10 सर्वश्रेष्ठ एंटीवायरल जड़ी-बूटियाँ (Antiviral Herbs) का महत्व और उपयोग

एंटीवायरल औषधीय (Antiviral Herbs) जड़ी बूटी का महत्व

प्राचीन समय से ही आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग विभिन्न रूपों जैसे दर्द निवारक और एंटीवायरल जड़ी-बूटियों (वायरस को मारने वाली जड़ी-बूटियाँ) का विभिन्न प्रकार की बीमारियों के उपचार में किया जा रहा है। कई जड़ी-बूटियों में उच्च सांद्रता वाले यौगिक होते हैं, जो उन पौधों को प्राकृतिक एंटीवायरल जड़ी बूटियों (Antiviral Herbs) के रूप में प्रभावी रूप से कार्य करने में मदद करता है, जिसकी खुराक मात्रा चिकित्सक द्वारा निर्धारित किया जाता है। एंटीवायरल और औषधीय गुणों वाली प्रभावशाली जड़ी-बूटियों का ज्ञान प्राप्त करना बहुत विस्तृत है। यह बहुत बड़ा विषय है, इसमें कई जड़ी-बूटियां अभी भी अछूती है। शोधकर्ता लगातार एंटीवायरल गुणों वाली कई जड़ी-बूटियों के आश्चर्यजनक तथ्यों और स्वास्थ्य लाभों का पता लगा रहे हैं। यहां हम 10 सबसे प्रभावशाली और सर्वोत्तम एंटीवायरल जड़ी-बूटियां के बारे में बता रहे हैं। 

एंटीवायरल जड़ी बूटियों (Antiviral Herbs) की सूची और उसका उपयोग

1. अजवाइन

अजवाइन जो कि पुदीना परिवार से संबधित है, इस जड़ी बूटी के संयंत्र में शक्तिशाली यौगिक “कार्वाक्रोल” की उच्च सांद्रता की उपस्थिति होती है। इसे सबसे प्रभावी एंटीवायरल जड़ी बूटियों में से एक बनाती है। अजवाइन के तेल में एंटीवायरल प्रभाव होता है, जो निम्नलिखित वायरस के खिलाफ प्रभावी होते हैं –

एमएनवी और ह्यूमन नोरोवायरस: अजवाइन एक्सपोजर के 15 मिनट के भीतर यह मरीन नोरोवायरस (एमएनवी) को निष्क्रिय करना शुरू कर देता है। एमएनवी ह्यूमन नोरोवायरस की तरह है जो मनुष्यों में पेट फ्लू का प्राथमिक कारण है।

हरपीज सिंप्लेक्स वायरस टाइप -1 (HSV-1)

रोटावायरस: यह शिशुओं और बच्चों में दस्त का कारण है, इसे भी ठीक करता है।

रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी): यह श्वसन ढांचे के संक्रमण का कारण है। अजवाइन में आरएसवी प्रतिरोधक गुण होते हैं, जिस कारण इस एंटीवायरल जड़ी बूटी का उपयोग फेफड़ों के लिए किया जाता है।

2. सेज जड़ी बूटी

सेज एक सुगंधित जड़ी बूटी है इसका उपयोग आमतौर पर वायरल बीमारियों और संक्रमणों के इलाज के लिए किया जाता है। सेज में सैफिसिनोलाइड और सेज वन नामक पौधों के यौगिकों के मिश्रण के कारण इसमें एंटीवायरल गुण होते हैं। यह यौगिक जड़ी-बूटी की पत्तियों और तने में मौजूद होता हैं। ये एंटीवायरल जड़ी-बूटियाँ दाद-खाज के लिए प्रभावी हैं। यह एंटीवायरल जड़ी बूटी निम्नलिखित पर प्रभावी है –

हरपीज सिंप्लेक्स वायरस टाइप -1 (HSV-1)

ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस: कुछ शोधों से पता चला है कि सेज हर्ब मानव इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस टाइप -1 से लड़ सकता है, जो एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) का प्रारंभिक कारण है।

इंडियाना वेसिकुलर वायरस: यह गाय, सूअर और घोड़े जैसे खेत के जानवरों को संक्रमित करता है।

3. तुलसी

तुलसी के विभिन्न किस्म होते हैं, इसे भारतीय पवित्र मानते हैं और इसकी पूजा भी करते हैं। इसमें मीठे और कुछ कसैली स्वाद वाले प्रकार की होती हैं जोकि वायरल संक्रमण से लड़ने में अपना प्रभाव दिखाती है। इस जड़ी बूटी में ‘एपिजेनिन’ और ‘उर्सोलिक एसिड’ जैसे पौधे के यौगिक होते हैं, जो इसे शक्तिशाली एंटीवायरल गुण प्रदान करते हैं। तुलसी, वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत ही प्रभावी है। 24 स्वस्थ वयस्कों को 300 मिलीग्राम पवित्र तुलसी (तुलसी) के अर्क देकर 4 सप्ताह तक शोध किया गया। इसके परिणामस्वरूप सहायक टी-कोशिकाओं और प्रतिरक्षा कोशिकाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। यह प्रतिरक्षा कोशिकाएं शरीर को वायरस से बचाती हैं। तुलसी की कई किस्में इन बिमारियों से लड़ सकती है-

