दालचीनी : एक अद्भुत आयुर्वेदिक औषधि

दालचीनी का उपयोग (cinnamon uses) उपचार के रूप में ज्यादा इस्तेमाल होता है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल एक औषधि (medicinal properties of cinnamon) के रूप में किया जाता है। आज की भागदौड़भरी जिंदगी और आधुनिकीकरण के साथ लोगों में बीमारियां भी तेजी से बढ़ी हैं। भाग दौड़ तथा अव्यवस्थित जीवन शैली लोगों को बीमार बना रहा है। ऐसे में आयुर्वेद लोगों को स्वस्थ्य करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हालांकि आधुनिक चिकित्सा और प्रौद्योगिकियों ने लोगों के बीमारियों के इलाज की राहें आसान तो की हैं, लेकिन समानांतर रूप से कई दुष्प्रभाव भी पैदा हुए हैं। लेकिन अब लोग धीरे-धीरे शरीर पर बिना किसी दुष्प्रभाव के इलाज के विकल्प की तलाश कर रहे हैं। इस क्रम में केवल आयुर्वेद की पद्धति ही है, जिसका लोगों के बेहतर इलाज के साथ शरीर पर किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता।

आयुर्वेद एक प्राचीन विज्ञान है। इसकी उत्पत्ति 5000 साल पहले भारत में ही हुई थी। आयुर्वेद न केवल बीमारी या किसी एक अंग का इलाज करता है बल्कि यह पूरे शरीर का इलाज करता है। इलाज के दौरान आयुर्वेदिक औषधि शरीर में मौजूद अशुद्धियों को बाहर निकालने का काम करती है। इसी प्रकार से दालचीनी का इस्तेमाल भी आयुर्वेद की उपयोगी औषधि के रूप में किया जाता है। विशेष रूप से यह पाचन या श्वसन के संक्रमण के इलाज में उपयोग किया जाता है।

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दालचीनी क्या है?

दालचीनी एक प्रकार का मसाला होता है। लोग इसे नित्य भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। यह सुगंधित होती है। इसका रंग भूरा होता है। यह मुलायम तथा चिकनी होती है। इसका उपयोग कई प्रकार के बीमारियों के ठीक करने में भी किया जाता है। यह एक हर्बल मसाला है, जो भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ देशों में पाया जाता है। इसका उपयोग सामान्य सर्दी और पाचन के उपचार के लिए किया जाता है। दालचीनी में यह औषधीय गुण सीनामलडिहाइड नामक एक सक्रिय यौगिक के कारण होते हैं। यह जड़ी बूटी की छाल से निकलने वाला एक प्रकार का तेल होता है, जिसका उपयोग औषधीय गुणों के रूप में किया जाता है।

दालचीनी दो प्रकार का होता है। इसका नाम कैसिया और सीलोन है। इन दोनों में से सीलोन का उपयोग ज्यादा होता है, क्योंकि इसमें कूमेरिन नामक तत्व इसे महत्वपूर्ण बनाता है।

दालचीनी में एंटीऑक्सिडेंट, एंटी इन्फ्लामेट्री, एंटीडायबिटिक और एंटीमाइक्रोबियल गुण होता है। इस कारण यह काफी महत्वपूर्ण होता है। हालांकि इसके फायदों की जानकारी के लिए अभी और रिसर्च की जरूरत है। आइए इसके फायदों के बारे में और विस्तार से जानते हैं।

दालचीनी का उपयोग और इसके लाभ

ब्लड शुगर नियंत्रण (Blood Sugar Control) : रिसर्च के अनुसार दालचीनी (Dalchini) एक औषधि के रूप में ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक होता है।

यह व्यक्ति के ग्लाइसेमिक इंडेक्स (glycaemic index ब्लड शुगर के लेवल पर खाद्य पदार्थ की रैंकिंग का पैमाना) को नियंत्रण करता है। जिससे मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को ब्लड शुगर नियंत्रित करने में मदद (cinnamon benefits) मिलती है।

आमतौर पर खाना खाने के बाद ब्लड शुगर का बढ़ जाना सामान्य है। हालांकि कुछ देर बाद यह धीरे-धीरे सामान्य हो जाता है। प्रत्येक खाद्य पदार्थ में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को मापने के लिए ग्लाइसेमिक इंडेक्स महत्वपूर्ण होता है।

दालचीनी में ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है। जिससे ब्लड शुगर लेवल बहुत अधिक नहीं बढ़ता है। दालचीनी को अपने भोजन के रूप में इस्तेमाल कर इसका लाभ उठाया जा सकता है। यह मधुमेह के रोगियों को सामान्य जीवन जीने में मदद करता है। यह शरीर के इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया को बढ़ा कर रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य बनाए रखने में शरीर की सहायता करता है।

