त्रिफला क्या है, जानिए इसके आयुर्वेदिक फायदे|

त्रिफला एक एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इन्फ्लेमटॅरी और एंटीबेक्टीरियल जड़ी बूटी है, जिसका उपयोग सदियों से किया जाता रहा है। त्रिफला से बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, जिसमें त्वचा की सेहत बढ़ने के साथ ही मुंह और पाचन संबंधी स्वास्थ्य में सुधार शामिल है। त्रिफला का उपयोग हर्बल दवा के रूप में आयुर्वेदिक उपचार के रूप में किया जाता है। यह तीन पौधों से बना है, जो भारत में पाए जाते हैं:

आमलकी (आंवला)
विभीतकी (बहेड़ा)
हरीतकी (हरड़ )

आयुर्वेद मनोविज्ञान में त्रिदोष क्या है? इसके बारे में अधिक जानने के लिए किसी ऑनलाइन चिकित्सक से
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त्रिफला क्या है?

हरीतकी, विभीतकी और आमलकी ये तीन उत्पाद या जड़ी-बूटियां हैं, जिससे त्रिफला बनाता है। इसे आयुर्वेदिक दवाओं में त्रिदोषिक रसायन के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसका अर्थ है कि यह एक औषधीय विधि है, जो तीनों दोषों को नियंत्रित करती है, कफ, वात और पित्त।

यह विटामिन सी के साथ-साथ एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है। डिटॉक्सिफाइंग गुणों की वजह से इसे उपवास के दिनों में सोने से पहले सेवन करने से आंतरिक सफाई में मदद मिलती है। त्रिफला चूर्ण कैलोरी की खपत को कम करके और शरीर में वसा के स्तर को कम करके वजन घटाने में भी मदद करता है। एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण यह कुछ हृदय संबंधी विकारों से भी बचाता है। त्रिफला के रेचक गुणों के कारण इसे दूध या त्रिफला कैप्सूल के साथ दिया जाता है, इससे अपच में आराम मिलता है।

त्रिफला अपनी एंटी प्रॉपर्टीज की वजह से जाना जाता है। त्रिफला और नारियल के तेल का मिश्रण शरीर की रंगत निखारने और कोमलता बढ़ाने के काम आ सकता है। त्रिफला अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों की वजह से आंखों के लिए भी फायदेमंद होता है, इससे आंखों की सुरक्षा में भी मदद मिलती है। त्रिफला में विटामिन-सी होता है, ऐसे में इसके इस्तेमाल से बालों का झड़ना रुकता है, साथ ही बाल बढ़ाने में भी मदद मिलती है। त्रिफला त्वचा के लिए अच्छा रहता है, हालांकि यह सलाह दी जाती है कि अगर आपकी त्वचा पहले से ही रूखी है, तो आप इसे नारियल के तेल के साथ मिलाकर इस्तेमाल करें। त्रिफला के अधिक सेवन से दस्त हो सकते हैं।

किसी विशेषज्ञ थेरेपिस्ट से यह जानने के लिए बात करें कि किन जड़ी-बूटियों में हीलिंग पॉवर होती है?

त्रिफला के स्वास्थ्य लाभ

त्रिफला से कब्ज में लाभ

त्रिफला अपच के इलाज के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला आयुर्वेदिक उपचार रहा है। बढ़ा हुआ वात दोष अपच की ओर ले जाता है। यह अक्सर फास्ट फूड खाने, बहुत अधिक कॉफी या चाय पीने, देर रात सोने, थकान या अवसाद के कारण हो सकता है। इनमें से कोई भी कारण वात को बढ़ाता है और बड़ी आंत में पाचन समस्याओं को प्रेरित करता है। अपने उच्च रेचन और वात संतुलन प्रभावों के कारण त्रिफला अपच को कम करने में मदद कर सकता है।

सलाह:

अ. एक से दो बड़े चम्मच त्रिफला चूर्ण लें।
ब. अपच से राहत पाने के लिए इसे सोने से पहले गर्म पानी के साथ पीएं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी

त्रिफला का उपयोग आमतौर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए किया जाता है। इसकी वजह यह है कि इसमें कायाकल्प प्रभाव होता है।

सलाह:

अ. हल्के नाश्ते के बाद 1- 2 चम्मच त्रिफला चूर्ण शहद के साथ लें।
ब. अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ऐसा रोजाना करें। यह आपको कोविड-19 से निपटने में भी मदद करेगा।

लीवर की समस्याएं

त्रिफला यकृत (लीवर या जिगर) रोगों के उपचार में सहायता करता है। आयुर्वेद के अनुसार, लीवर का अग्नि (पाचन अग्नि) और पित्त दोष के साथ एक मजबूत संबंध होता है। जिगर में समस्याएं तब होती हैं, जब अग्नि और पित्त दोष नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं। त्रिफला का त्रिदोष (वात-पित्त-कफ) समन्वय संसाधन निरंतर समय पर अग्नि और पित्त को संतुलित करता है। यह अपने रसायन (कायाकल्प) गुणों के साथ-साथ लीवर को स्वस्थ और ठोस रखता है।

सलाह:

अ. एक गिलास पानी में 2-3 चम्मच त्रिफला रस मिलाएं।
ब. इतनी ही मात्रा में पानी डालें।
स. खाने से पहले दिन में एक या दो बार सेवन कर सकते हैं।

