वैदिक ध्यान कैसे करें

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वैदिक ध्यान (Vedic Meditation) की प्रक्रिया का ज्ञान वेदों से प्राप्त हुआ है। इस तकनीक को वेदों के माध्यम से जाना जा सकता है। इसका मूल वेद हैं। यह प्राचीन भारतीय ग्रंथ है। जो योग तथा आयुर्वेद का आधार है। मन को शांत करने के लिए ध्यान में मंत्र का प्रयोग किया जाता है। यह एकाग्रता को बढ़ाने के लिए सबसे प्रभावी माध्यम है। कुछ सरल वैदिक ध्यान की तकनीक व्यक्ति को अधिक शांत, पारदर्शी और व्यवहारिक बनाने में मदद करेंगी। यह हमारे तन-मन को संरेखित करने में सहायता करता है। प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुनि वैदिक अभ्यास से अपने शरीर को पूरी तरह से नियंत्रित करते थे।

वैदिक ध्यान का अभ्यास कैसे करें

वैदिक ध्यान का अभ्यास एक शब्द, मंत्र (Mantra) या ध्वनि से किया जाता है। ध्यान की प्रक्रिया को लंबे समय तक करने के लिए इस मंत्र को दोहराया जाता है। यह एक बहुत ही सीधा अभ्यास होता है। अभ्यास के लिए अकेले में बैठकर शांतचित्त होकर आंखों को बंद कर मंत्रों को लगातार दोहराया जाता है। इस दौरान गहरी सांस लेने से काफी आराम का अनुभव होता है। इस प्रक्रिया को करने के लिए प्रत्येक सत्र में 20 मिनट अवधि काफी लाभकारी होती है। अभ्यास के दौरान अपने को अन्य चीजों से अलग रखते हुए खुद को तटस्थ रखें। वैदिक ध्यान के लिए किसी प्रकार के भौतिक वस्तुओं का उपयोग अच्छा नहीं होता है। इसके लिए एप्स, हेडफोन या अन्य तकनीक की आवश्यकता नहीं होती है। वैदिक ध्यान का अभ्यास शास्त्रों में भी प्रासंगिक है। इसका वर्णन भी मिलता है। यह एक ऐसी क्रिया है, जिसे प्राचीन काल से अब तक किया जा रहा है। वैदिक ध्यान की प्रक्रिया ध्यान की वैसी प्रक्रिया होती है, जिसके अभ्यास से मन को शांत करने के लिए एक सुखदायक ध्वनि पर केंद्रित किया जाता है। वेद में वैदिक ध्यान को योग तथा आयुर्वेद चिकित्सा का प्रमुख स्रोत माना जाता है। इस प्रक्रिया में दोहराई जाने वाली मंत्रों का कोई वास्तविक अर्थ नहीं होता।

यह एक सरल अर्थहीन ध्वनि होती है। यह मंत्र मन को शांत व एकाग्र बनाने के लिए दिमाग को केंद्रित करता है। और यह व्यक्ति को व्यवस्थित स्थिति में ले जाता है। वैदिक ध्यान सहज और स्वाभाविक प्रक्रिया है। हमारे देश में वैदिक ध्यान का इतिहास वैदिक काल से भी प्राचीन माना जाता है। वैदिक शब्द जैसे सुनने से ही प्रतीत होता है कि यह शब्द  “वेद” (Veda) से लिया गया है। वेद केवल ग्रंथ ही नहीं है, बल्कि सभी प्रकार के ज्ञान के प्रकाश पुंज है।

संसार में वेद को सार्वभौमिक ज्ञान माना जाता है। इसके महत्व को पूरी दुनिया के लोग मानते हैं।

वैदिक ध्यान के लाभ

वैदिक ध्यान से होने वाले लाभ की कोई सीमा नहीं है। इस प्रक्रिया से लाभ ही लाभ की प्राप्ति होती है। प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुनि केवल वैदिक ध्यान से ही पूरे शरीर को नियंत्रित करने के साथ स्वस्थ्य रहते थे। उस समय किसी भी प्रकार की आधुनिक युग की सुविधा प्राप्त नहीं थी। वे केवल ध्यान, योग तथा आयुर्वेद का उपयोग कर अपने को स्वास्थ्य रखते थे। वैदिक ध्यान मुख्य रूप से चिंता, तनाव और अवसाद को कम कर करता है। साथ ही और काम के लिए सकरात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। वैदिक ध्यान हमारे आत्मविश्वास के स्तर को ऊंचा करने का काम करता है। वैदिक ध्यान के दौरान उच्चारण किए जाने वाले मंत्र से ध्यान में एकाग्रता के साथ शरीर में सकरात्मक ऊर्जा मिलती है।

इससे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लाभ भी मिलता है। ध्यान से जो पूरे शरीर में ऊर्जा मिलती है वह ऊर्जा की गति हमारे दिमाग में रसायनों को नियंत्रित करने का काम करती है। यह तनाव हार्मोन को अवरुद्ध करता है और एंडोर्फिन जारी करता है। इसके अलावे यह वैदिक ध्यान हृदय गति को नियंत्रित करता है। ध्यान के दौरान मंत्रों का उच्चारण अल्फा, गामा, डेल्टा और दिमागी तरंगों को क्रियाशील करती है। ध्यान (Meditation) से रक्तचाप कम होने के साथ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

