सकारात्मकता ध्यान (Meditation for Positivity) - आनंदमय जीवन के लिए नई शुरुआत

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सुबह का अलार्म बजने के साथ ही, दिन में क्या - क्या करना है हमारा दिमाग योजना बनाना शुरू कर देता हैं, भले ही आपकी आंखें पूरी तरह न खुली हुई हो। सामान्य मनुष्य को एक दिन में लगभग 50 हज़ार विचार आते हैं, जबकि 20 हज़ार से अधिक विचार दिन के पहले घंटे में ही आ जाते हैं। हमारी दिनचर्या में हमारी मनोदशा कभी खुश, कभी उदास, कभी तनावपूर्ण, कभी गुस्सा और कभी अजीब तरह की होती है। यह सब हमारे अंदर होने वाले विविध विचार ही तय करते हैं कि हमारा दिन कैसा होगा?वर्तमान स्थिति में जहां सब कुछ अनिश्चित है और हम यह भी नहीं जानते हैं कि हमारा जीवन कब सामान्य स्थिति में आएगा इस 'अज्ञात डर' को लेकर सभी के मन में तनाव है। आज हम सभी जिस चिंता से सामूहिक रूप से गुजर रहे हैं, इसने हमारे "नकारात्मक विचारों" की संख्या को बढ़ा दी है। इस मुश्किल घड़ी में हमारा दिमाग नकारात्मक के बजाय सकारात्मक विचार पर केंद्रित हो, इसके लिए इसे व्यवस्थित करना होगा। यदि आप इस सकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करेंगे, तो यह आपके भीतर बढ़ रही भयावहता से लड़ने में मदद करता है, साथ ही आपको यह शांत करके सकारात्मकता की ओर ले जाता है।

ध्यान क्या है?

ध्यान को शब्दों से परिभाषित करना मुश्किल है, ध्यान एक तकनीक है जो कुछ नहीं करने वाले विचारों को छोड़ देने में मदद करता है। यह आपके अव्यवस्थित दिमाग में नकारत्मक विचारों को छोड़ देता है जिससे कि आप की वास्तविक छवि प्रकट हो और आपको मन की शांति मिले। यह एक ऐसा अभ्यास है जो मन की एकाग्रता, स्पष्टता, भावनात्मक सकारात्मकता और आंतरिक शांति विकसित करने में मदद करता है। ध्यान का उल्लेख प्राचीन हिंदू वेदों के साथ – साथ बौद्ध धर्म, ईसाई धर्म, जैन धर्म, यहूदी धर्म सहित दुनिया भर में लगभग हर धर्म द्वारा इसका अभ्यास किया जाता है। आधुनिक समय में हम ध्यान के अभ्यास में निरंतर वृद्धि देख रहे हैं, जिसके लाखों लाभ है। सकारात्मक ध्यान (Meditation for Positivity) का अभ्यास नि:संदेह मनोचिकित्सा तकनीक के रूप में अनुशंसित है, जिसका कई अलग-अलग रूपों में अभ्यास किया जा सकता है।

कुछ शोधों के अनुसार, सकारात्मक ध्यान (Meditation for Positivity) करने का सबसे अच्छा समय सुबह 4 बजे और शाम 4 बजे है। अब इसके पीछे तर्क यह है कि इस समय पृथ्वी सूर्य के साथ 60 डिग्री पर होती है। यदि इस समय कोई व्यक्ति ध्यान करता है, तो शरीर की पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियों के कामकाज में सुधार होता है। वैसे तो दिन में आप किसी समय पर भी ध्यान कर सकते हैं, लेकिन विशेषज्ञों द्वारा सुझाया गया सबसे अच्छा समय सुबह का है।

सकारात्मकता के लिए ध्यान (Meditation for Positivity):

जो लोग सकारात्मक सोच रखते हैं, उनके लिए यही जीवन बहुत अच्छा और मुस्कुराता हुआ प्रतीत होता है। एक सर्वविदित तथ्य है कि जब आप सकारात्मक रहेंगे तब पूरा ब्रह्मांड आपकी मदद करेगा। इस बात को ज्यादातर लोगों द्वारा स्वीकार किया गया है कि ‘नकारात्मकता नकारात्मक चीजों को आकर्षित करती है’। अगर किसी के पास नकारात्मक दिमाग है या वह लगातार नकारात्मक सोचता रहता है तो उनके लिए जीवन में अच्छी चीजें हासिल करना बहुत मुश्किल हो जाता है। यदि कोई अपने नकारात्मक विचार दूसरे को दे दें तो दूसरा व्यक्ति स्वयं को नकारात्मकता के भंवर में बहता हुआ पा सकता है। सुबह – सुबह स्वयं के लिए समय निकालिए और सकारात्मक ध्यान (Meditation for Positivity) करिए, आपके जीवन में सब कुछ सकारत्मक रूप से संभव होगा। 

