कपालभाति प्राणायाम – जानिए इस अद्भुत प्राणायाम के बारे में सबकुछ

कहते हैं कि मनुष्य का जीवन स्तर, दिन-ब-दिन अच्छा होता जा रहा है, लेकिन कुछ पाने के लिए बहुत कुछ खोना भी पड़ता है। भागती हुई जिंदगी के साथ मेल बिठा पाना इतना भी आसान नहीं होता है और इसका खामियाजा हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को करना पड़ता है। अगर आप खुद को पूरे दिन के मैराथन के बाद थका हुआ महसूस कर रहे हैं तो ये बहुत ही स्वाभाविक सी बात है।

आप अपने जीवन से संघर्षों को भले कम न कर सकें लेकिन कुछ आसान तरीके अपना कर आप अपने जीवन को संतुलित कर सकते हैं। भले आपको ये करने में आलस आए, लेकिन अगर आप ठान लेंगे तो ‘दिल्ली दूर नहीं’। योग करने से भी ज्यादा आसान है, रोजाना प्राणायाम करना। जब आपको इनके फायदों के बारे में पता चलेगा तो आप सहर्ष ही इसे अपने जीवन में अपना लेंगे। इन्हीं प्राणायाम में से एक है कपालभाति, जिसकी चर्चा हम यहां करेंगे।

कपालभाति प्राणायाम क्या है

प्राणायाम एक ऐसी कला है जो आपको सांस पर नियंत्रित करना सिखाती है। प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है- प्राण और आयम, जिसमे प्राण का मतलब जीवन रूपी ऊर्जा और आयम शब्द, नियंत्रण को दर्शाता है। कपालभाति प्राणायाम का ही एक प्रकार है। कपाल मस्तिष्क यानी सिर को कहा जाता है, जबकि भाती का अर्थ है चमकने वाला। निरंतर रूप से कपालभाति प्राणायाम करने से चेहरे चमकदार दिखता है। इस प्राणायाम को धरती की संजीवनी के रूप में भी जाना जाता है। कपालभाति प्राणायाम करते समय मूलाधार चक्र पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। जिसके संतुलित होने से कुण्डलिनी शक्ति जागृत हो सकती है। कपालभाति प्राणायाम करते समय शरीर से विषाक्त पदार्थों की निकासी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। कपालभाति करने से शरीर के सभी अंगों की कार्यप्रणाली और क्षमता बढ़ती हैं और खून को शुद्ध करने में भी सहायता प्राप्त होती है।

कपालभाति प्राणायाम के प्रकार

कपालभाति प्राणायाम के तीन प्रकार होते हैं

वातक्रम कपालभाती

इसे भस्त्रिका प्राणायाम के समान माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इसमें सांस छोड़ना सक्रिय है, जबकि सांस लेना निष्क्रिय है, जो कि सामान्य श्वास के विपरीत है।

व्युत्क्रम कपालभाती

ये जल नेती  के समान एक अभ्यास, इसमें नासिका के माध्यम से पानी को सूंघना और इसे मुंह में प्रवाहित कर इसे बाहर थूकना होता है।

शीतकर्मा कपालभाती

शीतकर्मा कपालभाति को को व्युत्क्रम कपालभाति का उल्टा माना जा सकता है, जिसमें पानी मुंह से लिया जाता है और नाक से बाहर निकाला जाता है।

कपालभाति प्राणायाम करने का तरीका

यह प्रक्रिया श्वास से संबंधित है, इसलिए इसे पद्मासन में बैठकर किया जाना सबसे उपयुक्त होता है। पेट की मांसपेशियों को इस प्रक्रिया में स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित किया जाना चाहिए। बैठने या सोते समय शरीर में इतनी अच्छी मुद्रा और स्वतंत्रता प्राप्त नहीं होती है, इसलिए ध्यान मुद्रा में बैठकर प्रक्रिया को अच्छी तरह से किया जा सकता है। पद्मासन ध्यान मुद्रा के लिए एक बहुत ही उपयुक्त आसन है, इसलिए पद्मासन में बैठकर इस प्रक्रिया को किया जाना सबसे बेहतर होता है। यह स्वस्तिकासन या वज्रासन में बैठकर भी किया जा सकता है, लेकिन पद्मासन की तुलना में ये आसन इतने महत्वपूर्ण नहीं हैं। पद्मासन के दौरान शरीर की मुद्रा अच्छी होती है। ये प्राणायाम सुबह-सुबह करना बहुत ही अच्छा होता है। इसे करने की प्रक्रिया इस प्रकार से है।