यह मन और मस्तिष्क में उठने वाली नकरात्मक विचारों को समाप्त कर देता है। वैदिक ध्यान मन में उठने वाली नकरात्मक विचारों को प्रबंधित कर शारीरिक और मानसिक पीड़ा को दूर करता है। यह हमारी आध्यात्मिक पहचान को जागृत कर करुणा व दया का संचार करता है। इसके अलावे वैदिक ध्यान व्यक्ति को ईर्ष्या, द्वेष और अहंकार से मुक्त कर आदर्श जीवन जीने की ओर प्रेरित करता है। यह विशेषकर वैसे व्यक्ति के लिए ज्यादा लाभकारी होता है, जिनका मन चंचल हो। ध्यान से ऐसे व्यक्ति के स्वभाव में सकरात्मक बदलाव होता है। यह भौतिकवादी दुनिया से आध्यत्मिक दुनिया में ले जाती है।

वैदिक ध्यान के लिए विशिष्ट मंत्र

वैदिक ध्यान में उच्चारण की जाने वाली मंत्र शब्दहीन ध्वनियां होती हैं। मंत्र एक संस्कृत शब्द है, जो दो शब्दों के जोड़ मन और तंत्र से बना है। मन का अर्थ सोचना और तंत्र का अर्थ रक्षा करना है। मंत्र जो मन को सोचने और बोलने में मार्गदर्शन करती है। वैदिक ध्यान एक ऐसी चीज है जिसे आप वास्तव में नेट या अन्य माध्यमों से  नहीं सीख सकते हैं। इसे सीखने के लिए आपको ऐसे गुरुओं और शिक्षकों की आवश्यकता होती है, जिन्होंने इस विधा को वर्षों से अभ्यास कर सीखा है। वे वैदिक ध्यान सिखाने के साथ आपको  व्यक्तिगत मंत्र (personalised Mantra) देंगे।

ध्यान की प्रक्रिया में मंत्र का उच्चारण एक शब्द या वाक्यांश होता है, जिसे ध्यान के दौरान बार बार दोहराने की प्रक्रिया की जाती है। मंत्रों को मन में बोला जाता है। इस दौरान कई लोगों के मुख से मंत्रों का उच्चारण सुनाई देता है। कई लोग मुख के अंदर ही फुसफुसा कर मंत्रों का उच्चारण करते हैं। ध्यान के दौरान अधिकांश मंत्रों के तकनीक (Vedic Meditation technique) में दो आवश्यक घटक होते हैं। पहला माइंडफुलनेस मेडिटेशन तथा दूसरा मंत्रों का जाप होता है। हालांकि मंत्र ध्यान करने से साधक अपने लक्ष्यों के करीब आ जाते हैं और यह ध्यान उनके लक्ष्यों को पाने में मदद करता है।

वास्तव में मंत्र एक ध्वनि कंपन होता है, जिसकी सहायता से व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं, ध्यान और इरादों पर ध्यान केंद्रित करता है। ध्यान के दौरान मंत्रों का उच्चारण मेडिटेशन के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण चीज है। मंत्र मानसिक सुरक्षा के रूप में व्यक्ति को सशक्त व मजबूत करता है। मंत्र ध्यान एक गहन आध्यात्मिक उद्देश्य की प्राप्ति कराता है। ध्यान के दौरान मंत्रों का उच्चारण मन-हृदय को केंद्रित करने और परमात्मा के साथ जुड़ने के लिए किया जाता है। मंत्र मन के एक औजार की तरह होता है, जो ध्यान करने वाले व्यक्तियों को स्वयं की अस्तित्व के पहचान कराने में मदद करता है। मंत्र और ध्यान एक दूसरे को पूरक है। ये दो चीज एक दूसरे के बिना अधूरे प्रतीत होंगे। पूरे विश्व में 10 लाख से ज्यादा मंत्र अस्तित्व में हैं, लेकिन इन सभी में ओम शब्द का मंत्र सार्वभौमिक है। इसका उपयोग हिन्दू धर्मावलंबियों के हर भजन, पूजा, वैदिक अनुष्ठानों में किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार ओम शब्द को पूरे सृष्टि व समस्त ब्रह्मांड के निर्माण की ध्वनि माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार ओम ध्वनि में कंपन होता है। यह शब्द सभी जगह विद्यमान है। वैदिक ध्यान के दौरान ओम मंत्र का उच्चारण  व्यक्ति की आंतरिक आत्मा की तरफ ध्यान केंद्रित करता हैं। यह मंत्र आंतरिक क्षमता और शक्ति को बढ़ाता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

