गिलोय क्या है? कैसे उपयोगी है

गिलोय (Giloy) आयुर्वेद (Ayurveda) में एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है, जिसे जड़ी-बूटियों की रानी के रूप में जाना जाता है। आयुर्वेद में इसका उपयोग कई तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। गिलोय का वर्णन शास्त्रों में भी है। प्राचीन काल से अबतक लोग स्वास्थ्य लाभ (giloy benefits in hindi) के लिए गिलोय का उपयोग करते आ रहे हैं। गिलोय के औषधीय गुणों के चलते इसे अमृता नाम भी दिया गया है।

गिलोय क्या है

गिलोय क्या है (What is Giloy), आपके मन में भी इसे लेकर सवाल उठ रहे होंगे, तो आपको बता देते हैं कि गिलोय का उपयोग आयुर्वेद में प्राचीन समय से ही विभिन्न बीमारियों को ठीक करने में होता आ रहा है। गिलोय को आयुर्वेद में बहुत बड़ी औषधि माना जाता है। इसे जड़ी बूटियों की रानी कहा जाता है। इसमें लगभग सभी गुणकारी गुण मौजूद होते हैं। इसका इस्तेमाल भी लगभग सारी बीमारियों में किया जाता है। कई गंभीर बीमारियों के इलाज में इसे जड़ी बूटियों के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसमें मौजूद गुणकारी औषधीय गुण शरीर को प्राकृतिक रूप से ठीक करने में सक्षम माने जाते हैं। गिलोय का पौधा एक लता के रूप में होता है, जो मुख्य रूप से जंगलों में पहाड़ों पर, खेतों में, दीवारों पर फैली होती है। इसके तने गूदेदार होते हैं। इसकी एक और विशेषता यह है कि इसकी लता जिस पेड़ से लिपटी होती है। उस पेड़ में भी इसके गुण समाहित हो जाते हैं।

गिलोय की खासियत

इसकी तासीर गर्म होती है। एक खास बात यह है कि गिलोय नर और मादा के रूप में मौजूद होता है। हालांकि इसकी पहचान इनके फूलों से होती है। गर्मी के दिनों में इस पर छोटे आकार के पीले रंग के फूल नजर आते हैं। यह नर पौधे में गुच्छे के रूप में और मादा में अकेले मौजूद होता है। इन्हीं फूलों से इसकी पहचान होती है। गिलोय में कई प्रकार के रसायन मौजूद होते हैं, जो इसे गुणकारी बनाते हैं। इसमें मुख्य रूप से क्विनोन्स, फ्लेनॉइड, पॉलीफ़ेनोल्स और टैनिन, कुमैरिन्स, टरपेनोइड्स और शरीर के लिए जरूरी तेल, अल्कालोइड्स, लेक्टिक और पॉलीपेप्टाइड, ग्लाइकोसाइड, सैपोनिन्स, स्टेरॉइड्स समेत कई रसायन मौजूद रहते हैं। गिलोय हर्बल उपचार की जड़ी बूटी है।

गिलोय को अरंडी के तेल के साथ मिलाकर गठिया से राहत पाई जा सकती है। अदरक के साथ गिलोय न केवल गठिया में लाभ पहुंचा सकता है, बल्कि यह संधिशोथ गठिया में भी मदद कर सकता है। गठिया को ठीक करने के लिए गिलोय और घी का उपयोग किया जाता है। गिलोय एक ऐसी दवा है जिसका इस्तेमाल चीनी के साथ त्वचा और लीवर की समस्याओं (Liver Problem) को ठीक करने के लिए किया जाता है।

गिलोय में पोषक तत्व

गिलोय की कई तरह की बीमारियों को ठीक करने की क्षमता बताती है कि इसमें उच्च पोषण (Nutritional) गुण हैं। गिलोय में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होने के कारण इसका इस्तेमाल कई तरह की प्राकृतिक, आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक दवाएं बनाने में किया जाता है।

गिलोय से स्वास्थ्य लाभ

गिलोय का इस्तेमाल स्वास्थ्य लाभ (Health benefits) में एक जड़ी बूटी के रूप में किया जाता है। जड़ी-बूटियों के रूप में इसका उपयोग उपयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है। हालांकि समय के साथ गिलोय को अलग अलग तरीके से संरक्षित किया जाता रहा है। प्राचीन काल में इसके वनस्पति का प्रत्यक्ष रूप से उपयोग किया जाता था। वहीं अब इसके तकनीक में परिवर्तन हो गया है। अब यह गोली, पाउडर और पेस्ट के रूप में मौजूद है। हालांकि इसके रस बनाने की वही पारंपरिक विधि है। गिलोय का रस जड़ी बूटी का सबसे व्यापक रूप से उपलब्ध स्रोत है। गिलोय कई बीमारियों के लिए रामबाण है।