वातक्रम कपालभाति :

– कपालभाति प्राणायाम करने के लिए योग मैट या साफ चादर को बिछा लें।

– अपनी सुविधानुसार आप पद्मासन, सुखासन या वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें।

– ध्यान दें कि आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी रहें।

– अब आप अपने मन की सभी चिंताओं को दरकिनार कर मन को स्थिर करने की कोशिश करें।

– अब लम्बी और गहरी सांस लें फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को 2-3 बार दोहराएं।

– अब नाक से सांस बाहर की ओर निकालें। जब सांस को बाहर निकालें, तो पेट को अंदर की तरफ खींचें।

– इस प्रक्रिया को बिना रुके लगातार करते रहें, साथ ही मुंह बंद रखें और सांस लेने और छोड़ने के लिए मुंह इस्तेमाल ना करें।

– सिर्फ नाक से ही सांस छोड़नी और लेनी है।

– इस प्रक्रिया को 20 बार करेंगे तब आपका एक राउंड पूरा होगा। ऐसे तीन राउंड आप कर सकते हैं।

– इसके बाद सुखासन की मुद्रा आराम देगी।

व्युत्क्रम कपालभाति :

– एक बर्तन में गुनगुने पानी भर लीजिए, साथ ही उसमें एक चम्मच नमक मिलाएं। नमक अच्छी तरह से घुल जाने तक इंतज़ार करें।

– इसके बाद सीधे खड़े हो जाएं और आगे की तरफ झुकें।

– फिर पानी को हाथ की अंजुलि में भरें और नाक के पास ले जाकर उसे अंदर खींचने की कोशिश करें।

– नाक से गए पानी को मुंह से बाहर निकालने का प्रयास करें।

– अपनी सुविधा के अनुसार इस प्रक्रिया को 2-4 बार कर सकते हैं।

– पूरी प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद नाक को अच्छे से सुखाएं।

शीतक्रम कपालभाति :

– एक बर्तन में गुनगुने पानी भर लीजिए साथ ही उसमें एक चम्मच नमक मिलाएं। नमक अच्छी तरह से घुल जाने तक इंतजार करें।

– इसके बाद सीधे खड़े हो जाएं और आगे की तरफ झुकें।

– इसके बाद बर्तन के पानी को मुंह में भर लीजिए। इस पानी को पिए नहीं बल्कि ऊपर की तरफ खींचते हुए नाक से निकलना है।

– इस प्रक्रिया को 2 से 4 बार दोहराएं।

– पूरी प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद नाक को अच्छे से सुखाएं।