मोटापा एक ऐसी समस्या है, जो कई लोगों को प्रभावित करती है

त्रिफला सबसे अच्छे आयुर्वेदिक वजन घटाने के फार्मूले में से एक है। वजन बढ़ने का कारण खराब खान-पान और सुस्त जीवन शैली है, जिसके परिणामस्वरूप पाचन शक्ति कमजोर होती है। इससे अमा संचय में वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप मेद धातु में असंतुलित हो जाती है और मोटापे की समस्या हो जाती है। अपने दीपन (भूख बढ़ाने वाला) और पचन (पाचन) घटकों के कारण, त्रिफला अमा को हटाने में सहायता करता है। यह मेद धातु के असंतुलन को ठीक करने का भी प्रयास करता है। त्रिफला की रेचन (हल्का रेचक) गुण भी आंत्र से मल को खत्म करने में मदद करता है।

सलाह:

अ. आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण लें।
ब. मोटापे पर काबू पाने के लिए इसे सोने से पहले गर्म पानी के साथ लें।

त्रिफला: कब्ज दूर करने के लिए इसका उपयोग कैसे करें

आधे से एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को मुंह में लें और गर्म पानी से पी लें। इसे सोने से पहले करना ठीक होता है। मूत्रवर्धक गुणों के कारण कुछ लोगों को रात में बार-बार मूत्र विसर्जन के लिए उठना पड़ता है, जिससे उन्हें रात में अच्छी नींद नहीं आ पाती। ऐसे में त्रिफला पेस्ट को रातभर एक कप गर्म पानी में भिगोकर रोज सुबह सबसे पहले उसे पीना होता है। त्रिफला पेय पीने का सबसे ज्यादा फायदा सुबह 4.00 से 5.00 बजे के बीच होता है। यदि आपको त्रिफला का स्वाद पसंद नहीं है, तो आप इसे मीठा करने के लिए जरा-सा शहद मिला सकते हैं। अगर आपको पेट फूला हुआ लग रहा है, तो एक चुटकी कसा हुआ अदरक आपको तुरंत बेहतर महसूस करने में मदद करेगा। कब्ज दूर करने के लिए त्रिफला चूर्ण का प्रयोग करें और यदि यह काम न करे तो स्थिति खराब होने से पहले चिकित्सक से मिलें।

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त्रिफला की खुराक

त्रिफला को साबुत व पाउडर रूप में आता है और कई फार्मेसी कंपनियां इसे तरल रूप में भी उपलब्ध करवा रही हैं। आप इसे ऑनलाइन मंगा सकते हैं या आयुर्वेदिक दवा की दुकानों से भी ले सकते हैं। कैप्सूल और टैबलेट के रूप में इसका इस्तेमाल बहुत ही सहज है। अधिकांश त्रिफला उत्पादों का विपणन 500 से 1,000 मिलीग्राम तक की खुराक में किया जाता है, खुराक वास्तविक सामग्री के बजाय उपयोग किए जाने वाले अर्क की मात्रा से मेल खाती हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि एक्सट्रेक्ट सॉल्यूशन इस बात पर निर्भर करता है कि कंपनी को इसकी आपूर्ति किसने की है। वैसे इससे कोई बड़े नुकसान नहीं है, लेकिन इससे यह यह मालूम नहीं कर सकते कि इसमें त्रिफला कितना है।

अधिकांश कंपनियां एक दिन में एक या दो कैप्सूल लेने की सलाह देती है। यहां त्रिफला के उचित उपयोग के लिए कोई सामान्य दिशा-निर्देश नहीं है। बस एक सामान्य नियम के रूप में उत्पाद विवरण में निर्दिष्ट खुराक से अधिक मात्रा नहीं लेनी है। माउथवॉश बनाने के लिए त्रिफला के रस को पानी में मिला लें। खोपड़ी और बालों के उपचार के लिए पाउडर को अक्सर नारियल तेल के साथ मिलाया जाता है। त्रिफला चूर्ण या जूस को मापते समय किसी बर्तन के बजाय चम्मच का उपयोग करें। त्रिफला टिंचर और अर्क निकालने के लिए एक आइड्रॉपर का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

किसी भी तरह की समस्या के लिए खुद का इलाज कराने के लिए किसी विशेषज्ञ आयुर्वेद परामर्शदाता से सलाह लें।

दुष्प्रभाव

त्रिफला के उपयोग से गैस, पेट खराब, ऐंठन और दस्त जैसी पाचन संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह हल्का रेचक है। इस तरह के दुष्प्रभाव कम मात्रा के सेवन से भी हो सकते हैं, दरअसल यह उपचार के तरीकों पर निर्भर है। त्रिफला के दीर्घकालीन असर के बारे में कोई जानकारी नहीं है। यही वजह है कि इसे किस तरह लेना है, इसकी ठोस जानकारी नहीं है। उपचार के आधार पर खुराक अलग-अलग हो सकती है, इसी के साथ आयुर्वेद चिकित्सक कुछ अन्य चीजों में मिलाकर भी इसे दे सकते हैं। यही वजह है कि त्रिफला लेने का दीर्घकालिक प्रभाव या यह अन्य दवाओं के साथ उसका क्या असर होता है, यह बताना इस वक्त मुश्किल है।

अगर आपको अपने मिजाज में किसी तरह की मदद की जरूरत है, तो हमारे वेलनेस काउंसलर आपकी मदद कर सकते हैं।

निष्कर्ष

त्रिफला एक आयुर्वेदिक दवा है, कई तरह की बीमारियों में हर्बल इलाज के रूप में इसकी लोकप्रियता बढ़ी है। आश्चर्यजनक रूप से कुछ जांचों में यह सामने आया है कि यह कुछ तरह के ट्यूमर के खिलाफ भी काम करता है।

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