किडनी स्टोन के लिए आयुर्वेदिक दवा

गुर्दे की पथरी एक मूत्र संबंधी विकार है, जहां छोटे पत्थर गुर्दे में जमा हो जाते हैं। यह सदियों से प्रचलित है और इसे नेफ्रोलिथियासिस या रीनल-लिथियासिस के रूप में भी जाना जाता है।

हाल के दिनों में, बेवक्त का काम और भागदौड़ के कारण किडनी स्टोन एक सामान्य समस्या हो गई है, जहां लोग लंबे समय तक बिना पानी के रहते हैं। अन्य कारणों में विटामिन ए की कमी, पशु प्रोटीन का अधिक सेवन, मेटाबोलिज्म में गड़बड़ी, मादक पेय पदार्थों की अधिकता, चाय, कॉफी, तैलीय भोजन, मीठा भोजन, ताजी सब्जियों का कम सेवन और एक गतिहीन जीवन शैली भी है।

किडनी स्टोन के लिए आयुर्वेदिक उपचार

पथरी का पिघल कर निकल जाना, उसके आकार के आधार पर तय होता है। ये काफी भयानक भी हो सकता है और कुछ मामलों में रक्तस्राव की संभावना भी रहती है। यदि पत्थर छोटा है, तो यह बिना ध्यान दिए भी मूत्र के माध्यम से जल्दी से निकल जाता है। आयुर्वेद में, यह स्थिति वृक्कअश्मरी कहलाती है जिसमें व्रूक्का का अर्थ है किडनी, और अश्मरी का अर्थ है पत्थर। इसे मूत्रश्मरी के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है मूत्रनली में विकार। ऑपरेशन, किडनी स्टोन के लिए बहुत ही सामान्य समाधानों में से एक है। हर कोई ऐसा ऑपरेशन नहीं चाहता है, बल्कि एक ऐसा सुरक्षित इलाज चाहते हैं जिसमे चीड़फाड़ के बिना ही समाधान हो जाए। और इसका जवाब है आयुर्वेद। पित्ताशय और गुर्दे की पथरी के लक्षण काफी हद तक समान हैं। हालांकि, यह जानना आवश्यक है कि पथरी गुर्दे में है या फिर पित्ताशय में। गुर्दे की पथरी के इतिहास वाले व्यक्तियों में पित्ताशय की पथरी का खतरा अधिक होता है।

गुर्दे की पथरी के लिए आयुर्वेदिक उपचार और जीवनशैली में बदलाव इस प्रकार से है।

गुर्दे की पथरी स्थायी इलाज: खुद को हाइड्रेट रखें और जितना हो सकें उतना अधिक पानी पीएं।

पीने का पानी गुर्दे की पथरी के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है और उन्हें ठीक करने के लिए आधार रेखा है।
पर्याप्त पानी पीने या हाइड्रेटेड रहने से, स्टोन या पथरी बनाने वाले पदार्थों की मात्रा कम होने की संभावना रहती है। हर दिन 3-4 लीटर पानी का सेवन करना अच्छा होता है। गुर्दे की पथरी के गठन के जोखिम को बढ़ाने के लिए सोडा, कॉफी, चाय और कोल्ड ड्रिंक से दूर रहने की कोशिश करें।

किडनी स्टोन के लिए आयुर्वेदिक उपाय: - साइट्रिक एसिड का अवशोषण

फलों और सब्जियों में पाए जाने वाले साइट्रिक एसिड का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें। यह नींबू और संतरे में काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है।

साइट्रिक एसिड पथरी को कम करने में सहायक है। यह मूत्र में पाए जाने वाले कैल्शियम के साथ संयोजन कर पथरी को रोकने में मदद करता है।

यह कैल्शियम क्रिस्टल के साथ भी संयोजन करता है, जिसके परिणाम स्वरुप इसे बड़े पैमाने पर बढ़ने से रोकता है, और इसलिए यह पथरी को बड़े होने से रोक सकता है और आसानी से मूत्रमार्ग से निकल जाता है।

गुर्दे की पथरी का स्थायी इलाज : पर्याप्त कैल्शियम प्राप्त करें

एक आम गलत धारणा है कि अतिरिक्त कैल्शियम से गुर्दे की पथरी होती है। हालांकि, यह एक गलतफहमी है कि कैल्शियम में उच्च आहार गुर्दे की पथरी के लिए फायदेमंद है। आहार में मौजूद कैल्शियम ऑक्सीलेट, अतिरिक्त कैल्शियम अवशोषित होने से रोकता है। कैल्शियम की एक पर्याप्त मात्रा में उपभोग करने से कुछ व्यक्तियों में गुर्दे की पथरी को रोकने में मदद मिलती है।

किडनी स्टोन के लिए आयुर्वेदिक उपाय: नमक का सेवन कम करें

आहार संबंधी दिशानिर्देश में सोडियम के सेवन को प्रति दिन 2,300 मिलीग्राम तक सीमित करने की सलाह दी जाती है।
प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड का सेवन कम करने से शरीर में सोडियम की मात्रा कम हो जाती है।
नमक में सोडियम अधिक मात्रा में होता है, जो मूत्र के माध्यम से कैल्शियम के निकासी को बढ़ा सकता है, जो गुर्दे की पथरी का मुख्य जोखिम है। नमक की खपत को नियंत्रित करने की जरूरत होती है।
नमक को कम कर आप गुर्दे की पथरी के लिए आयुर्वेदिक उपचार कर सकते हैं।

