अमलतास का पेड़ (amaltas tree in hindi) : अवलोकन, लाभ, खुराक, उपयोग और सावधानियां

जानें चमत्कारी अमलतास बारे में

अमलतास का पेड़ भारत के सबसे खूबसूरत पेड़ों में से एक है, जिसमें चमकीले पीले रंग के फूल गुच्छे की तरह लटकते हैं। अमलतास के पत्तों में हर तरफ 4-5 पत्रक होते हैं। इसे आयुर्वेद में राजवक्ष कहा जाता है। यह एक पर्णपाती यानी झड़ जाने वाले मूल की चमत्कारी जड़ी बूटी है। इसका औसत आकार लगभग 25 सेमी लंबा होता है। अमलतास के फल शिम्बा या फली के आकार के हरे रंग के होते हैं, जो पकने के बाद भूरे रंग के हो जाते हैं। अमलतास के फूल पंचमुखी होते हैं। फूलों की इन मनमोहक जीवंत पीली गुच्छियों की सुंदरता के कारण यह थाईलैंड का राष्ट्रीय फूल और भारतीय राज्य केरल का राजकीय फूल है। इसका वानस्पतिक नाम कैसिया फिस्टुला है और प्रमुख रूप से भारत, पाकिस्तान में पाया जाता है और व्यापक रूप से अन्य दक्षिण एशियाई देशों में निर्यात किया जाता है। मेक्सिको, इक्वाडोर, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज जैसे देशों में अमलतास का प्राकृतिक रूप से उपयोग किया जाता है। आम तौर पर यह मौसमी शुष्क वन या वर्षावन, गैलरी वन से वुडलैंड घास के मैदान और तटीय क्षेत्र हो सकते हैं।

अमलतास को अलग-अलग नामों जैसे कैसिया फिस्टुला, इंडियन लबर्नम, सोंडल, बाहवा, राजवृक्ष, गोल्डन शावर ट्री, गोल्डन चेन ट्री आदि से जाना जाता है।

अमलतास और दोष

अमलतास के अर्क और फॉर्म्यूलेशन भारी और तैलीय होते हैं, इसलिए अग्नि औऱ वायु युक्त पित्त दोषों को शांत करते हैं। इसी तरह यह कफ दोष (पृथ्वी और जल संयोजन) को शांत करता है। दूसरी ओर अपने मीठे स्वाद और ठंडी शक्ति के कारण, अमलतास अक्सर वात दोष (वायु और स्थान) को बढ़ाता है। अपने आंतरिक गुणों और दोषों के कारण, अमलतास का शरीर के विभिन्न ऊतकों जैसे कि प्लाज्मा, रक्त, मांसपेशियों, हड्डियों और प्रजनन तरल पदार्थों पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है।

अमलतास से लाभ

अमलतास एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है, जिसके बारे में कुछ भी कहना कम होगा। इसका कारण यह है कि यह सभी चीजों पर अपना प्रभाव दिखाता (amaltas ke fayde) है। यही कारण है कि लगभग सभी आयुर्वेदिक फार्म्यूलेशन में समग्र प्रतिरक्षा को बढ़ाने में इस शक्तिशाली जड़ी बूटी का उपयोग होता है। अमलतास से होने वाले फायदों की बात करें तो विभिन्न संक्रमणों को ठीक करने के साथ ही यह पाचन तंत्र को बेहतर बनाने और चयापचय को दुरूस्त करने के साथ ही कार्डियोवस्कुलर सिस्टम को बनाए रखने से लेकर घावों, कब्ज, मूत्र संबंधी परेशानियों और त्वचा रोगों पर इसका प्रभाव होता है। इतना ही नहीं कुछ लोगों द्वारा रक्त विकारों और भूख में कमी के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। इस औषधि (Amaltas Medicinal Uses) में सभी के लिए समाधान है। अमलतास के प्रमुख लाभ और पारंपरिक उपयोग की जानकारी नीचे दी गई है :

पाचन और आंतों से जुड़ी परेशानी : अमलतास पाचन और आंतों से जुड़ी परेशानी में काफी कारगर है। जिन लोगों को पेट फूलने की शिकायत हो उन्हें पेट पर नाभी के चारों और अमलतास पल्प लगाने से लाभ मिलता है। इसे चिकित्सकीय क्षेत्र कहा जाता है। अगर अमलतास पल्प को अलसी या बादाम के तेल के साथ मिलाया जाता है तो यह मल त्याग को आसान बनाने में मदद करता है। अमलतास का गूदा एक प्रभावी रेचक है और पानी में सिर्फ 50 ग्राम गूदे और 25 ग्राम चीनी के साथ मिश्रित कर रात भर पानी में रखने से हानिरहित तरीके से कब्ज का इलाज किया जा सकता है। अमलतास के गूदे को कैसिया पल्प के नाम से भी जाना जाता है।

