चिन मुद्रा: इसका अभ्यास, शक्ति और तत्वज्ञान

चिन मुद्रा का परिचय

मुद्रा का अर्थ है ‘मुहर’, ‘इशारा’ या ‘चिह्न’ और चित का अर्थ है चेतना। इसलिए, ‘चिन मुद्रा’ का अर्थ ‘चेतना जगाने वाले भाव’ है। चिन मुद्रा, जिसे ज्ञान मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है, को योगिक भाव के रूप में बताया गया है। ये मुद्रा, मानव अवचेतना के एकीकरण के लिए काम करती है। योगी यह भी कहते हैं कि यह मुद्रा ज्ञान का भाव है। नियमित रूप से ध्यान करने वाले लोग चीन मुद्रा जरूर करते हैं।
इस मुद्रा का अभ्यास अक्सर हाथों और उंगलियों के साथ किया जाता है। इस मुद्रा का नियमित रूप से अभ्यास, आपके पूरे शरीर में ऊर्जा के प्रवाह आसान करने में मदद करता है।

इस मुद्रा का उपयोग किस प्रकार से किया जाना चाहिए, इस बात पर स्पष्टता बहुत कम है। अधिकांश लोग अपनी वास्तविक शक्ति और ऊर्जा के स्तर को जानने के बिना उनका उपयोग करते हैं। स्वामी चिदानंद द्वारा सिखाए जाने वाले चिन मुद्रा प्राणायाम आपको छोटी-छोटी बातों और बारीकियों को समझने में मदद करती है। इसकी मदद से आप भाव और शरीर की आवश्यकता को समझ सकते हैं।

जरूरी नहीं है कि आप इस मुद्रा को आसानी से समझ जाएं, और इसके प्रभावों का लाभ ले पाएं। ये भी मुमकिन है कि शुरुआत में इसका असर आपको बहुत कम समय के लिए महसूस ना हो। ये सामान्य सी बात है, जिसकी उम्मीद की जा सकती है। दृढ़ता, अभ्यास, धैर्य और खुले दिमाग के साथ, ये योग मुद्रा आपको खुद को समझने में मदद करेगी।

चिन मुद्रा क्या है?

हम सभी जानते हैं कि योग कैसे गतिशील हो सकता है। इसकी प्रत्येक शाखा एक-दूसरे से पूरी तरह से अलग है, फिर भी ये सम्पूर्ण रूप से जुड़े हुए हैं। चिन मुद्रा एक योगिक भाव है, जो मन की चेतना की मानसिक प्रकृति को प्रकट करता है। चिन मुद्रा, योग का सबसे प्रचलित भाव है। चिन मुद्रा को ज्ञान मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है। यह बहुत ही ज्यादा प्रचलित और आसान मुद्रा है। इस मुद्रा का उपयोग किसी भी ध्यान की स्थिति में किया जा सकता है।

चिन मुद्रा का प्रयोग, ध्यान या प्राणायाम के समय में किया जा सकता है। चिन मुद्रा मन को शांति प्रदान करती है और साथ ही शरीर में वायु तत्वों को उत्तेजित करने में मदद करती है। इसलिए, इसे करने से हमारे नर्वस सिस्टम और शरीर दोनों को लाभ होता है।

चिन मुद्रा कैसे करें ?

चिन मुद्रा को करना बेहद आसान है, लेकिन इसे करने से पहले ये जान लेना बहुत जरूरी है की इसको करने का सही पॉश्चर और हाथ की भाव कैसे होने चाहिए।

चिन मुद्रा में शरीर की स्थिति

 इस मुद्रा को करने के लिए आप पालथी मारकर आराम की स्थिति में बैठ जाएं। शुरुआत में आप पद्मासन या लोटस पोज में भी बैठ सकते हैं। इस दौरान आपकी रीढ़ की हड्डी और गर्दन सीधी हो, इस बात का ध्यान जरूर रखें। कंधें पीछे की ओर और सीना आगे की तरफ होना चाहिए। इस पॉश्चर से आपके शरीर में सही प्रकार से ऊर्जा का संचार होगा।

चिन मुद्रा में हाथ की स्थिति

अर्ध पद्मासन या पद्मासन में बैठने के बाद अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों के पास ले जाएं। इस बात का ध्यान रखें की हथेली ऊपर की तरफ होनी चाहिए। अब अपने अंगूठे और तर्जनी अंगुली को मिलाते हुए जोड़ें। बाकी तीनों उंगलियों को खुला छोड़ दें। इस तरह आपके हाथ घुटनों के सहारे आरामदायक स्थिति में रहेंगे और आपका अंगूठा व तर्जनी एक-दूसरे के साथ जुड़ी रहेंगी। इस बात का ध्यान रहें की अंगूठे और  तर्जनी का हिस्सा जुड़ा रहें पर एक दूसरे को दबाएं नहीं। आप चाहे तो अपनी आंखें बंद या खुली रख सकते हैं। इस बात पर भी ध्यान दें कि आपके श्वास की क्रिया सामान्य रहें। अब अपना ध्यान अपने श्वास क्रिया पर केंद्रित करें। आप जितनी देर चाहे, उतनी देर इसी मुद्रा में रह सकते हैं। ये आपको फायदा ही पहुंचाएगा। हालांकि, इस मुद्रा में लम्बे समय तक रहना मुश्किल है, लेकिन निरंतर अभ्यास से इसमें सफल हो सकते हैं। चिन मुद्रा आप किसी भी समय में कर सकते हैं, अगर आप इस मुद्रा का अभ्यास रोजाना उठने के बाद और सोने से पहले करते हैं तो इससे अनेक लाभ आपको मिल सकते हैं। 