सुबह जागने के बाद आने वाले विचार असमान होते हैं जो आपके दिमाग को अव्यवस्थित करना शुरू कर देते हैं। सकारात्मक ध्यान (Meditation for Positivity) का अभ्यास इससे मुक्ति दिलाता है और स्वयं पर ध्यान केंद्रित कर आने वाले दिन के बारे में सकारात्मक विचार रख सकें। सकारात्मक रूप से दिन का लक्ष्य निर्धारित करके, व्यक्ति दिन भर में होने वाली घटनाओं के प्रति अपनी सकारात्मकता से प्रतिक्रियाओं को आकार दे सकता है। इस बात से यह पुष्टि होती है की “आप वही हैं जो आपके जीवन को नियंत्रित कर सकता है”, यह आपके पसंद के ऊपर है की आप किस तरह का दिन चाहते हैं।

कई अध्ययनों से पता चलता है कि सकारात्मक ध्यान (Meditation for Positivity) आपके मन को ऐसी स्थिति प्रदान करता है, जो चुनौतीपूर्ण कार्यों को आसानी से संभालने और उसे अपने अनुकूल बनाने में मदद करता है। सकारात्मक ध्यान न केवल तनाव के स्तर को कम करने में मदद करता है, बल्कि यह आंतरिक रचनात्मकता, खुशी और ध्यान को बढ़ाने में मदद करता है। सुबह का ध्यान व्यक्ति को अपने अंदर चल रहे उथल – पुथल पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। सुबह का समय ध्यान के लिए निकलने पर नियोजित कार्यक्रम के शुरू होने से पहले ही तैयारी के लिए समय मिल जाता है। ऐसा माना गया है कि अपनी समस्याओं के लिए सबसे अच्छे विचार और समाधान ध्यान के ही समय आते हैं क्योंकि उस समय आप सबसे ज्यादा सकारत्मक होते हैं।

सुबह नियमित सकारात्मक ध्यान (Meditation for Positivity) करने की आदत आपके विकास में सकारात्मक तरीके से जीवन बदलने वाला परिवर्तन हो सकता है। सकारत्मक ध्यान  हल्के पेट (खली पेट) के साथ ध्यान करने का सुझाव दिया जाता है, क्योंकि जब आपका पेट हल्का होता है तो व्यक्ति आसानी से थकान महसूस नहीं करता है और ध्यान के उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करता है। सकारत्मक ध्यान के लिए प्रतिबद्धता, धैर्य और अपने विचारों को नियंत्रित करने के लिए चुनौतीपूर्ण दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। व्यक्ति जितना अधिक अभ्यास करता है, उतना ही अधिक खुद में सकारात्मक विचार लाता है, जो उसके जीवन के लिए उतनी ही प्रभावी होगी।

सकारात्मक ध्यान (Meditation for Positivity) कैसे करें?

–    शांत जगह पर बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें।

 –   साथ में आप हल्का वाद्य संगीत या सुबह के पक्षियों के संगीत को चहकते हुए सुन सकते हैं।

–     अब कुछ पल के लिए सोचना बंद कर दें और अपने दिमाग को खाली करने की कोशिश करें।

  –  अपना ध्यान अपनी श्वास की ओर ले जाएं और सांस को प्राकृतिक तौर पर लें। धीरे-धीरे या गहरी सांस नहीं लें। 

  –   एक बार जब श्वास लय में आ जाएं, तो कल्पना करें कि प्रत्येक श्वास के साथ शरीर सकारात्मक ऊर्जा से भर रहा है।

 –    यदि सकारात्मक दृढ निश्चय के साथ ध्यान कर रहे हैं, तो श्वास भरते समय मन में दृढ़ता को याद करें।

 –    सांस छोड़ते समय उन सभी चीजों की कल्पना करें जिसे शरीर से बाहर (नकारात्मकता, तनाव, थकान या अन्य चीज) निकालने की जरूरत है।

