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वास्तु शास्त्र: 10दिशाओं के दिग्पाल देवताओं को कैसे प्रसन्न करें

वास्तु शास्त्र: 10दिशाओं के दिग्पाल देवताओं को कैसे प्रसन्न करें

वास्तु शास्त्र के अनुसार प्रत्येक दिशा के एक देवता होते हैं जिसे ‘दिग्पाल’ कहते हैं जो इन दिशाओं की रक्षा किया करते हैं। इन दिशाओं के देवता व उनके नेचर के विरुद्ध कार्य करने पर हमें कई प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है। तो, जरूर पढ़ें इन दसों दिशाओं और इनके देवताओं के बारे में।

पूर्व दिशा

पूर्व दिशा के दिग्पाल देवराज इंद्र और स्वामी सूर्य है। जब सूर्य उत्तरायण में होता है तो वह ईशान से ही निकलता है। यह पितृ स्थान भी कहलाती है। यहां मुख्य दरवाजा, खिड़की, बालकनी, चिल्ड्रन रूम हो सकता है। किचन या पढ़ाई के लिए पूर्व दिशा में की ओर मुख होना जाहिए।

पश्चिम दिशा
पश्चिम दिशा के देवता हैं वरूण और शनिदेव इस दिशा के स्वामी हैं। सृष्टि में वर्षा करने का कार्य वरुणदेव करते हैं जो भारतीय संस्कृति में सौभाग्य, समृद्धि और पारिवारक खुशहाली को बताती है। यहां डायनिंग हाल, सीढ़ियां, बाथरूम और गेस्टरूम बनवाया जा सकता है।

उत्तर दिशा
उत्तर दिशा के देवता धन के देवता और रावण के भाई कुबेर हैं। बुध ग्रह इस दिशा का स्वामी है। इसे मातृ स्थान भी कहा गया है। यह जगह कीमती चीजें रखने और ड्राइिंग रूम के लिए अच्छा है।

दक्षिण दिशा
दक्षिण दिशा के देवता धर्मराज यम हैं। इनकी प्रसन्नता से धन-धान्य और सफलता प्राप्त होती है। यहां पानी की टंकी या सीढियां बनवाई जा सकती हैं।

उत्तर-पूर्व दिशा
पूर्व और उत्तर दिशाएं जहां मिलती हैं, उस स्थान को ईशान दिशा कहते हैं। यही चर्चित स्थान ईशान कोण कहलाता है। शिवजी को ईशान भी कहते हैं। इस दिशा के स्वामी ग्रह बृहस्पति और केतु माने गए हैं। इस दैवीय स्थान पर मंदिर से अच्छा दूसरा और क्या हो सकता है।

उत्तर-पश्चिम दिशा
उत्तर पश्चिम दिशा के देवता पवन देव हैं जिनसे वायु तत्व संचालित होता है। यह दिशा बुद्धि ,कर्तव्य, प्लानिंग और संतान को प्रभावित करती है। इसलिए, यहां विंडो या रोशनदान होना अच्छा माना जाता है। गेस्ट रूम भी यहां बना सकते हैं।

दक्षिण-पूर्व दिशा
पूर्व दक्षिण दिशा के देवता अग्नि और स्वामी शुक्र है। इस आग्नेय दिशा भी कहते हैं, क्योंकि यह आग्नेय तत्व का रिप्रजेंट करती है। यह आपके धन, हेल्थ और पाचन शक्ति को प्रभावित करती है। इसलिए, यहां किचन व इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट रखें। पानी की कोई चीज नहीं होनी चाहिए।

दक्षिण-पश्चिम दिशा
दक्षिण पश्चिम दिशा के देवता राक्षसराज नैऋत हैं। इस दिशा के स्वामी राहु व केतु हैं। यह स्थान पृथ्वी तत्व का होने से यहां प्लांट रखना अच्छा रहेगा।

उर्ध्व दिशा
उर्ध्व दिशा के देवता ब्रह्मा हैं। यहां आकाश तत्व होता है। वास्तव में उर्ध्व मुखकर करके की गई प्रार्थना असरदायी होती है।

अधो दिशा
अधो दिशा के देवता हैं अनंत शेषनाग। घर का बेसमेंट, कुआं, गुप्त रास्ता, टैंक आदि इस दिशा में अच्छा होता है।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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