प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है गिलोय

गिलोय मुख्य रूप से शरीर के प्रतिरोधक क्षमता (Immune system) को बढ़ाता है, ताकि किसी भी प्रकार की बीमारी से सुरक्षा मिल सके। इसके औषधीय गुण शरीर को पुनः जीवंत करने की क्षमता रखते हैं। गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो लोगों को स्वस्थ रहने और बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। यह यकृत और गुर्दे से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर उसे स्वास्थ बनाए रखने में मदद करता है। गिलोय हमारे शरीर में रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया से भी लड़ता है। यह लीवर की क्षति (Liver Problem) और मूत्र पथ के संक्रमण से बचाता है। वर्तमान परिदृश्य में यह कोरोना जैसी बीमारी में शरीर के लिए प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। दूसरे शब्दों में यह कोविड-19 से लड़ने के लिए रामबाण है।

पाचन क्रिया में सुधार

आमतौर पर व्यक्ति के शरीर में अपच एक बहुत ही सामान्य बीमारी है। गिलोय पाचन तंत्र को मजबूत करने का काम करता है।

रोजाना आधा ग्राम गिलोय के चूर्ण को आंवले के साथ सेवन करने से आंतों की समस्याएं ठीक हो जाती है। इसके अलावे गिलोय के रस में छाछ मिलाकर पीने से भी लाभ होता है। साथ ही बवासीर के रोगियों को भी गिलोय के सेवन से लाभ मिलता है।

मधुमेह के उपचार में सहायक

दुनिया में मधुमेह के सबसे अधिक रोगी भारत में हैं। हर साल इसके इलाज में करोड़ो रूपये लोग खर्च करते हैं। बावजूद इसके लोग पहले की तरह स्वस्थ्य नहीं हो पाते। लेकिन आयुर्वेद में मधुमेह की बीमारी को ठीक करने का इलाज है। चूंकि गिलोय में रक्त शर्करा को कम करने वाले (hypoglycemic agent) गुण होते हैं, ऐसे में यह मधुमेह के मरीजों को बहुत लाभ पहुंचाता है। इसमें ब्लड शुगर (Blood sugar) और चर्बी के स्तर को कम करने की क्षमता होती है। यह टाइप 2 मधुमेह के इलाज में बहुत कारगर है। इसके रस का सेवन करने से टाइप 2 मधुमेह वाले मरीज के ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित हो जाता है।

अस्थमा:

अस्थमा काफी घातक बीमारियों में से है एक है। इससे इंसान की जान भी चली जाती है। इससे पीड़ित इंसान के लक्षण उसके छाती की जकड़न से लेकर घरघराहट तक हो सकती है। गिलोय अस्थमा के लिए काफी प्रभावी माना जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो वे अस्थमा पीड़ितों के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।

गठिया के उपचार में लाभ

गिलोय में सूजन-रोधी और गठिया-रोधी प्रभाव होते हैं, इसलिए यह गठिया और इसकी जटिलताओं, जैसे कि जोड़ों के दर्द में मदद कर सकता है। गठिया आमतौर पर लोगों में जोड़ों के दर्द के रूप में होता है, जो काफी तकलीफदेह हो सकता है।

आंखों के लिए लाभदायक

गिलोय से आंखों के दोषों का इलाज किया जा सकता है। इसका औषधीय गुण आंखों की दृष्टि बढ़ाने में मदद करता है। इसके इस्तेमाल से व्यक्ति को आखों पर चश्मा की जरूरत नहीं होती। देश के विभिन्न भागों में लोग गिलोय को रोजाना आंखों की पलकों पर लगाते हैं। इससे उन्हें लाभ भी मिलता है। इसे उपयोग करने के लिए गिलोय को पानी में उबालना पड़ता है। इसके बाद इसे आंखों की पलकों पर लगाते हैं। इसे पलकों पर तब तक लगाएं जब तक यह ठंडा न हो जाए। इसके बाद आपको आंखों में फर्क नजर आने लगेगा।

गिलोय में है कामोत्तेजक गुण

गिलोय के इस्तेमाल से यौन शक्ति बढ़ती है। गिलोय में कामेच्छा बढ़ाने वाले कारक होते हैं, जो आपके यौन संबंधों को सकरात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।