चिन मुद्रा के फायदे

चिन मुद्रा के कई लाभ हैं। यह मन को सकारात्मकता से भर देता है, और इसका प्रभाव शरीर के स्वास्थ्य में आसानी से देखा जा सकता है। यह ऊर्जा और सहनशक्ति को बढ़ाते हुए अनिद्रा को ठीक करने में मदद करता है। चिन मुद्रा एकाग्रता और स्मरण शक्ति में सुधार करती है। जब कोई व्यक्ति नियमित रूप से इसका अभ्यास करता है, तो उसे क्रोध, अवसाद, तनाव और चिंता जैसी सभी मनोवैज्ञानिक समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
– यह हमारे शरीर के स्लीप पैटर्न को बेहतर बनाने में मदद करता है।
– यह आपको अपने सही व्यक्तित्व को जीवंत करने में मदद करता है।
– इसके अलावा, यह आपके मन को शांत करता है, जो आपके अच्छे मूड को प्रोत्साहित करता है।
– ये मुद्रा शरीर में लचीलापन बढ़ाने में मदद करती है, जिस से आप कठिन व्यायाम भी आसानी से कर पाते हैं।
– ये पाचन शक्ति को सुधारता है जिससे पेट की समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है।
– ये न्यूरोपैथी और अल्जाइमर जैसे रोग में काफी लाभकारी है
– मांसपेशियों के विकार को ठीक करने में भी काफी मदद करता है।
– ये मुद्रा मनुष्य के संतुलन की क्षमता को बढ़ाता है।

चिन मुद्रा कब नहीं करना चाहिए

चिन मुद्रा के कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। इसे आप कहीं भी कर सकते हैं। अगर आपको पीठ से सम्बंधित कोई भी समस्या जैसे चोट या दर्द है, तो इस मुद्रा को नहीं करना चाहिए।
– कुछ भी खाने या चाय कॉफी पीने के तुरंत बाद ये मुद्रा न करें। ऐसा करना आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है।
– अगर आपको यह मुद्रा करते हुए आपको असहज महसूस हो या आपको कोई तकलीफ हो तो आपको ये मुद्रा तुरंत छोड़ देनी चाहिए।
– किसी भी प्रकार की मेडिकल समस्या का सामना अगर आप कर रहे हैं तो डॉक्टर के सलाह के बिना ये मुद्रा ना करें।

चिन मुद्रा अभ्यास के पीछे का कारण

योग में हर अंगुली और उस से सम्बंधित हर भाव के पीछे एक कारण होता है। छोटी अंगुली मानव शरीर की एक अभिव्यक्ति है और मानव मन की भावनाओं के साथ जुड़ी हुई है। क्या आपने इस बात पर कभी ध्यान दिया है कि सगाई की अंगूठी अनामिका अंगुली में ही क्यों पहनाई जाती है।

मध्यमा अंगुली, मनुष्य के तर्क और अहंकार को दर्शाती है। तर्जनी अंगुली, मानव प्रणाली के अंदर की चेतना को व्यक्त करता है, जबकि अंगूठे सर्वोच्च चेतना की अभिव्यक्ति है। इसके साथ ही समाधि योगिक यात्रा का लक्ष्य है, और यह केवल तभी होता है, जब व्यक्तिगत चेतना सर्वोच्च चेतना तक पहुंचती है जो शरीर, भावनाओं और बुद्धि से परे होती है। प्रत्येक प्रकार की ध्यान क्रिया से हमें अपने अंतर्मन के बारे में चेतना होती है, आंतरिक खुशी प्राप्त होती है, जिसके परिणामस्वरूप हमारा शरीर और मन दोनों प्रकाशमान हो जाता है। यह योगिक यात्रा का लक्ष्य है, जो एकमात्र चिन मुद्रा के अभ्यास से प्राप्त किया जा सकता है।

निष्कर्ष

योग मुद्राएं करने से, हम अपने आप में और अपने अंतर मन में सुधार लाते हैं।
स्वामी सत्यानंद सरस्वती द्वारा योग मुद्रा के सन्दर्भ में कहा गया था कि, “मन और शरीर अलग-अलग संस्थाएं नहीं हैं। मन का स्थूल रूप शरीर है और शरीर का सूक्ष्म रूप मन है। आसन का अभ्यास दोनों को एकीकृत कर उसमे सामंजस्य बनाता है। शरीर और मन दोनों ही तनाव से परेशान होते हैं। हर मानसिक समस्या में शारीरिक परेशानी और शरीरिक समस्या में मानसिक परेशानी होती ही है। आसन ये मुद्रा का उद्देश्य इन सभी समस्याओं से खुद को मुक्त करना है। ये आसन मानसिक तनाव को कम कर, मनुष्य की शारीरिक क्षमता को भी बढ़ाते हैं और पूरे शरीर का स्वास्थ्य अच्छा होता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह सब तभी काम करता है जब आप इस तथ्य पर विश्वास करते हैं। विश्वास हर चीज को नियंत्रित करने की क्षमता रखता है। जब आप विश्वास के साथ इन जीवन शैली को स्वीकार करते हैं, तो यह आपके आध्यात्मिकता और आत्म-प्रतिबिंब के मार्ग को आसान बनाता है।

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