जड़ी बूटियों का दवा के रूप में इस्तेमाल

आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का अपना अलग महत्व है। जिस प्रकार शरीर आत्मा के बिना कुछ भी नहीं, ठीक उसी प्रकार इन जड़ी बूटियों के बिना आयुर्वेद का कोई अस्तित्व नहीं है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति, भारत की सर्वप्रथम चिकित्सा पद्धति रही है।आयुर्वेदिक विशेषज्ञ आम तौर पर दवाइयाँ बनाते हैं या आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से मरीजों का इलाज करते हैं, जो शरीर को शुद्ध करने में मदद करते हैं, आपकी प्रतिरक्षा में सुधार करते हैं और आपकी सभी इंद्रियों, शरीर, दिमाग और आत्मा को संतुलन में रखते हैं।

आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ, चिकित्सीय तेलों का उपयोग बीमारी के इलाज और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेद के अध्ययन में शामिल लगभग 600 जड़ी बूटी सम्बंधित उपचार हैं और 250 पौधों से सम्बंधित उपचार हैं। इन सभी उपायों को उनके लक्षणों और प्रभावों के अनुसार विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है। जड़ी-बूटियों के साथ, आयुर्वेदिक उपचार में और भी चीजों को शामिल किया गया है। जैसे शरीर में हुए किसी भी प्रकार के असंतुलन के इलाज के लिए आंतरिक शुद्धि, मालिश, योगाभ्यास, श्वास तकनीक आदि। आयुर्वेद का मानना है कि उपचार सिर्फ दवाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हमारा शरीर प्रकृति से जुड़ा हुआ है। शरीर की प्रकृति, आयुर्वेद के दोषों पर आधारित होती है। इसलिए इसके आधार पर शरीर को निरोगी बनाया जा सकता है।

Table of Content

हर्बल दवा - कैलेंडुला (Calendula) या गेंदा

कैलेंडुला को एंटिफंगल, एंटीसेप्टिक और घाव भरने के रूप में मान्यता प्राप्त है। भारत में इसे गेंदे के फूल भी कहते हैं। इसे पॉट मैरीगोल्ड के रूप में भी जाना जाता है, जो नारंगी और पीला है। यह अपनी त्वचा को किसी भी प्रकार के जलन से शान्ति प्रदान करता है, इस कारण सौंदर्य प्रसाधनों में भी इसका उपयोग किया जाता है। कैलेंडुला फूल का उपयोग आमतौर पर घाव, चकत्ते, संक्रमण, सूजन और कई अन्य स्थितियों के लिए किया जाता है। यह माना जाता है कि कैलेंडुला में रसायन नए टिश्यू  को जन्म देता है, जिस कारण घावों में भरने और मुंह और गले में सूजन को कम करने में मदद मिलती है। पॉट मैरीगोल्ड एक वार्षिक फूल है, जो वर्ष में एक ही बार मार्च के महीने में खिलता है। इसे आप किसी भी नर्सरी से खरीद कर घर में आसानी से लगा सकते हैं।

हर्बल दवा -सीलैंट्रो (Cilantro) या धनिया

सीलैंट्रो मैक्सिको, थाईलैंड के किचन में पाई जाने वाली एक जड़ी-बूटी है जिसका इस्तेमाल गार्निशिंग या मुख्य व्यंजन के सजावट के लिए किया जाता है। इसे कई लोग धनिया भी मानते हैं। सीलैंट्रो धनिया का चचेरा भाई है ऐसा कहना गलत नहीं होगा।धनिया के बीज और पत्ते भारतीय रसोई और खाना पकाने में इस्तेमाल आने वाला एक प्रमुख तत्व है। इसके बीजों से पाचन भी अच्छा होता है, इसलिए इसे दोषों को संतुलित करने के लिए भी इसे इस्तेमाल में लाया जाता है। इस जड़ी बूटी को शरीर से भारी धातुओं और विषाक्त पदार्थों को हटाने के लिए भी जाना जाता है। इसके पत्तों में ठंडक प्रदान करने वाले गुण होते हैं, इसलिए गर्मियों के दिनों में इसे शरबत में मिलाया जाता है।

हर्बल दवा - पुदीना (Peppermint)