उम्र को भी करता है प्रभावित

गिलोय में मौजूद गुणकारी औषधि व्यक्ति में बढ़ती उम्र के लक्षणों को ठीक करने के लिए किया जा सकता है। इसमें एंटी-एजिंग (Anti-Aging) गुण होते हैं, जो त्वचा पर काले धब्बे, फुंसियों, झुर्रियों और महीन रेखाओं को कम करने में मदद करते हैं। यह आपकी त्वचा को नई, युवा और चमकदार बनाती है।

गिलोय की खेती कैसे करें

आमतौर पर गिलोय का पौधा जंगल, पहाड़ व दीवारों से सटे देखने को मिल जाता है। आयुर्वेद में इसके बढ़ते उपयोग से इसकी खेती भी की जा रही है गिलोय के लिए सबसे उपयुक्त उष्णकटिबंधीय जलवायु तथा दोमट मिट्टी होती है। गिलोय के तने 2 सेमी व्यास वाले होते हैं। शाखाओं के गठीले निशानों से जड़ें निकालती है। तनों और शाखाओं पर सफेद रंग के दाग होते हैं। इसकी छाल भूरी तथा हल्की सफेद होती है। इसकी पत्तियां 5 से- 15 सेमी और अंडाकार होती है। इसकी फसल की रोपाई जून -जुलाई में होती है। इसकी रोपाई मुख्य पौधे से काटकर की जाती है।

गांठों सहित तने को काटकर सीधे ही खेत में बोया जाता है। अच्छी उपज के लिए 3 मीटर की दूरी रखनी चाहिए। साथ ही इसके फैलाव के लिए लकड़ी की झाड़ियां लगाई जाती है। इसका उपयोग पुराने बुखार को दूर करने, पाचन को बढ़ाने, अवसाद और चिंता को कम करने, गठिया का इलाज करने, श्वसन संबंधी समस्याओं से निपटने और दृष्टि में सुधार करने के लिए किया जाता है। यह पौधा जंगलों में आम, नीम और अन्य पेड़ों और पहाड़ों पर उगता है। गर्मियों में यह आसानी से बढ़ता है। वहीं सर्दियों में पेड़ों से सभी पत्ते गिर जाते हैं। जब सर्दी का मौसम खत्म हो जाता है, तो पत्तियां फिर से उगने लगती है।

गिलोय का रस

आमतौर पर लोग गिलोय के जूस (Giloy juice) के बारे में जानते हैं, लेकिन गिलोय के बारे में कम जानते हैं। गिलोय के रस के बहुत सारे उत्पाद बाजार में उपलब्ध हैं। गिलोय का जूस नियमित रूप से पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। साथ ही इससे प्लेटलेट बढ़ता है, जिसके परिणामस्वरूप डेंगू बुखार के इलाज में लाभ मिलता है। जब गिलोय का रस आंवला, नीम या एलोवेरा के साथ मिला कर उपयोग किया जाता है तो यह त्वचा पर अद्भुत परिणाम देता है। यदि त्वचा विकारों से छुटकारा पाने में परेशानी हो रही है तो इसे इस्तेमाल कर सकते हैं। इस सप्लीमेंट से गठिया, फ्लू और अपच के रोगियों को ज्यादा फायदा होता है।

गिलोय के साइड इफेक्ट्स और एलर्जी

गिलोय में बहुत से गुणकारी और औषधीय गुण हैं, जो शरीर के स्वास्थ्य लाभ में काम आता है। लेकिन इसके बावजूद गिलोय में कुछ कमियां हैं। कब्ज और पेट की सूजन गिलोय के सेवन के सामान्य दुष्प्रभाव (Side effects) हैं। गिलोय को जूस के रूप में लें या विटामिन की गोली के रूप में, इसके दुष्प्रभाव मौजूद हो सकते हैं। गिलोय ब्लड शुगर (Blood sugar) कंट्रोल करने में भी मदद कर सकता है।

मधुमेह के रोगियों को गिलोय पीते समय सावधानी बरतनी चाहिए। गिलोय प्रतिरक्षा प्रणाली को अति-उत्तेजित और अति-सक्रिय भी कर सकता है। ऐसा होने पर चर्म रोग, ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड्स के सेल्स के नुकसान, और संधिशोथ गठिया आदि में स्थिति बिगड़ जाती है। यदि आपको इनमें से कोई भी बीमारी है, तो आपको गिलोय का सेवन बंद कर देना चाहिए।

निष्कर्ष

भले ही आयुर्वेदिक दवाएं कई फायदों के साथ प्राकृतिक अवयवों से बनी हों। इसके बावजूद इसे इस्तेमाल करते समय इसके दुष्प्रभाव पर ध्यान देने की जरूरत है। किसी विशेष परिस्थिति में इसके इस्तेमाल करने से पहले चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।

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