  • दाद वायरस
  • हेपेटाइटिस बी
  • एंटरोवायरस

4. सौंफ

सौंफ सुगंधित नद्यपान-स्वाद वाली जड़ी बूटी है, जिसमें आवश्यक तेल के मुख्य घटक ट्रांस-एनेथोल की उपस्थिति होती है। इन घटकों की उपस्थिति ही इसमें एंटीवायरल के गुण को बनाते हैं। दाद-खाज वायरस के खिलाफ इसमें मजबूत एंटीवायरल गुण होते हैं। एकअध्ययन में पाया गया है कि इसके अर्क में प्रभावी गुण होते हैं जो पैरैनफ्लुएंजा वायरस टाइप -3 (पीआई -3) के खिलाफ लड़ने में असरकारक होते हैं। यह पैरैनफ्लुएंजा वायरस टाइप -3 श्वसन संबंधी गंभीर बीमारियों और संक्रमण का कारण होता है। पशु शोधकर्ताओं ने भी पाया है कि सौंफ सूजन को कम करने और जानवरों में वायरल संक्रमण से लड़ने में प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में उपयोगी है। यह इन बीमारी से लड़ सकती है –

– दाद – खाज वायरस

– पैराइन्फ्लुएंजा वायरस टाइप-3 (PI-3)

5. लहसुन

भारत में, लहसुन कई प्रकार की स्थितियों के लिए एक सामान्य प्राकृतिक उपचार है, जिसमें वायरल संक्रमण भी शामिल हैं। एलिसिन, डायलिल ट्राई सल्फाइड और एजोइन जैसे शक्तिशाली यौगिक लहसुन के पौधे को एंटीवायरल गुण प्रदान करते हैं। यह एचपीवी बीमारी के लिए असरदार एंटीवायरल जड़ी बूटी है। एक अध्ययन के अनुसार पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के कारण मस्सों से पीड़ित 23 वयस्कों पर शोध किया गया था। लहसुन के अर्क को प्रभावित क्षेत्रों पर लगाने से 1 से 2 सप्ताह के भीतर ही सभी 23 मरीजों में मस्से समाप्त हो गए। वहीं कुछ अध्ययन बताते हैं कि लहसुन का एंटीवायरल गुण एचआईवी, वायरल निमोनिया, राइनोवायरस, इन्फ्लूएंजा ए एंड बी और एचएसवी -1 के खिलाफ भी असरदार है। हालांकि अभी इस पर शोध जारी है। पशुओं पर अध्ययन के दौरान देखा गया की लहसुन प्रतिरक्षा कोशिकाओं को उत्तेजित करने में असरदार है इसलिए प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया समय में प्रभावशीलता रूप से वृद्धि हुई।

6. नींबू बाम

आमतौर पर चाय और मसाला के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला लेमोनी पौधा लेमन बाम अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसमें हाइड्रोक्सीसेनामिक एसिड डेरिवेटिव की उपस्थिति और विशेष रूप से रोसमारिनिक एसिड इसे एक प्रभावी एंटीवायरल जड़ी बूटी बनाते है। अध्ययनों से पता चलता है कि यह इन बीमारी से लड़ सकती है –

एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू)

दाद – खाज वायरस

एचआईवी -1 के खिलाफ एंटीवायरल प्रभाव डालता है।

यह एंटरोवायरस 71 के खिलाफ भी प्रभावी हो सकता है, जो शिशुओं और बच्चों में गंभीर संक्रमण का कारण है। इस पर शोध जारी है।

7. पुदीना

पुदीना आमतौर पर चाय, अर्क और टिंचर के रूप में उपयोग किया जाता है जो वायरल संक्रमण के इलाज के लिए होता है। इसमें एंटीवायरल गुण इसकी पत्तियों और आवश्यक तेलों में मौजूद मेन्थॉल और रोसमारिनिक एसिड के यौगिकों से आते हैं। कुछ शोधों से पता चलता है कि पुदीना के पत्तों के अर्क में रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) के खिलाफ भी एंटीवायरल गुण होते हैं।

8. रोज़मेरी

रोजमेरी पौधे में ओलियानोलिक एसिड सहित कई यौगिक हैं, इसलिए चिकित्सकीय अनुप्रयोगों के लिए इसका उपयोग किया जाता है। ओलियानोलिक एसिड जानवरों में दाद वायरस, एचआईवी, इन्फ्लूएंजा और हेपेटाइटिस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता दिखाता है। इसमें हेपेटाइटिस ए (जो यकृत को प्रभावित करता है) के खिलाफ भी एंटीवायरल प्रभाव को देखा गया है।

