कुंडली के पांचवें भाव में चंद्रमा की महत्ता

कुंडली के पांचवें भाव में चंद्रमा की महत्ता

कुंडली का पांचवा भाव मूल त्रिकोण का हिस्सा होकर संतान, संतान जन्म, संतान सुख, मंत्र-तंत्र, विद्या, ज्ञान, गूढ़ ज्ञान, उपासना, शर्त, साहस, कौशल, प्रेम संबंध, रोग का उपाय और गर्भावस्था जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंध रखता है। वैदिक ज्योतिष में पांचवें भाव को विद्या या संतान भाव के नाम से जाना जाता है। पांचवें भाव के कारक की बात करें तो विद्या और संतान के कारक गुरू हैं, इसलिए पांचवें भाव के कारक भी गुरू ही हैं। कुंडली के पांचवें भाव में यदि कोई दूषित ग्रह मौजूद हो तो वह निराशाजनक परिणाम दे सकता है, लेकिन यदि कोई अनुकूल ग्रह इस भाव में हो तो वह इस भाव से मिलने वाले सकारात्मक परिणामों में वृद्धि भी कर सकता है। कुंडली में इन सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाने और किसी ग्रह विशेष के नकारात्मक प्रभाव को समाप्त करने के लिए आप अनुकूल रत्न भी धारण कर सकते हैं।

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यदि कुंडली के पांचवें भाव में चंद्रमा मौजूद हो तो जातक के जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? इसे जानने से पहले हमें चंद्रमा के गुण, स्वभाव और प्रभावों को जानना चाहिए। ग्रहों में सबसे तेज गति से चलने वाले चंद्र सोम, शिमांशु, मृगांक, शशि, एवं शीत रश्मि जैसे नामों से भी पहचाने जाते हैं। चंद्रमा मन के कारक हैं, और मानसिक स्थिति एवं स्वस्थ्य से भी संबंध रखते हैं। पंच तत्वों की बात करें तो चंद्रमा का जल तत्व के साथ विशेष संबंध है। ग़ौरतलब है कि मनुष्य के शरीर का तीन चौथाई हिस्सा जल तत्व से ही संबंध रखता है, मानव शरीर के इस तत्व पर चंद्रमा का प्रभुत्व होता है। चंद्र वैश्य वर्ण का सत्वगुणी ग्रह है, और सभी ग्रहों को समान दृष्टि से देखता है। राशि चक्र की बात करें, तो चंद्रमा को एक राशि चक्र पूरा करने में सवा दो दिन का समय लगता है, इसी के साथ वे कर्क राशि के स्वामी भी हैं। कुंडली में चंद्रमा के प्रभावों की बात करें तो चंद्रमा उत्तर दिशा और कुंडली के चौथे स्थान पर बलवान होते हैं। कुंडली के पांचवें भाव में उनका प्रभाव सकारात्मक ही रहता है, बशर्ते वे किसी विरोधी ग्रह के प्रभाव में ना हों।

कुंडली के पांचवें भाव में चंद्रमा

यदि कुंडली के पांचवें भाव में चंद्रमा बैठे हों तो वे प्यार, रिश्ते, करियर, पेशा, पारिवारिक जीवन और लोगों के प्रति रवैया जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को प्रभावित कर सकते हैं। क्रम से बात करें तो, कुंडली के पांचवें भाव में चंद्रमा की मौजूदगी, प्रेम संबंधों और रिश्तों में सकारात्मक बदलावों की ओर इशारा करती है। कुंडली के पांचवें भाव में बैठे चंद्रमा जातक को प्रतिभा संपन्न और प्रभावी बना सकते हैं। यदि जातक पांचवें भाव में बैठे चंद्रमा के प्रभावों को सही दिशा में भुनाने में कामयाब होते हैं, तो अपनी प्रतिभा के दम पर सफलता के शिखर पर पहुंच सकते हैं। ऐसे जातक जोखिम को भाँपने और उनके प्रभावों का सही आंकलन करने के बाद ठोस निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। कुंडली का पांचवा स्थान संतान सुख से भी संबंध रखता है, जिन जातकों की कुंडली में पांचवें स्थान पर चंद्रमा होता है। ऐसे जातकों को कई संतानों का सुख प्राप्त होता है, और उनका अपने बच्चों के साथ गहरा और भावनात्मक रिश्ता हो सकता है। पांचवें भाव में बैठे चंद्रमा जातकों को अपने बच्चों के पालन पोषण के प्रति बेहद गंभीर दृष्टिकोण रखने के लिए प्रेरित करते हैं। क्योंकि वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को पोषणदाता माना गया है। ऐसे जातकों को कुछ रचनात्मक, कलात्मक और अनुमानाधारित पेशों में हाथ आज़माना चाहिए, इन जातकों के लिए फिल्म और नाटक सिनेमा वाले क्षेत्र भी लंबे समय में फलदायी हो सकते हैं। आपके करियर के लिए रहेगा कौन सा क्षेत्र लाभदायक, और अपनी पसंद के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्राप्त करें सलाह हमारे अनुभवी ज्योतिषियों से।