अपने ताजगी देने वाले गुणों कारण पुदीना का इस्तेमाल मुंह से सम्बंधित उत्पाद में होता है -जैसे कि टूथपेस्ट और माउथवॉश। इसके अलावा इसका इस्तेमाल माउथ फ्रेशनर के रूप में भी व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाती है। पुदीने की चाय हाजमा अच्छा करने के लिए असरदार मानी जाती है। इसके अलावा ये मितली या उल्टी आने पर और बेचैनी  होने पर भी लिया जा सकता है। इसके अर्क मिश्रित लोशन के इस्तेमाल से मांसपेशियों की तकलीफ से भी राहत मिलती है। 

हर्बल दवा- लैवेंडर (Lavender) (बैंगनी रंग का फूलदार पौधा)

लैवेंडर का नाम आपने जरूर सुना होगा। लैवेंडर एक ऐसा पौधा है, जो इत्र के रूप में लगभग हर घर में मौजूद होता है। अपने अनेकों गुणों के कारण आज की तारीख में लैवेंडर, इंद्र के परिजात से कम नहीं है। लैवेंडर का उपयोग तनाव, अनिद्रा, चेहरे की झाइयां और सनबर्न के इलाज के लिए भी किया जाता है। अर्क के अलावा इसकी पंखुड़ियों का इस्तेमाल भी बटर, कुकीज और सलाद में किया जा सकता है।

हर्बल दवा- लेमन बाम (Lemon Balm)

लेमन बाम एक जड़ी बूटी का नाम है, जिसके पत्तियों से लेकर कर फूल, हर भाग में गुण भरे हुए हैं। उसमे निहित तेल में एनाल्जेसिक प्रभाव होता है, जो नर्वस सिस्टम पर काफी अच्छा असर डालता है। लेमन बाम का स्वाद इतना अच्छा  होता है कि ये बच्चों को भी बहुत ज्यादा पसंद आता है। लेमन बाम और पुदीने का मेल बहुत ही कमाल का होता है और  आनंददायक अनुभव देता है। कई बार लोग इसे नींबू का मुरब्बा भी कह देते हैं।

हर्बल दवा-रोजमेरी (Rosemary)

रोजमेरी बहुत ही प्रचलित जड़ीबूटी है, जिसका रोजाना के जीवन में बहुत उपयोग होता है। इस जड़ीबूटी से बनने वाली चाय बहुत ही ज्यादा पसंद की जाती है, क्योंकि ये ऊर्जा को बढाती है, जिससे मस्तिष्क को अधिक ऑक्सीजन प्राप्त होती है। आप चाहे तो सुबह की कॉफ़ी की जगह रोजमेरी की चाय ले सकते हैं, क्योंकि इसमें कैफीन की मात्रा होती है। इसे बहुत आराम से आप अपने किचन गार्डन में उगा सकते हैं।

हर्बल दवा- मुलीन

ग्रीन लोटस के हमशक्ल  मुलीन में ब्रोन्कियल श्वसन संबंधी समस्याओं को ठीक करने की क्षमता होती है। इसकी पत्तियों का उपयोग कफ सिरप में भी किया जाता है। कुछ लोग मुलीन के पत्तों का सेवन सांस सम्बंधित समस्या जैसे दमा, निमोनिया, जुकाम, गले में खराश के लिए भी करते हैं। 

हर्बल दवा-थाइम (Thyme) या अजवायन के फूल

इस छोटे पत्तों और नम तने वाले जड़ी बूटी थाइम (अजवायन के फूल)में जीवाणुरोधी और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। यह भी कहा जाता है कि ये बुरे सपने दूर कर बहादुरी बढ़ाता है। पुराने जमाने में यूरोपीय लोग इस जड़ी बूटी पर बहुत भरोसा करते थे। हालांकि, आधुनिक विज्ञान सर्दी और फ्लू को रोकने के लिए थाइम के तेल को कारगर मानता है। 

हर्बल दवा- हल्दी (Turmeric)

हल्दी भारतीय घर में मौजूद वो तत्व हैं, जो महिलाएं बरसों से अपनी खूबसूरती को अच्छा करने के लिए इस्तेमाल करती आ रही हैं। हल्दी त्वचा को शुद्ध करने और रंग को बेहतर बनाने में मदद करती है। भारत में उत्पन्न, हल्दी में कैंसर विरोधी गुण होते हैं। हल्दी का उपयोग सप्लीमेंट्स में भी किया जाता है जो गठिया की परेशानी को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है।