9. इचिनेशिया

इचिनेशिया आयुर्वेदिक दवाओं में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला घटक है। इसमें कई प्रभावशाली गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। मूल रूप से इसके फूल, पत्ते और जड़ों का उपयोग प्राकृतिक एंटीवायरल उपचार के लिए किया जाता है। इचिनेशिया, पुरपुरिया परिवार की जड़ी-बूटी है जिसमें शंकु के आकार के फूल होते हैं। इसका उपयोग मूल अमेरिकियों द्वारा वायरल संक्रमण सहित कई स्वास्थ्य बीमारियों के इलाज के लिए किया गया था। इसके बाद इस पर किये गए कई अध्ययनों से पता चलता है कि ई. पल्लीडा, ई. अन्गुस्तिफोलिया और ई. पुरपुरिया सहित एक निश्चित किस्म के इचिनेशिया, दाद और इन्फ्लूएंजा जैसे वायरल संक्रमण से लड़ने में बहुत अधिक प्रभावी हैं। माना जाता है कि ई. पुरपुरिया में प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले गुण होते हैं जो इसे वायरल संक्रमण के इलाज के लिए बहुत उपयोगी बनाता है

10. सांबुकुस

सांबुकुस, एडोक्सेसी पौधों के परिवार से संबंधित है जिसे “एल्डर” भी कहा जाता है। विभिन्न प्रकार के उत्पाद बड़बेरी से बनाए जाते हैं। इसमें सुधा और गोलियां शामिल है । यह बुखार और सामान्य सर्दी जैसे वायरल संक्रमण के इलाज में प्रभावी हैं। चूहों पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि केंद्रित बल्ड बेरी का रस इन्फ्लूएंजा वायरस को दबाता है और प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रक्रिया को उत्तेजित करता है। इसके अलावा 180 लोगों में 4 अध्ययन किए गए हैं, जहां ब्लड बेरी की खुराक ने वायरल संक्रमण के कारण होने वाले ऊपरी श्वसन लक्षणों को काफी हद तक कम कर दिया था।

उपर्युक्त जड़ी बूटियों के अलावा, कुछ और भी हैं जो इस जड़ी-बूटियों की श्रेणी के करीब हो सकती हैं:

अदरक:

अदरक का उपयोग चाय और लोज़ेंग के रूप में किया जाता है। जिंजरोल्स और जिंजरोन के यौगिकों के उच्च सांद्रता के मिश्रण के कारण इसमें प्रभावशाली एंटीवायरल गुण होते हैं। यह गुण प्रतिकृति वायरल को रोकने में मदद करती है। कई टेस्ट ट्यूब अध्ययनों और कुछ शोधों से पता चला है कि अदरक में बर्ड इन्फ्लूएंजा, आरएसवी और फेलिन कैलीसी वायरस के खिलाफ एंटीवायरल का प्रभाव होता है।

अश्वगंधा:

जिनसेंग को आम भाषा में अश्वगंधा के रूप में जाना जाता है, जिसके पौधे में “जिनसैनोसाइड्स” नामक शक्तिशाली यौगिक होते हैं। यह एंटीवायरल गुण बनाते हैं, जो हेपेटाइटिस बी और नोरोवायरस के खिलाफ प्रभावी होता है। यह मस्तिष्क के संक्रमण, मेनिंगोएनसेफेलाइटिस और कॉक्ससैकीवायरस के खिलाफ प्रभावशाली है। कुछ टेस्ट ट्यूब अध्ययनों ने दाद, हेपेटाइटिस ए और आरएसवी के खिलाफ भी इसके प्रभाव को दिखाया है।

सिंहपर्णी

सिंहपर्णी मूल रूप से खरपतवार हैं और औषधीय गुणों के लिए यह अभी शोध के अधीन हैं। प्रारंभिक शोध से पता चला है कि डंडेलियन हेपेटाइटिस बी, एचआईवी और इन्फ्लूएंजा के खिलाफ यह शक्तिशाली रूप से कार्य कर सकता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार यह डेंगू वायरस को भी रोकने में प्रभावशाली है।

निष्कर्ष

अदरक, लहसुन, सौंफ, तुलसी, सेज और अजवाइन की जड़ी-बूटियाँ सामान्य रसोई की जड़ी-बूटियां हैं। सभी जड़ी-बूटियों में कई वायरस के खिलाफ शक्तिशाली एंटीवायरल प्रभाव होते हैं, जो मनुष्यों में संक्रमण को रोकता हैं। प्राकृतिक एंटीवायरल भोजन बनाने के लिए या चाय के रूप में इन्हें आसानी से ले सकते हैं। आप इसे आहार में भी शामिल कर सकते हैं। जानवरों पर और टेस्ट ट्यूब के स्तर पर अपर्याप्त अध्ययन और शोध किए गए हैं, इसलिए इसकी खुराक और सटीक प्रभाव अभी भी स्पष्ट नहीं हैं। किसी भी दुष्प्रभाव से बचने के लिए किसी भी हर्बल अर्क, टिंचर या अन्य उत्पादों को पूरक के रूप में चुनने से पहले चिकित्सक से परामर्श लें।

Talk to Online Therapist

View All

Continue With...

Chrome Chrome