त्वचा पर लाभ : अमलतास त्वचा पर भी अपना प्रभाव दिखाता है। इसमें खासकर अमलतास की पत्तियां (Amaltas Leaves) त्वचा में दर्द, सूजन और जलन से राहत दिलाने में बहुत प्रभावी हैं। अमलतास के पत्तों का रस या पेस्ट का उपयोग त्वचा की बीमारियों जैसे दाद और ठंड के कारण होने वाले सूजन के इलाज के लिए किया जाता है। संक्रमित त्वचा पर अमलतास की पत्तियों (Amaltas Leaves) को रगड़ने से भी काफी लाभ मिलता है।

नाक बहना : अगर आपको नाक बहने की शिकायत हो तो अमलतास की जड़ों को जलाने से निकलने वाले धुएं को अंदर लेना नाक के स्राव में लाभकारी (Amaltas Benefits) होता है और बहती नाक और सामान्य सर्दी का इलाज कर राहत प्रदान करता है।

एंटीऑक्सिडेंट हब : अमलतास की छाल और फलों में जबरदस्त एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इसलिए जब उनके अर्क का सेवन किया जाता है, तो यह एक प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में कार्य करता है।

हृदय संबंधी लाभ : अमलतास की पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार करें। सुबह और शाम इसका सेवन करें। अमलतास के पत्तों में कोलेस्ट्रॉल को कम करने और हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करने के गुण होते हैं। बुखार में भी यही प्रयोग किया जाता है।

घाव को ठीक करता है : अमलतास के पत्तों में ऊतक पुनर्जनन में मदद करने वाला गुण होता हैं। पत्तियों के पेस्ट का उपयोग घावों पर लगाने के लिए मरहम के रूप में भी किया जाता है।

संधिवात और गठिया : संधिवात के लिए, अमलतास की जड़ को दूध में उबालकर प्रतिदिन पीना सबसे प्रभावी है। सरसों के तेल में तले हुए अमलतास के पत्तों को रखने से गठिया में मदद मिलती है। अमलतास दर्द और सूजन से राहत देने में बहुत प्रभावी रहा है।

पुरानी खांसी : लोग पुरानी खांसी के लक्षणों से राहत पाने के एक प्रभावी उपचार के रूप में अमलतास के फल के गूदे का उपयोग करते हैं।

मधुमेह में लाभ : अमलतास के अर्क में ऐसे तत्व होते हैं, जो इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं, जिससे रक्त में शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है।

मूत्र संबंधी समस्याएं : अमलतास की जड़ को रात भर पानी में भिगो दें। इसके बाद घी में मिलाकर एक पेस्ट तैयार किया करें। इसके रोजाना सेवन करने से कई लोगों को पेशाब के दौरान होने वाले कष्ट या दर्द से राहत मिलती है। यह उन्हें आसानी से पेशाब करने में भी मदद करता है।

अमलतास का उपयोग करने के पारंपरिक आयुर्वेदिक तरीके

  • अमलतास की जड़ें, पत्तियां, फल, छाल और फूल सभी पांच भागों को एक साथ पानी में मसल कर एक पेस्ट बनाया जाता है, जिसका उपयोग रक्त में अशुद्धियों के कारण उभर रहे त्वचा विकारों के इलाज के लिए किया जाता है।
  • अमलतास के पत्तों को गर्म करके सूजन वाले जोड़ों पर पुल्टिस के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • अमलतास के पत्तों को मसलकर उसका रस निकाला जाता है, जो दाद के उपचार के तौर पर उपयोग किया जाता है।
  • पत्तियों के रस और सिरका के मिश्रण से कुष्ठ और अन्य त्वचा रोगों का इलाज किया जाता है।
  • इसके एंटीपायरेटिक गुणों के कारण अमलतास की पत्तियों का उपयोग बुखार के लिए किया जाता है। यह शरीर के तापमान को कम करता है और इसकी एनाल्जेसिक गतिविधि के कारण बुखार के कारण होने वाले शरीर के दर्द को कम करता है।
  • अमलतास को अकेले या कभी-कभी इमली के गूदे के साथ सेवन करना मल त्याग को बढ़ावा देता है।
  • नाभि के आस-पास पल्प का पेस्ट लगाने पर पेशाब में दर्द, मूत्र में रक्त और अन्य मूत्र संबंधी विकारों का इलाज होता है। शिशुओं के पेट फुलने पर यही प्रक्रिया अपनाने से राहत मिलती है।
  • कान के संक्रमण के मामले में उबले हुए अमलतास पल्प का उपयोग इयर ड्रॉप के तौर पर किया जाता है।
  • बीज के पाउडर का उपयोग अमीबासिस के इलाज के लिए किया जा सकता है वहीं छाल के अर्क सूजन के खिलाफ प्रभावी होते हैं।
  • पेट के फुलने में दूध के साथ उबाला हुआ जड़ लाभकारी होता है।
  • फली का उपयोग मलेरिया, मधुमेह, एन्थ्रेक्स, डिसेंटरी, रक्त विषाक्तता जैसे कई परेशानियों के लिए किया जाता है।
  • टूटी हुई हड्डियों, सामयिक अल्सर और त्वचा संबंधी परेशानियों का इलाज छाल और अमलतास की पत्तियों के अर्क के साथ किया जाता है।
  • पके फली और बीज में रेचक गुण होते हैं।
  • फली का पानी वाला हिस्सा ग्लाइकेमिया को काफी कम करने में मदद करता है।
  • अमलतास की छाल का पानी (Amaltas Juice) अमलतास की छाल का मेथनॉलिक अर्क एंटीऑक्सिडेंट और एंटी इंफ्लामेटरी होता है।
  • पत्तियों का अल्कोहल युक्त अर्क स्टैफिलोकोकस ऑरियस और स्यूडोमोनस के लिए जीवाणुरोधी हैं और घाव भरने की प्रक्रिया को भी तेज करता है।
  • लोग मलेरिया के इलाज के लिए फली का उपयोग करते हैं।
  • एक रेचक और वर्मीफ्यूज की तरह इसका काढ़ा गुर्दे की पथरी के इलाज के तौर पर उपयोग होता है।
  • भारत में अमलतास की जड़ों से बुखार का इलाज किया जाता है।
  • कीड़ों के काटने, सूजन, गठिया के इलाज में पत्तियों के पुल्टिस का उपयोग किया जाता है।
  • पत्तियों के रस से त्वचा की जलन और दाद में भी राहत मिलती है।
  • जड़ का अर्क शूगर लेवल को काफी कम करता है।
  • ठंड के कारण सूजन में गर्दन पर गर्म फली लगाने से लाभ होता है।
  • नमक और शहद के साथ 3-4 बार गर्म फली की राख का सेवन करने से पुरानी खांसी में लाभ होता है।
  • अमलतास के बीज लिवर की कार्यक्षमता बढ़ाने और पीलिया के इलाज में भी सहायक होते हैं।