रोगाणुरोधी

दालचीनी में पाए जाने वाला यह तत्व शरीर को स्वस्थ्य रखने में काफी मदद करता है। खाने को खराब होने से बचाने के लिए दालचीनी का उपयोग एक प्राकृतिक संरक्षक के रूप में किया जाता है। यह बायोफिल्म (biofilm यानी एक पतला बैक्टिरिया जो किसी वस्तु की सतह पर रहता है) को नष्ट करने में सहायक है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि यह अस्पतालों में फोमाइट्स (fomites यानी ऐसी वस्तुएं या सामग्री जिनके संक्रमण की संभावना होती है, जैसे कपड़े, बर्तन और फर्नीचर) और अन्य उपकरणों की सतहों से बायोफिल्म को खत्म कर सकता है और अस्पताल में भर्ती होने के बाद 48 घंटे में सामने आने वाले संक्रमण (nosocomial infections) को रोक सकता है। हालांकि यह अन्य रोगाणुरोधी एजेंटों के साथ बेहतर तालमेल से काम करता है। इसका उपयोग ताजा सांस के स्रोत के रूप में भी किया जाता है

एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लामेट्री

दालचीनी में यह दोनों तत्व (medicinal properties of cinnamon) संयुक्त रूप से पाया जाता है। यह शरीर को स्वस्थ तथा मजबूत रखने में सहायता करता है। एंटीऑक्सीडेंट में विटामिन्स, मिनरल्स और कैमिकल्स का संयोजन रहता है। इसके अलावे यह पाचन और श्वसन में लाभ पहुंचता है। वहीं एंटी इन्फ्लामेट्री तत्व शरीर में सूजन को कम करता है। दालचीनी का उपयोग शरीर में एंटी इन्फ्लामेट्री का काम करता है। यह संक्रमण की संभावना को भी कम करता है।

पाचन शक्ति में सुधार होता है

दालचीनी के इस्तेमाल से पाचन शक्ति में काफी लाभ मिलता है। इसमें प्रीबायोटिक (एक न पचनेवाला खाद्य घटक जो आंतों में फायदेमंद सूक्ष्मजीवों के विकास को बढ़ावा देता है।) गुण होते है जो शरीर के अंदर अच्छे बैक्टीरिया को पनपने देने में मदद करता है। जिसके फलस्वरूप पेट में रोगजनक बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद मिलती है। यह मैंगनीज का अच्छा स्रोत माना जाता है।

हृदय रोग को कम करता है

दालचीनी में विभिन्न एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण यह हार्ट और उसके नजदीक के धमनियों को संक्रमित होने से बचाता है। इसके एंटी इंफ्लेमेटरी गुण आंतरिक ऊतकों में सूजन ठीक करने तथा दिल के दौरे जैसे बीमारियों के खतरा कम करने में मदद करते हैं।

कैंसररोधी

दालचीनी के प्रयोग से कैंसर जैसे रोग पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने अमाशय के कैंसर के साथ ही हड्डी के बढ़ जाने के स्थिति में भी दालचीनी को लाभदायक बताया है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। दालचीनी को दूध और शहद के साथ पीने से कैंसर से बचाव होता है। इसके साथ ही गले में दर्द और खराश में भी दालचीनी काफी लाभदायक है।

यौन क्षमता में सुधार

दालचीनी के साथ नारियल का दूध कोको, मक्का, शहद के साथ कॉफी मिलाकर इस्तेमाल करने पर कामेच्छा में बढ़ोतरी होती है।

वजन कम करने में मददगार

आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियां है, जो वजन कम (cinnamon benefits for weight loss) करने वाले एजेंट के रूप में काम कर सकती हैं। दालचीनी उनमें से एक है। वजन घटाने के लिए दालचीनी को शहद और पानी के साथ मिलाकर उपयोग करने से लाभ मिलना शुरू हो जाता है।

ये दालचीनी से होने वाले फायदे हैं। हालांकि यदि आप भी उपरोक्त फायदों को प्राप्त करना चाहते हैं तो पहले आपको किसी खान-पान विशेषज्ञ या चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

दालचीनी का दुष्प्रभाव

जिस तरह दालचीनी के कई फायदे हैं, उसी तरह अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से इसका दुष्प्रभाव भी पड़ता है। दालचीनी के ज्यादा मात्रा में सेवन से सिर में दर्द हो सकता है। गर्भवती स्त्रियों को भी इससे बचना चाहिए, क्योंकि यह गर्भपात का कारण बन सकता है। दालचीनी में सिनामैल्डिहाइड नामक यौगिक होता है जो मुंह में एलर्जिक रिएक्शन करता है, जिससे मुंह में छाले हो सकते हैं।

दालचीनी को आहार में कैसे शामिल करें?

दालचीनी को समान्य रूप से आहार में शामिल किया जाता है।

दालचीनी (Dalchini) को एक ऐसे कंटेनर में रखा जाता है। जिसमें हवा प्रवेश न कर सकें। अन्यथा इसका स्वाद समय के साथ लुप्त हो जाता है। लंबे समय से रखे गए दालचीनी का उपयोग करने की बजाय ताजा दालचीनी (Cinnamon) का उपयोग करना बेहतर होता है। इसे दूध, चाय या कॉफी के साथ पाउडर के रूप में मिलाया जा सकता है। भारतीय व्यंजनों में इसे कभी-कभी छाल रूप में उपयोग किया जाता है, जिसे “खादी दालचीनी” कहा जाता है। दालचीनी का पानी (cinnamon water uses) पाचन समस्या से राहत देती है। इसे चाय के साथ गर्म पेय के रूप में भी लिया जा सकता है। दालचीनी का पानी पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज में भी मदद कर सकता है। दालचीनी, कई अन्य आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की तरह काफी उपयोगी माना जाता है।

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