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ऐसे जातक मूल रूप से अनदेखी या नवीन चीजों को देख बेहद आश्चर्य चकित हो जाते हैं और उन्हें जानने के उत्सुक हो उठते हैं। ऐसे जातक चीजों को खूबसूरत दृष्टिकोण से देखते हैं। पांचवें भाव में चंद्रमा जातक को साधारण चीजों से कुछ नवीन सृजनात्मक निर्माण करने की क्षमता देते हैं। सृजन के इस क्रम को पूरा करने के दौरान आने वाली मुश्किलों को वे आसानी से हल कर सकते हैं, और अपने निर्धारित लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे जातकों को समाज की नजर में अधिक बेहतर बनकर उभरने में आनंद आता है, वे अपना औहदा और अपनी क्षमता को लगातार बढ़ाने का प्रयास करते रहते हैं। कुंडली के पांचवें भाव में बैठे चंद्रमा उन्हें ऐसा करने की क्षमता देते हैं, और उनका उचित मार्गदर्शन भी करते हैं।

पांचवें भाव में चंद्रमा के प्रभाव और सुझाव

चंद्रमा सदैव सकारात्मक प्रभावों का विस्तार करते हैं, लेकिन कभी कभी कुछ विरोधी ग्रहों के प्रभाव में आकर वे नकारात्मक या प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। यदि कुंडली के पांचवें भाव में बैठे चंद्रमा प्रतिकूल प्रभाव डाल रहें हैं, तो जातक को अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। ऐसे जातक भावनात्मक रूप में बेहद अप्रत्याशित व्यवहार कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में कुंडली के पांचवें भाव में बैठे चंद्रमा का प्रेम संबंधों पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखा जा सकता है। ऐसे जातकों को अपने प्यार को पाने की तीव्र इच्छा होती है, जो कुछ स्थितियों में उनके व्यवहार पर हावी हो सकती है। यदि आपको भी अपना प्यार हासिल करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, तो उपाय जानिए हमारे ज्योतिषियों से।

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पांचवें भाव में चंद्रमा के प्रतिकूल प्रभाव में जातक चीजों और परिस्थितियों के प्रति उतावला हो सकता है। वह बिना सोचें समझे निर्णय लेने की भूल कर सकता है, हालांकि उन्हें ऐसे जोखिम उठाने में आनंद आता है। लेकिन कभी कभी ऐसा करना बड़ी परेशानी भी खड़ी कर सकता है। जिन जातकों की कुंडली के पांचवें भाव में चंद्रमा प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है, उन्हें, धैर्य के साथ सोच समझकर किसी फैसले पर पहुँचना चाहिए, क्योंकि उनके गलत फ़ैसलों से उनके साथ संबंध रखने वाले अन्य लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है, कि कुंडली के पांचवें भाव में बैठे चंद्रमा जातक को प्रतिभावान, गुणी, सफल, और अपने बच्चों की देखरेख करने वाला बनाते हैं। वे जातक को नवीन चीजों को जानने और कुछ सृजनात्मक करने के लिए प्रेरित करते हैं। चंद्रमा मन को प्रसन्न करने वाला और अनुकूल परिणाम देने वाला चंचल ग्रह है। कुंडली के पांचवें भाव में भी वे जातक का उद्धार ही करते हैं। लेकिन कभी विरोधी ग्रहों के प्रभाव से वे कुछ प्रतिकूल प्रभाव भी दे सकते हैं। इसलिए गणेशजी धैर्य और सावधानी से निर्णय लेने का सुझाव देते है।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स टीम

 

ज्योतिष में भावों का महत्व

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ज्योतिष में ग्रहों का महत्व

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