अमलतास की खुराक

चिकित्सा के लिए अमलतास की उचित खुराक व्यक्ति की आयु, शरीर के आकार, शारीरिक शक्ति, भोजन की आदतों, स्थिति और रोगी की गंभीरता पर निर्भर करती है। अपने शरीर की स्थिति के मुताबिक इलाज के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना अनिवार्य है। वे आपको एक निश्चित अवधि के लिए प्रभावी खुराक निर्धारित करेंगे।

अमलतास की छाल काढ़ा : 50-100 मिली

अमलतास फल का पल्प : 5-10 ग्राम

अमलतास फूल का पाउडर: 5-10 ग्राम

अमलतास गोलियां: 1-2 कैप्सूल दिन में दो बार

अमलतास अवलेहा : 1-2 चम्मच, दिन में एक बार

अमलतास का उपयोग कैसे करें?

1. अमलतास फल के गुदा का पेस्ट बनाएं। 1-2 चम्मच अमलतास फल के गुदे के पेस्ट को एक गिलास गर्म पानी में मिलाएं और इसे रात में खाने के बाद लें। इससे कब्ज के इलाज में लाभ होता है।

2. अमलतास फूल का पाउडर

पाचन तंत्र को बेहतर बनाए रखने के लिए लंच और डिनर के बाद गर्म पानी के साथ 1-2 ग्राम अमलतास चूर्ण लें।

3. अमलतास टैबलेट और कैप्सूल

गर्म पानी के साथ दोपहर और रात के खाने के बाद 1-2 अमलतास कैप्सूल का सेवन करें।

4. अमलतास काढ़ा

अमलतास का काढ़ा बनाने के लिए 1-2 चम्मच अमलतास के फल के गूदे को दो कप पानी के साथ तब तक उबाला जाता है जब तक कि तरल आधा न हो। 4-5 चम्मच काढ़ा, उतनी की पानी के साथ मिलाकर दोपहर और रात के भोजन के बाद घोलकर पीने से गठिया के इलाज में मदद मिलेगी।

एहतियातन

इसके कच्चे रूप में सेवन से परहेज करना चाहिए, क्योंकि पौधों के सभी भाग जहरीले होते हैं। इससे मतली और चक्कर हो सकता है। ऐसे में उपयोग करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करना बेहतर होगा। ज्यादा मात्रा या अनियमित खुराक घातक हो सकता है और गंभीर दस्त का कारण बन सकता है। गर्भावस्था में, स्तनपान कराने वाली महिलाएं या छोटे बच्चों के लिए इसके उपयोग की सलाह नहीं दी जाती है।

निष्कर्ष

अमलतास आयुर्वेदिक उत्पाद विभिन्न ब्रांडों के तहत बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। इसे ऑनलाइन वेबसाइट या किसी आयुर्वेदिक स्टोर से खरीदा जा सकता है। गोल्डन शावर ट्री के रूप में जाना जाने वाला, अमलतास अनगिनत स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने वाला है। बिना चिकित्सकीय परामर्श या उचित जांच के उपयोग से इसका साइड इफेक्ट हो सकता है। अमलतास के हर हिस्से चाहे वह इसके पत्ते, फल, छाल, बीज, फूल औऱ जड़ ही क्यों न हो, सभी एक समान लाभकारी और मूल्यवान हैं।

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