंबा करने का निरंतर प्रयास करते रहें।इसके बाद आप गहरी सांस लें और अपने बाएं हाथ और कंधे को आगे की ओर फैलाएं। इस दौरान आपका बायां पेट बाएं से दाएं की ओर मुड़ना चाहिए। इस स्थिति में आपका धड़ नदी की तरह आपके हाथ का अनुसरण करना प्रतीत होना चाहिए। ठीक उसी तरह जैसे परिव्रत त्रिकोणासन में होता है। इस दौरान आप अपने बाएं हाथ को फैलाना जारी रखें और इसे अपनी बाहरी दाहिनी जांघ पर रखें। इसके बाद आंतरिक रूप से अपनी बांह को घुमाने की कोशिश करें, ताकि आपकी हथेली ऊपर की ओर हो सकें।

चौथा चरण

इस चरण की अभ्यास प्रकिया में आप अपने अपने सिर को दो दिशाओं में से किसी एक दिशा में मोड़ें। इसके बाद फिर धड़ के दाहिनी ओर मुड़ने के साथ आगे बढ़ने का प्रयास करें। अब आप अपने धड़ को बायी ओर घुमाकर विपरीत दिशा मे भी कर सकते हैं। इसके बाद आप अपने बाएं हाथ को अपने दाहिने पिंडली के चारों ओर लपेटें और अपने दाहिने हाथ को अपनी पीठ के पीछे घुमाएं। इस प्रकिया में आपका बायां हाथ आपकी दाहिनी उंगलियों को पकड़ रहा प्रतीत होना चाहिए। अपनी सिर को ऊपर उठाएं और अपने कंधों को पीछे की ओर ले जाएं और सांस लेते हुए अपनी छाती को फैलाने का प्रयास करें। अपना सिर घुमाएं और अपने एक कंधे के पीछे देखें। इस दौरान अपने दाहिने कंधे को देखते हुए पूर्ण रूप से रीढ़ की हड्डी के घुमाव की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में शरीर को संतुलन बनाए रखने के लिए एक मजबूत हाथों की पकड़ बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है। इसके बाद आप अपने कूल्हों और बगल की कमर पर ऊपर की ओर खिंचाव रखते हुए अपनी छाती को ऊपर उठाएं और फैलाएं। यह प्रकिया कम से कम 20-30 सेकंड तक करनी चाहिए।

पांचवां चरण

अंतिम चरण की अभ्यास प्रकिया में आपको प्रत्येक सांस के साथ उरोस्थि से थोड़ा ऊपर उठना होगा। इसके समर्थन के लिए आप अपनी उंगलियों को फर्श पर स्थापित करना चाहिए। प्रत्येक सांस छोड़ने के साथ थोड़ा और मुड़ने का प्रयास करें। इस स्थिति में 30 सेकंड से 1 मिनट तक रुकने का प्रयास करना चाहिए। फिर सांस छोड़ें और फिर आप बांईं ओर वापस जाने से पहले प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाएं।

सावधानी

यदि आप पीठ या रीढ़ की हड्डी में चोट से पीड़ित हैं, तो आपको किसी अनुभवी प्रशिक्षक का मार्गदर्शन लेने की जरूरत पड़ेगी। इसके बाद ही आप इस मुद्रा को कर सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को इस आसन के अभ्यास से बचना चाहिए। घुटने में परेशानी, एसिडिटी या पेट दर्द और गर्दन में दर्द हो, तो भी इस आसन से परहेज करना चाहिए।

संशोधन

शुरुआत में इस अभ्यास प्रकिया के दौरान परेशानी हो सकती है। इसे करने के लिए आप दीवार पर अपनी पीठ के साथ एक फुट की दूरी पर रखे। यह दूरी आपकी बाहों की लंबाई के समान हो सकती है। मुड़ते हुए सांस छोड़ने के दौरान दीवार के नजदीक पहुंचें। इस दौरान आपका हाथ दिवार से दूर होना चाहिए। ध्यान रहें कि दीवार के बहुत पास न बैठें, क्योंकि इससे आपके कंधों में दर्द हो सकता है। इस दौरान आपको अपने सामने के धड़ के साथ जांघ के विपरीत झुककर दीवार को दूर धकेलने का प्रयास करना चाहिए।

यदि आपके मुड़े हुए पैर के चारों ओर अपनी बाहों को लपेटना, खींचना तथा बांधना संभव नहीं हो रहा हो तब आप दीवार के नजदीक जा सकते हैं। अपने दाहिने पैर को दीवार के समानांतर और फैलाकर बैठने का प्रयास करना चाहिए। इसके बाद आप अपने बाएं घुटने को मोड़ते हुए अपने बाएं पैर पर बैठने का प्रयास करें। ध्यान रहे आपके नितंबों और पैर के बीच एक कंबल भी रखे जाने की गुंजाइश हो सकें। अपने दाहिने पैर को अपने बाएं पैर के बाहरी किनारे पर रखें तथा अपने दाहिने घुटने को झुकाएं। फिर सांस छोड़ें और अपनी सिर के बाएं हिस्से को अपनी दाहिनी जांघ की ओर लाएं। फिर अपनी धड़ को दाईं ओर मोड़ें। इसके बाद बायी बांह के उपरी हिस्से को दाहिने पैर के बाहरी हिस्से के विपरीत रखें। फिर अपनी कोहनियों को मोड़कर अपनी हथेलियों को दीवार पर रखें।

एक नजर में अर्ध मत्स्येन्द्रासन

अपने दोनों पैरों को फैलाकर जमीन पर बैठ जाएं

बाएं पैर को इस तरह मोड़ें कि एड़ी कूल्हे के किनारे से स्पर्श करें

दायां पैर बाएं घुटने के पास जमीन पर रखें

बायी बांह को दाएं घुटने पर रखें और दाएं पैर के पंजे को बाएं हाथ से पकड़ लें

दाएं बांह को कमर की ओर से पीठ के पीछे ले जाएं

इस दौरान नाभि को स्पर्श करने का प्रयास करें

अपना सिर दायी और घूमाते हुए पीछे की ओर देखने का प्रयास करें

पीछे देखते वक्त सांस छोड़ें

इसी तरह दूसरी ओर से भी दोहराएं

निष्कर्ष

इस योग अभ्यास के लिए एक साथी की सहायता से विपरीत दिशा की कोहनी को ऊपरी जांघ के बाहर की ओर रखने का प्रयास करें। इसके बाद अपने पैरों को दायी ओर मोड़ें। इसके बाद आप अपने साथी को अपने दाहिनी ओर लगभग एक फुट की दूरी पर और अपने सामने रखें। अब आप अपने बाएं हाथ को अपने सामने बढ़ाएं। अपनी बांह के पिछले हिस्से को अपनी दाहिनी जांघ के ऊपर ले जाएं। इस दौरान आपके साथी को आपकी कलाई को ठीक से पकड़ने का प्रयास करना चाहिए। एक ही समय में अपने पैरों को अपनी दाहिनी जांघ के बाहर से दबाना चाहिए।

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