आयुर्वेद में पथरी का इलाज: कम सोडियम अधिक मैग्निशियम

मैग्निशियम एक अंडररेटेड खनिज है, जो कि बहुत से लोग, शरीर की जरूरत का बहुत कम हिस्सा भोजन में लेते हैं। मैग्निशियम का सेवन प्रतिदिन 420 मिलीग्राम होना चाहिए। यह ऊर्जा उत्पादन सहित कई मेटाबोलिज्म प्रतिक्रियाओं के लिए एक आवश्यक खनिज है। एवोकैडो, फलियां, टोफू कुछ उदाहरण हैं जहां से आप मैग्निशियम का उपभोग कर सकते हैं। यह खनिज आंत में ऑक्सालेट अवशोषण में मदद करता है, जो आगे गुर्दे की पथरी के लिए जिम्मेदार कैल्शियम ऑक्सालेट के गठन को रोक सकता है।

पशु प्रोटीन का सेवन कम करें

डेयरी, मांस, मुर्गी और मछली जैसे स्रोतों से मिलने वाला प्रोटीन गुर्दे की पथरी को प्रोत्साहित करता है। पशु प्रोटीन में वृद्धि कैल्शियम उत्सर्जन को बढ़ाती है और साइट्रेट स्तर को कम करती है।
पशु प्रोटीन यूरिक एसिड के लिए उपयुक्त नहीं है, साथ ही ये प्यूरीन भी बनाता है।

पथरी के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा

गुर्दे की पथरी के लिए कुछ आयुर्वेदिक गोलियां नीचे सूचीबद्ध हैं:

सिस्टोन

यह सबसे ज्यादा प्रस्तावित की जाने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो गुर्दे की पथरी से संबंधित जटिलताओं को दूर रखने में मदद करती है। यह गुर्दे की पथरी को हटाने और फिर से ना बने इसके लिए प्रभावी ढंग से काम करता है।

सिस्टोन में मूत्रवर्धक और रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो आंतरिक टिश्यू की जलन को शांत करता है। यह आयुर्वेदिक दवा पथरी को बनने और बढ़ने से रोकती है। यह बहुत कम दर्द के साथ छोटे आकार के पथरी को बाहर निकालने में भी मदद करती है

चंद्र प्रभा वटी

इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो जलन को शांत करने में मदद करते हैं। यह शरीर में विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकालने में भी मदद करता है।

क्रश

यह गुर्दे की पथरी के लिए एक आयुर्वेदिक टैबलेट है, जो पथरी को आसानी से मूत्र से गुजरने के लिए बड़ी पथरी को तोड़ता है। इन गोलियों में जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो आंतरिक मूत्र के अस्तर की रक्षा करते हैं। यह मूत्र पथ में जलन, सूजन और रक्तस्राव को कम करता है।

स्टोनविल कैप्सूल

स्टोनविल कैप्सूल गुर्दे की पथरी और मूत्र समस्याओं के लिए बहुत ही ज्यादा प्रचलित और सुझाए जाने वाली दवा है। यह जलन को खत्म करने और पथरी के गठन को रोकने में मदद करता है।

यूराल कैप्सूल

यूराल कैप्सूल गुर्दे की पथरी (renal calculi) का इलाज करता है। यह दवाई कठोर पथरी को तोड़ता है और इसे दोबारा बनने की संभावना को भी कम करता है।

K4 टैबलेट

K4 टैबलेट एक मूत्रवर्धक है जो पानी को शरीर में रोकता है और मूत्र के माध्यम से पथरी को बाहर निकालता है। यह टैबलेट मूत्र संबंधी सभी संक्रमणों के लिए काम करता है, जो सूजन, संक्रमण को कम करने में मदद करता है।

किडनी स्टोन के प्रकार

सबसे सामान्य प्रकार का पत्थर कैल्शियम ऑक्सालेट से बना कैल्शियम स्टोन है।

यूरिक एसिड के पत्थरों से यूरिक एसिड स्टोन बनते हैं। ये तब होता है जब मूत्र में अत्यधिक एसिड हो जाता है साथ ही ये कैल्शियम के साथ भी बन सकता है।

सूची में अगला स्ट्रुवाइट स्टोन (Struvite stones) है जो मैग्नीशियम, अमोनियम और फॉस्फेट के निर्माण के कारण होता है।

सिस्टीन पत्थर (Cystine stones) आपके शरीर के भीतर मौजूद रसायन से आता है जिसे सिस्टीन (Cystine) कहा जाता है। आनुवंशिक विकार वाले लोगों में ये अत्यधिक देखा जाता है।

निष्कर्ष

रोकथाम इलाज से बेहतर है, और आयुर्वेद इस बात का पूरे तरीके से समर्थन करता है। गुर्दे की पथरी से दूर रहने के लिए ऊपर बताए गए निर्देशों का पालन करें। इसके अलावा, कुछ और सलाह हैं, जिसका पालन आप पथरी से बचाव के लिए कर सकते हैं।

कद्दू, ककड़ी, मोरिंगा के पत्ते, नुकीली लौकी जैसी सब्जियों का सेवन बढ़ाएं। पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन कम करें। चने की दाल, जौ, वरुणादि, क्वाथ, शिगरु, स्वेत परापति, जैसी जड़ी-बूटियाँ गुर्दे की पथरी के लिए बहुत लाभकारी हैं।

लेकिन सबसे जरुरी बात ये है कि पथरी की इलाज के लिए सबसे आवश्यक है – पानी। इसलिए खुद को हाइड्रेट रखें हैं ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।

क्या आप गुर्दे की पथरी को प्राकृतिक रूप से घोल सकते हैं? सटीक विचार प्राप्त करने के लिए हमारे विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श करें।

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