हर्बल दवा - इवनिंग प्रिमरोज(Evening primrose) (हल्के पीले रंग का फूल)

इवनिंग प्रिमरोज त्वचा संबंधी समस्याओं से राहत देने में कारगर है। साथ ही प्रिमरोज ऑयल हृदय को स्वस्थ रखने में मददगार है। ये रूमेटाइड अर्थोराइटिस से राहत करता है साथ ही डायबिटिक के जोखिम को करने में सहायक है। महिलाओं में पीरियड्स से सम्बंधित लक्षणों में भी मदद पहुंचता है। PCOS और PCOD की बढ़ती समस्या को देखते हुए, यह दुनिया भर की महिलाओं के लिए एक अच्छा उपाय हैं।

हर्बल दवा-अलसी के बीज (Flaxseed)

अलसी का दूसरा नाम तीसी भी है। स्थानों की प्रकृति के अनुसार, अलसी के बीजों के रंग-रूप, और आकार में भी अंतर देखने को मिल जाता है। ज़्यादातर लोग अलसी के बीज और तेल का इस्तेमाल करते हैं। इस के प्रयोग से सांस, गला, कंठ, कफ, पाचनतंत्र की समस्या सहित घाव, कुष्ठ आदि रोगों में भी काफी फायदा होता है। अलसी का बीज एंटीऑक्सीडेंट तत्वों से भरपूर है, जो की कोलन कैंसर की रोकथाम के लिए भी जाना जाता है। यह ओमेगा 3 फैटी एसिड का एक अद्भुत स्रोत है जो मुख्य रूप से मछली में पाया जाता है। अलसी के बीजों के ढेर सारे फ़ायदे हैं और उनमें से कुछ इस प्रकार हैं जैसे कि मोटापा, रक्तचाप, सूजन को कम करने में मदद करते हैं।

हर्बल दवा-टी ट्री ऑइल (Tea Tree Oil)

टि ट्री में एंटी फंगल गन मौजूद होते हैं, जो कि त्वचा के लिए बहुत  ज्यादा कारगर साबित हुआ है। यह ऑस्ट्रेलियाई जड़ी बूटी  मुंहासे, घाव, त्वचा की जलन, कीड़े के काटने के हुई तकलीफ आदि प्रकार के संक्रमण पर अद्भुत काम करती है। आज अनेकों सौंदर्य की चीजों में इसका इस्तेमाल  रहा है। सही रूप से देखा जाएं तो ये बेजान त्वचा में जान लाने का गुण रखती है।

हर्बल दवा- एकिनेसिया (Echinacea)

एकिनेसिया के पौधे में कुछ रोगाणुरोधी और एंटीवायरल गुण हो सकते हैं, जो कि इम्यून सिस्टम को अच्छा कर सकता है, जिससे सर्दी, जुकाम से राहत मिलती है। कई अन्य पौधों की तरह, सभी प्रकार के एकिनेसिया में फिनोल होते हैं। वे पौधों को संक्रमण और पराबैंगनी किरणों से होने वाली क्षति से भी बचाते हैं। इसमें कमाल के एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं। इसका उपयोग  रस, चाय और अर्क के रूप में किया जाता है।

हर्बल दवा- ग्रेप सीड आयल (Grape Seed Oil)

अंगूर के बीज का अर्क, अंगूर के बीजों को पीसकर वाष्प आसवन (steam distillation) की प्रक्रिया से बनाया जाता है। अंगूर बीज अर्क खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और खराब ब्लड सर्कुलेशन को कम करने के लिए जाना जाता है। इसमें कैंसर-रोधी गुण हैं जिसे अर्क, टैबलेट, कैप्सूल और लिक्विड के माध्यम से लिया जा सकता है।

हर्बल दवा- कैमोमाइल (Chamomile) (सफेद फूल)

कैमोमाइल एक औषधीय पौधा है जिसका सम्बन्ध डेज़ी परिवार से माना जाता है। इसमें एंटी-एंग्जायटी गुण होते हैं। कैमोमाइल दो प्रकार के होते हैं- जर्मन और रोमन। इसका इस्तेमाल चाय के रूप में भी किया जाता है। कैमोमाइल में त्वचा को संवारने, तनाव को कम करने, नींद को नियंत्रित करने और माहवारी के दौरान होने वाली तकलीफ में भी बहुत मदद पहुंचाता है। मगर किसी गंभीर बीमारी के उपचार के दौरान या फिर गर्भावस्था के दौरान इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