ध्यान का तरीका

इस मंत्र को पांच से बीस मिनट तक या अधिक समय तक अभ्यास करना लाभकारी होता है। ध्यान करने से पहले एक अच्छे मंत्र की खोज करना भी जरूरी माना जाता है। उसके बाद शांत स्थान की तलाश कर वहां मैट या चादर बिछाकर बैठ जाना चाहिए। उसके बाद अपनी आंखें बंद कर धीमी, मध्यम और गहरी सांस लें और श्वास छोड़ते वक्त चुपचाप मंत्र को दोहराएं। लेकिन अपना ध्यान श्वास पर बनाए रखें।

ध्यान के लिए मंत्र जप का लाभ भक्ति, विश्वास और मंत्र की निरंतर पुनरावृत्ति के माध्यम से ही अनुभव किया जा सकता है। सबसे अच्छी बात यह है कि सभी मंत्रों में तीव्र और सकारात्मक शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लाभ हैं। यह ध्यान तनाव दूर करता है। मंत्र जप की लय और ध्वनि पूरे शरीर में ऊर्जा ले आती है। ऊर्जा की गति हमारे दिमाग में रसायनों को नियंत्रित करती है। यह तनाव हार्मोन को अवरुद्ध करता है और एंडोर्फिन जारी करता है।

मंत्र ध्यान हृदय गति को नियंत्रित करता है। मंत्र सकारात्मक अल्फा, गामा, डेल्टा और दिमागी तरंगों को बढ़ाते हैं।

जप करने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, और रक्तचाप कम होता है। मंत्र की ध्वनि के माध्यम से नकारात्मक विचारों को दबा दिया जाता है, तो मन में सकारात्मक विचारों के लिए जगह बन जाती है। मंत्र मेडिटेशन (Mantra Meditation) विचारों को प्रबंधित करने एवं शारीरिक और मानसिक कल्याण प्राप्त करने का एक स्वतंत्र और आसान तरीका है। मंत्रों के जाप से भय कम होता है। भय के समय में फोबिया वाले लोग अक्सर मंत्रों का ही उच्चारण करते हैं।

यह हमारी आध्यात्मिक पहचान को जाग्रत करके करुणा का संचार करता है। इसके परिणामस्वरूप करुणा के लिए हमारे दिल और दिमाग खुल जाते हैं, जहां हम ईर्ष्या, द्वेष और अहंकार से मुक्त अपना जीवन जी सकते हैं। चंचल मन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। मंत्रों का जाप हमें समय और स्थान की सीमा से परे ले जाता है। यह भौतिक दुनिया के स्थलों, ध्वनियों और सिमुलेशन से हमें छुटकारा दिलाता है और हमें एक दिव्य आध्यात्मिक स्थान पर ले जाता है।

ध्यान के प्रकार

हमारे देश में वैदिक ध्यान की विधा अति प्राचीन है। शास्त्रों के अनुसार इसका इतिहास पांच हजार वर्षों से भी प्राचीन है। ध्यान की पद्धति वर्तमान में भी उतनी ही प्रासंगिक है जितना की प्राचीन काल में थी। ध्यान वर्तमान समय के भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव को दूर करने की सबसे बड़ा स्रोत बनता जा रहा है। अब यह विद्या आम होती जा रही है। ध्यान करने का कोई सही या गलत तरीका नहीं है। यह एक ऐसा अभ्यास है, जो आपकी आवश्यकताओं के अनुरूप हो आपके व्यक्तित्व में इजाफा करता है। आदर्श रूप से ध्यान के 9 लोकप्रिय प्रकार हैं। हालांकि इसके प्रकार सीमित नहीं हैं।

माइंडफुलनेस मेडिटेशन

आध्यात्मिक ध्यान

केंद्रित ध्यान

मूवमेंट मेडिटेशन

मंत्र ध्यान

ट्रान्सेंडैंटल ध्यान

प्रोग्रेसिव रिलैक्सेशन

लविंग काइंडनेस मेडिटेशन

विज़ुअलाइज़ेशन मेडिटेशन

हालांकि व्यक्ति सभी 9 प्रकारों का अभ्यास नहीं कर सकते हैं। सभी ध्यान की शैलियाँ सभी के लिए उपयुक्त नहीं होती है। इन सभी ध्यान के लिए विभिन्न प्रकार के कौशल, दृष्टिकोण और मानसिकता की आवश्यकता होती है। व्यक्ति के मन में यह प्रश्न उठता है कि उपयुक्त सभी में से उनके लिए आदर्श ध्यान कौन सा होगा। सीधे शब्दों में कहा जाए तो ध्यान की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार की होती है, जिसमें व्यक्ति आराम तथा सहज महसूस करता है। व्यक्ति इस अभ्यास को करने के लिए प्रोत्साहित महसूस करता है।

निष्कर्ष

वैदिक ध्यान का ज्ञान वेदों से प्राप्त हुआ है। प्राचीन काल से अबतक ध्यान की प्रासंगिकता बरकरार है। ध्यान का उपयोग चाहे आप तनाव को दूर करने में करना चाहते हैं या आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं या शांति प्राप्ति के लिए करते हैं, यह उक्त चीजों के लिए बहुत ही व्यवहारिक प्रक्रिया है। आपके लिए ध्यान एक अभ्यास है। जो आपके व्यक्तित्व तथा भागदौड़ भरी जिंदगी के लिए लाभदायक है।

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