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विश्वकर्मा पूजा 2025: तिथि, महत्व, ज्योतिषीय योग और पूजा विधि | किसको यह पूजा बिलकुल करनी चाहिए?

विश्वकर्मा पूजा 2025: तिथि, महत्व, ज्योतिषीय योग और पूजा विधि

परिचय – क्या है विश्वकर्मा पूजा?

विश्वकर्मा पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है जो हर साल भाद्र मास के अंतिम दिन मनाया जाता है। बिसुद्धसिद्धांत पंचांग के अनुसार इस दिन को भगवान विश्वकर्मा, सृष्टि के दिव्य शिल्पकार, के प्रति श्रद्धा अर्पित करने के लिए विशेष माना गया है।
गणेशजी कहते हैं कि भगवान विश्वकर्मा को यांत्रिक विज्ञान, वास्तुकला और शिल्पकला का जनक माना जाता है। इस दिन कारीगर, इंजीनियर, शिल्पकार और व्यापारी अपने औज़ारों, मशीनों और उपकरणों की विशेष पूजा करते हैं।


विश्वकर्मा पूजा 2025: तिथि और संक्रांति काल

  • तिथि: बुधवार, 17 सितम्बर 2025
  • संक्रांति काल: प्रातः 01:58 बजे (कन्या संक्रांति)

गणेशजी अनुभव करते हैं कि इस दिन कन्या संक्रांति पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।


ज्योतिषीय महत्व

कन्या संक्रांति पर सूर्य का प्रवेश कन्या राशि में होता है। इस समय सूर्य और बुध का संयोग बनता है, जिससे बुद्धि, कौशल और रचनात्मकता में वृद्धि होती है।
गणेशजी भविष्यवाणी करते हैं कि इस समय शनि ग्रह मीन राशि में परिभ्रमण कर रहे हैं, इसलिए कुंभ, मीन, मेष और कन्या राशि के जातकों को अपने संसाधनों और कार्यक्षेत्र से जुड़ी बातों में विशेष सावधानी रखनी चाहिए।


विश्वकर्मा पूजा का महत्व

  • भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड का वास्तुकार माना जाता है।
  • उन्होंने द्वारका, इन्द्रप्रस्थ, स्वर्ण लंका और स्वर्गलोक जैसी दिव्य नगरी का निर्माण किया।
  • उनके द्वारा निर्मित सुदर्शन चक्र, त्रिशूल और शक्ति भाला आज भी दिव्यता के प्रतीक हैं।
    गणेशजी कहते हैं कि यह पर्व हमें याद दिलाता है कि श्रम और कौशल भी पूजा का ही एक रूप है

पूजा कैसे की जाती है?

  • कारखानों, वर्कशॉप्स और कार्यालयों को सजाया जाता है।
  • मशीनों और औज़ारों को धोकर फूलों और रंगों से सजाया जाता है।
  • भगवान विश्वकर्मा की आरती, भोग और प्रसाद चढ़ाया जाता है।
  • कई स्थानों पर इस दिन कामकाज बंद रखकर केवल पूजा और उत्सव किया जाता है।

क्या करें और क्या न करें

गणेशजी की सलाह है कि इस दिन मशीनरी और औज़ारों की सफाई कर उनकी पूजा करें।

  • अपने कर्मचारियों और कारीगरों को भोजन करवाएँ और उपहार दें।
  • मशीनरी का उपयोग न करें, केवल उसका आदर करें क्योंकि वही आपकी आजीविका का आधार है।
  • कार्यस्थल पर सकारात्मक वातावरण बनाएँ।

आधुनिक समय में प्रासंगिकता

आज के तकनीकी युग में भी यह पर्व उतना ही महत्वपूर्ण है। गणेशजी कहते हैं कि इंजीनियर, आर्किटेक्ट्स, आईटी प्रोफेशनल्स और इंडस्ट्रियल वर्कर्स के लिए यह दिन प्रेरणा और कृतज्ञता का पर्व है। डिज़ाइनर्स अपने सॉफ्टवेयर, लैपटॉप और डिजिटल टूल्स की पूजा करते हैं। उद्योगपति मशीनों का मेंटेनेंस और सेफ्टी चेक कर संकल्प लेते हैं। यह पर्व हमें सिखाता है कि आधुनिक जीवन में भी टेक्नोलॉजी और आध्यात्मिकता का संतुलन जरूरी है।

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