    इस क्रिया को कई बार दोहराएं (इसे आदर्श रूप से शुरू करने के लिए 5 से 10 मिनट और आदत पड़ने पर इसे 20 मिनट तक करें) और सकारात्मक रूप से कायाकल्प महसूस करने के लिए अपनी आंखें खोलें।

ध्यान देने योग्य बातों में से एक यह है कि एक समय-सारणी निर्धारित जरूर करें और ध्यान करते समय किसी भी भावना को दबाएं नहीं। प्रारंभिक अवस्था में शुरू करने पर केवल सकारात्मक विचारों पर अडिग रहना आसान नहीं होगा। यह स्वाभाविक प्रक्रिया है, समय के साथ निरंतर अभ्यास से सकारात्मकता की प्रभावशीलता बढ़ने लगेगी। इसमें आपको जल्दी ही कोई उम्मीद नहीं लगाना है, क्योंकि वास्तव में आदत बनाने में समय और बहुत अभ्यास लगता है जो आपमें सकारात्मक बदलाव लाएगा जिसकी आप तलाश कर रहे हैं।

सकारात्मक फोकस

सकारात्मक ध्यान (Meditation for Positivity) शुरू करने से पहले खुद को रिलेक्स रखना महत्वपूर्ण है, इसलिए एक शांत जगह ढूढ़ें और आंखें बंद करके अपना सारा ध्यान मन की ओर लाएं और सकारात्मक होना शुरू करें। सकारात्मक होने का मतलब यह नहीं है कि किसी को उत्साहित, खुशमिजाज और प्रफुल्लित करें, बल्कि अपने नकारात्मक विचारों और भावनाओं को खुद से दूर करें। 

सकारात्मक होने का मतलब यह नहीं है कि किसी को उत्साहित, खुशमिजाज और प्रफुल्लित होना है, बल्कि यह केवल यह कहता है कि नकारात्मक विचारों और भावनाओं से दूर रहें। सकारात्मक ध्यान (Meditation for Positivity) के दौरान सकारात्मक पुष्टि बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। सकारात्मक ध्यान के समय मन में साधारण कथनों के अलावा कुछ और नहीं रखें। ध्यान के दौरान शब्दों और वाक्यों का मन में लगातार बोलते रहने से व्यक्ति की मनोदशा और सोच सकारात्मक रूप से प्रभावित होती है।

जब सोच में बदलाव आता है तो आपकी ऊर्जाओं में भी बदलाव आता है। सुबह का सकारात्मक ध्यान (Meditation for Positivity) मन से दमनकारी और चिंताजनक विचारों को दूर करता है ताकि सुखदायक प्रतिबिंबों के द्वार खुल सकें। सकारात्मक दिमागी ढांचा अपने साथ अनुकूल आत्मनिरीक्षण विचार की प्रक्रिया लाता है जो शरीर और दिमाग को शांति एवं आत्मविश्वास को सकारात्मकता से भरा रखता है, जिससे आपके जीवन में समृद्धि आती है। जब कोई अत्यधिक आराम महसूस करता है, तो मतलब वह स्वाभाविक रूप से अधिक सकारात्मक सोचता है। जीवन में यह विश्वास करना महत्वपूर्ण है कि, नकारात्मकता के उलट, सकारात्मकता और खुशी बिना किसी कारण के मौजूद हो सकते हैं।

अंतिम बिंदु

जब कोई व्यक्ति शांत होता है, तो उसकी सोच स्वाभाविक रूप से अधिक सकारात्मक हो जाती है। नकारात्मकता या नकारात्मक विचारों से छुटकारा पाने के लिए केवल प्रयास करना है इससे आपको आंतरिक शांति मिलेगी और यह शांति सकारात्मकता लाएगी। जीवन को और अधिक सार्थक और खुशहाल बनाने के लिए मजबूत इरादे के साथ कुछ समय निकालकर और प्रयास करके इस शांति को खुद में विकसित किया जा सकता है। सकारात्मकता के लिए ध्यान, सदियों पुराना आधुनिक उपकरण है जिसका दैनिक अभ्यास न केवल सकारात्मक दिमाग का निर्माण करेगा बल्कि आपके जीवन को स्वास्थ्य, शांति और समृद्धि से भी भर देगा।

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