माइग्रेन के लिए आयुर्वेदिक औषधि

यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति हैं, जो माइग्रेन से पीड़ित है, तो नि:संदेह आपको इस बात का अहसास होगा कि ये सिर्फ सिरदर्द नहीं है, बल्कि एक दुष्चक्र है। ये दर्द नर्वस सिस्टम को बहुत कमजोर बना सकता है, जिसके लिए एक अच्छी नींद वरदान जैसी होती है।  हालांकि, नीचे कुछ हर्बल उपचार दिए गए हैं जो आसानी से किसी भी घर में मिल सकते हैं, और आपको आराम दिला सकते हैं।

अदरक

अदरक में बहुत सारे गुण होते हैं। इनमें एंटीफंगल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं। अदरक एक उष्णकटिबंधीय पौधा है, जो माइग्रेन, सर्दी, गठिया, पीरियड्स के दौरान होने वाले पेट दर्द और यहां तक कि ऐंठन का इलाज करने में मदद करता है। आप ताजे अदरक, सूखे अदरक का सेवन कर सकते हैं, या गर्म पानी या चाय में मिला कर भी इसका सेवन कर सकते हैं।

धनिया के बीज

धनिया के बीज को चाय के रूप में भी सेवन किया जा सकता है। यह एलर्जी, मधुमेह और माइग्रेन के इलाज में मदद करता है। धनिया के पानी की भाप को अंदर लेने से साइनस के दबाव से भी राहत मिलती है। धनिया के बीज मधुमेह और गठिया के इलाज में भी मदद करते हैं। अपनी मीठी गंध के लिए मशहूर लैवेंडर ऑइल का उपयोग मिस्र में ममियों की सुरक्षा के लिए किया जाता था। आज कल लैवेंडर ऑइल का इस्तेमाल नहाने के साबुन में भी किया जाता है, जिसे काफी पसंद किया गया है। लैवेंडर के फूल और तेल न केवल सिरदर्द और माइग्रेन का इलाज कर सकते हैं, बल्कि यह अनिद्रा, तनाव और थकान के लिए भी साबित हुए हैं। माइग्रेन के दौरान लैवेंडर का तेल लगाना तुरंत राहत पहुंचाता है।

आलू

आलू न सिर्फ सब्जियों का राजा है बल्कि माइग्रेन में काफी लाभ पहुंचाता है। जी हां, कहा जाता है कि कच्चे आलू के मोटे टुकड़े माइग्रेन के दर्द को शांत कर सकते हैं। मलमल के कपड़े में बंधे आलू के स्लाइस कनपटी पर रगड़ने से काफी लाभ मिलता है।

एंग्जायटी (चिंता) के लिए आयुर्वेदिक इलाज

अश्वगंधा

अश्वगंधा को अक्सर चिंता और तनाव को कम करने के लिए उल्लेखित किया जाता है। लैवेंडर तेल की खोज 2,500 साल पहले की है, जो आज भी व्यापक तौर पर हर जगह इस्तेमाल किया जा रहा है।

लैवेंडर का तेल

लैवेंडर का तेल चिंता, नींद की समस्याओं और अनिद्रा को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह किसी भी दुष्प्रभावों, या विद्ड्रावल सिम्पटम्स को जन्म नहीं देता है।

निष्कर्ष

हमारे पास ऐसे कई औषधीय जड़ी-बूटियां उपलब्ध हैं जो प्राचीन काल से ही हमारा साथ देती आई हैं। आज की फार्मेसी की दुनिया से पहले, इन औषधीय जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता था, जो रोगों के इलाज के लिए असरदार थे। आज के युग में भी हमारे जीवन को अच्छा बनाने के लिए इन औषधियों पर रिसर्च चलती रहती हैं। हालांकि, कई दवाइयों में इन औषधियों का उपयोग भी होता है। इन औषधियों और पौधे के अंदर निहित गुण इस बात की ओर इशारा जरूर करते हैं कि आने वाले कल में कुछ नई औषधियों का जुड़ाव हमसे जरूर होगा।

Talk to Online Therapist

View All

Continue With...

Chrome Chrome