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दशहरा 2025 – जानें पूजा विधि, सामग्री, मंत्र, शस्त्र पूजा और विशेष परंपराएँ

दशहरा पूजा 2025

दशहरा 2025 का महत्व

दशहरा या विजयादशमी 2025 में 2 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। यह पर्व बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। भगवान श्रीराम द्वारा रावण पर विजय और देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर के संहार की याद में इसे हर साल बड़े उत्साह से मनाया जाता है।


दशहरा पूजा विधि

  • सुबह स्नान कर नए या साफ वस्त्र पहनें।
  • गंगाजल से स्थान शुद्ध करें और पूजा स्थल सजाएँ।
  • भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, हनुमान और माँ दुर्गा का पूजन करें।
  • शमी वृक्ष की पूजा करे 
  • दीपक, धूप जलाकर पुष्प, चंदन, फल, मिठाई चढ़ाएँ।
  • अंत में आरती कर परिवार संग प्रसाद ग्रहण करें।

पूजा सामग्री (Samagri List)

  • भगवान राम व दुर्गा की प्रतिमा/चित्र
  • शमी पत्ते
  • धूप, दीपक, रुई की बाती
  • चंदन, रोली, अक्षत
  • पुष्प, फल, मिठाई, नैवेद्य
  • पान, सुपारी, लौंग, नारियल
  • कलश व गंगाजल
  • पीला कपड़ा

दशहरा पूजन से अशुभ का निवारण

मान्यता है कि दशहरे के दिन वाहन, अस्त्र-शस्त्र, मशीनरी को सजाकर फूल-माला चढ़ाई जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से चोरी, खराबी और तकनीकी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में शुभता का संचार होता है।

साल के तीन सबसे शुभ दिन

दशहरा केवल विजय का पर्व नहीं बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी बेहद शुभ है। इसे तीन मुहूर्तों में से एक माना जाता है। ये हैं – चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्विन शुक्ल दशमी (दशहरा), वैशाख शुक्ल तृतीया (अक्षय तृतीया)  इन दिनों में किसी भी नए कार्य के लिए अलग से मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि इन्हें स्वयंसिद्ध माना गया है।


शस्त्र पूजा की विधि

  • दशहरे के दिन विशेष रूप से अस्त्र-शस्त्रों की पूजा का महत्व है।
  • सबसे पहले शस्त्रों को एकत्र कर अच्छे से साफ करें।
  • उन पर गंगाजल छिड़कें और हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाएँ।
  • दीपक, धूप, फल-फूल अर्पित करें और शमी पत्ते चढ़ाएँ।
  • यह परंपरा आज भी कई राज्यों और सरकारी शस्त्रागारों में पूरे उत्साह के साथ निभाई जाती है।

अस्त्र-शस्त्र पूजा का महत्व

सनातन परंपरा में शास्त्र और शस्त्र दोनों का विशेष स्थान है। प्राचीन काल में ब्राह्मण ग्रंथों, वैश्य बहीखातों और क्षत्रिय शस्त्रों की पूजा करते थे। यह उनके जीवन-निर्वाह और सुरक्षा साधनों के प्रति सम्मान का प्रतीक था। आज भी दशहरे पर शस्त्र पूजा की परंपरा जारी है और इसे आत्मरक्षा व धर्म पालन की शक्ति से जोड़ा जाता है।

पूजन मंत्र

भगवान राम मंत्र: ॐ रामाय नमः

देवी दुर्गा मंत्र: ॐ दुं दुर्गायै नमः


निष्कर्ष

दशहरा 2025 केवल धार्मिक पर्व ही नहीं बल्कि जीवन में नकारात्मकता के अंत और सकारात्मकता की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन किए गए पूजन, शस्त्र-अस्त्र सम्मान और शुभ मुहूर्त का पालन व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सफलता और सुरक्षा लाता है।

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