कपालभाती प्राणायाम के फायदे

कपालभाति प्राणायाम के कई फायदे हैं, जो इस प्रकार से हैं :
– कपालभाति के दौरान होने वाली सांस प्रक्रिया से शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर होता है, जिसके कारण शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाया जा सकता है।
– कपालभाति का प्रतिदिन अभ्यास करने से आपको सांस प्रक्रिया के बारे में ज्यादा जानकारी मिलती है। व्यस्त दिनचर्या के कारण लोगों की सांस लेने की प्रक्रिया छोटी होती जा रही है। सही मात्रा में ऑक्सीजन नसों में नहीं जाने के कारण ह्रदय संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
– कपालभाति में लंबी सांस ली और छोड़ी जाती है, जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए वरदान रूप है।
– अच्छे स्वास्थ्य के लिए शरीर में लगातार जमने वाले विषैले पदार्थों की निकासी बहुत जरूरी होती है। कपालभाति प्रणायाम न सिर्फ रक्त प्रवाह को सुधारता है, बल्कि शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में भी मदद करता है। इसके उपयोग से आपके फेफड़े और श्वसन तंत्र को भी डिटॉक्सीफाई का लाभ मिलता है जिस से आपको ताजगी महसूस होती है।
– डायबिटीज के मरीजों के लिए कपालभाति बहुत ही अच्छा उपाय है। ये शरीर के ब्लड शुगर के लेवल को संतुलित करता है।
– आपको ये जान कर आश्चर्य होगा कि कपालभाति वजन कम करने के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी है। कपालभाति से अपने वजन को कम करने के लिए आपको अपने खान पान का भी ख्याल रखना पड़ेगा।
– बाहर का खाना या बहुत ज्यादा तेल मसाले वाला खाना आपके पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर आप ऐसी किसी समस्या से जूझ रहे हैं, तो आप कपालभाति से इस समस्या में लाभ ले सकते हैं।
– कपालभाति फेफड़ों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है, इससे नियमित अभ्यास से श्वसन प्रणाली भी अच्छी होती है।
– प्रदूषण आजकल अस्थमा जैसी समस्या लोगों को दे जाता है। साइनस, ब्रोंकाइटिस संक्रमण और रायनाइटिस जैसी बीमारियों में कपालभाति करने से आराम मिलता है।
– तनाव की समस्या किसी को भी हो सकती है। इसके लिए एंटी डेप्रेस्सेंट दवाओं का इस्तेमाल सही नहीं है। लम्बे समय में ये दवाएं नुकसान पंहुचा सकती हैं। इसके लिए कपालभाति एक अच्छा विकल्प है जो मन को शांत कर तनाव को कम करने के लिए जाना जाता है।
– मस्तिष्क के विकास और आराम के लिए योग बहुत कारगर साबित हुआ है। प्राणायाम से मनुष्य का दिमागी विकास होता है और अन्य मस्तिष्क से सम्बंधित समस्याओं से बचाव हो सकता है।
– इसके अलावा कपालभाति मस्तिष्क की दिमागी क्षमता को भी बढ़ाता है।
– कपालभाति से एसिडिटी व गैस में भी राहत मिलती है। इसलिए, अगर आपको भी पेट संबंधी समस्या है, तो हर रोज कपालभाति करना आपको इस समस्या से छुटकारा दिला सकता है।
– अच्छे और स्निग्ध त्वचा के लिए भी योग अच्छा विकल्प है। कपालभाति करने से मन में शांति होती है, जिसकी चमक आपके चेहरे पर दिखने लगेगी। आश्चर्य की बात नहीं अगर आप अपने उम्र से जवान दिखाई दें।
– अगर आप बालों के झड़ने की समस्या से परेशान हैं, तो शैम्पू तेल बदलने की जगह अपनी जीवन शैली में बदलाव लाएं। कपालभाति को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से आप कमजोर और झड़ते बालों की समस्या से भी निपट सकते हैं।

कपालभाति कब नहीं करना चाहिए

– दिल के मरीज,अस्थमा से ग्रसित लोगों और ब्लड प्रेशर के रोगियों को सांस लेना और छोड़ना धीमी गति से करना चाहिए।
– गर्भवती महिलाओं को कपालभाति नहीं करना चाहिए |
– मासिक धर्म के दौरान कपालभाति से परहेज करना चाहिए।
– कपालभाति की क्रिया, अल्सर और हर्निया के रोगियों को भी नुकसान पहुंचा सकती है |
– कभी भी कपालभाति प्राणायाम की अधिकता ना करें, इसके परिणाम स्वरुप चक्कर और सिरदर्द की समस्या हो सकती है।
– अगर आप बंद कमरे में, गर्म वातावरण में या धूल-धुंए वाली जगह पर हैं, तो कपालभाति ना करें आप पर इसका गलत प्रभाव भी हो सकता है।
– अगर आपकी पेट की सर्जरी हुई है, तो इस प्राणायाम को ना करें।
– हृदय सम्बंधित बीमारी में कपालभाति न करना ही उचित होगा।
– अगर आप रीढ़ की हड्डी की समस्या से पीड़ित हैं तो इस योग को कतई ना करें।

निष्कर्ष

बड़ी बीमारियों से बचने के लिए योग के छोटे-छोटे कदम आपको बड़े लाभ दिलवा सकती है। आज ही खुद को और अपने आस-पास के लोगों को योग और प्राणायाम से जोड़ें और कपालभाति को अपना कर एक अच्छा और स्वास्थ्य जीवन जीएं। 

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